‘डंडसेना कलार समाज महासभा’ चुनाव 2023 प्रत्याशियों ने किया नामांकन दाखिल
(मनोज जायसवाल) कांकेर(सशक्त हस्ताक्षर)। डंडसेना कलार समाज का स्वर्णिम अतीत के पन्ने निहारें तो आज 10 वीं महासभा 30 अप्रेल 2023 को होने जा रहा है। हालिया जानकारी तक 10 वें अध्यक्ष आने वाले समय में बागडोर संभालेंगे। प्रत्यक्ष पद्धति…
”जय हनुमान”डॉ. राखी कोर्राम(गुड़िया ) साहित्यकार कांकेर छ.ग.
साहित्यकार-परिचय- डॉ. राखी कोर्राम(गुड़िया ) माता– पिता – श्रीमती छबीला मरकाम श्री बलीराम मरकाम जन्म – 11 अगस्त 1979 रामपुर (जुनवानी) शिक्षा – एम. ए.समाजशास्त्र । पोस्ट बी.एस.सी.नर्सिंग प्रकाशन–काव्य संग्रह – “गुड़िया”,गुड़िया-2 गुड़िया-3 समाचार पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशन। कला साहित्य को…
‘झील के नजारे में सर्जना के साथ बस्तर की बेटी नैना धाकड़’ अनिल कुमार मौर्य ‘अनल’ शिक्षक साहित्यकार कांकेर छ.ग.
साहित्यकार परिचय-अनिल कुमार मौर्य ‘अनल’ जन्म- 22 मई 1980 जन्म स्थान,संजय नगर,कांकेर छत्तीसगढ माता/पिता – फूलचंद माैर्य श्रीमती राेवती मौर्य, पत्नी-श्रीमती दीप्ति मौर्य, पुत्र-संस्कार,पुत्री-जिज्ञासा मौर्य । शिक्षा- एमए(हिंदी) इतिहास एवं सन! 2019 में विश्व विद्यालय जगदलपुर द्वारा मास्टर आफ आर्ट…
दुवाओं की परवाह ही किसमें है? मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर छ.ग.
ऐसा लगता है कि दुवाओं की परवाह ही किसमें है?मंदिरों में तमाम वीआईपी हस्तियां मत्था टेकने फिर रहे होते हैं। गरीबों पर भाषण देते नहीं अघाते। दान के नाम पर किसी को दे दें तो तमाम सोशल मीडिया कैमरों के…
”प्रेम पाती” डॉ. राखी कोर्राम(गुड़िया ) साहित्यकार कांकेर छ.ग.
साहित्यकार-परिचय- डॉ. राखी कोर्राम(गुड़िया ) माता– पिता – श्रीमती छबीला मरकाम श्री बलीराम मरकाम जन्म – 11 अगस्त 1979 रामपुर (जुनवानी) शिक्षा – एम. ए.समाजशास्त्र । पोस्ट बी.एस.सी.नर्सिंग प्रकाशन–काव्य संग्रह – “गुड़िया”,गुड़िया-2 गुड़िया-3 समाचार पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशन। कला साहित्य को…
‘डंडसेना कलार समाज’ चुनाव परिवर्तन की बयार
-आगामी 6 अप्रेल को नामांकन दाखिल करेंगे परिवर्तन टीम के प्रत्याशी (मनोज जायसवाल) – जिला स्तर पर भी गठन पर होगा प्रयास- पुरूषोत्तम गजेंद्र कांकेर(सशक्त हस्ताक्षर)। समाज के अंतिम व्यक्ति तक के तकलीफों तक पहूंच कर उनकी आर्थिक स्थिति से…
शादी कार्ड देना महज कर्तव्य का इतिश्री न हो मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर छ.ग.
– समाज का अर्थ आज एक आम अंतिम सिरे में खड़ा व्यक्ति भी बखुबी जानता है। दुनिया एक रंगमंच है और हम इसके कठपुतली। इसी मंच पर हमारा परिवार एवं समाज के बीच रिश्तों भावनाओं का आदान प्रदान होता है।…