छ.ग. कलमकार मंच का द्वितीय वार्षिक सम्मेलन बिलासपुर में सम्पन्न
(मनोज जायसवाल)
-अब तक 13 साझा संकलनों का प्रकाशन कर 777 कलमकारों को सम्मानपत्र एवं मेडल प्रदान किया जा चुका है। इसी कड़ी में आज 11 विशिष्ट हस्तियों और यू.एस.ए. सहित भारत के 77 कलमकारों को कलमकार साहित्य अस्मिता अलंकरण प्रदान किए जाएंगे।
बिलासपुर (सशक्त हस्ताक्षर)। राष्ट्रीय सेवा रत्न सम्मान प्राप्त राज्य स्तरीय पंजीकृत समिति – छत्तीसगढ़ कलमकार मंच का द्धितीय वार्षिक सम्मेलन एवं सम्मान समारोह- 2024 दि एमराल्ड हॉटल पुराना बस स्टैंड के निकट टेलिफोन एक्सचेंज रोड बिलासपुर में 29 मार्च 2024 को सम्पन्न हो गया। इस कार्यक्रम में प्रदेश भर के साहित्यकारों ने शिरकत की।
वरिष्ठ साहित्यकार एवं हिन्दी के विभागाध्यक्ष डॉ. आर.पी. टण्डन के मुख्य आतिथ्य, डॉ. पीसी लाल यादव की अध्यक्षता एवं छन्द गुरु अरुण कुमार निगम के विशिष्ट आतिथ्य में आयोजित यह कार्यक्रम 11 बजे सन्त शिरोमणि गुरु घासीदास बाबा की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण से आरम्भ हुआ। प्रसिद्ध गायक दम्पत्ति हृदय प्रकाश अनन्त एवं श्रीमती किरण भारती के मधुर स्वर में गुरु वंदना प्रस्तुत की गई। तत्पश्चात मंचस्थ अतिथियों एवं कलमकारों का स्वागत पुष्पहार एवं गुलदस्ता भेंट कर किया गया।
इसके बाद छत्तीसगढ़ कलमकार मञ्च के संस्थापक एवं प्रदेशाध्यक्ष डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति द्वारा मंच के वार्षिक प्रशासनिक प्रतिवेदन का वाचन किया गया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ कलमकार मंच साहित्य के प्रति समर्पित सेवकों का वो समूह है, जो साहित्य की सेवा करना अपना प्रथम कर्म एवं धर्म समझता है। अब तक 13 साझा संकलनों का प्रकाशन कर 777 कलमकारों को सम्मानपत्र एवं मेडल प्रदान किया जा चुका है। इसी कड़ी में आज 11 विशिष्ट हस्तियों और यू.एस.ए. सहित भारत के 77 कलमकारों को कलमकार साहित्य अस्मिता अलंकरण प्रदान किए जाएंगे। आज 4 पुस्तकों के विमोचन के साथ विमोचित पुस्तकों की संख्या 44 हो जाएगी।
यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, जो कलमकारों के त्याग, समर्पण और सनिष्ठा से सम्भव हुआ है। छत्तीसगढ़ कलमकार मंच के तत्वावधान में 11 सतनाम धामों की यात्रा पर आधारित सत्यपथ पर यात्रा संस्मरण मेरे द्वारा लिखा गया है, जो आज विमोचित हो रहा है। मंच के कामकाज के सुचारू संचालन के लिए जिला प्रशासन से भूमि आबंटन करा कर कलमकार भवन के निर्माण के लिए हम कृत संकल्पित हैं। इस हेतु हमें चाहे क्यों ना सड़क की लड़ाई लड़नी पड़े।
विशिष्ट अतिथि की आसंदी से सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार अरुण कुमार निगम ने कहा कि डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ कलमकार मंच प्रगति की राह में निरन्तर अग्रसर है। मंच के सूत्र वाक्य श्सत्य-समता-सरोकार में दिव्य दर्शन है। डॉ. पीसी लाल यादव ने अध्यक्ष की आसन्दी से कलमकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ कलमकार मंच के संस्थापक और अध्यक्ष के रूप में डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति ऐसे ऐतिहासिक कार्य कर रहे हैं, जो सदा याद किए जाएंगे। उनके साथ साहित्यकारों की एक समर्पित टीम है, जिनके कार्य काबिले-तारीफ हैं।
मंच के संरक्षक डॉ. गोवर्धन मार्शल ने प्रेरक काव्य पंक्तियाँ पढ़ते हुए कहा कि हम जैसे कलमकारों को हाथ में कलम पकड़ाने का पूरा श्रेय विश्वरत्न महामानव डॉ. भीमराव अम्बेडकर और संत शिरोमणि गुरु घासीदास बाबा को जाता है। लेकिन आज अनेक चुनौतियाँ विद्यमान है। वर्तमान में युवकों को नशापान से दूर रहकर रचनात्मक कार्य के लिए आगे आने की जरूरत है। इस उद्बोधन के पश्चात साहित्य वाचस्पति डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति को साउथ वेस्टर्न अमेरिकन यूनिवर्सिटी द्वारा प्रदत्त डी. लिट्. की मानद उपाधि प्रदान की गई।
चायकाल पश्चात प्रसिद्ध भजन गायिका श्रीमती भगवती टांडेश्वरी द्वारा संगीत की धुन पर मनभावन सतनाम भजन प्रस्तुत किए गए। तालियों की जोरदार गड़गड़ाहट से पूरा हाल गूंज उठा। पश्चात हृदय प्रकाश अनन्त द्वारा गुरु घासीदास के संदेश पर आधारित डॉ. अम्बेडकर द्वारा रचित भारतीय संविधान की महत्वपूर्ण धाराओं पर आधारित ज्ञानवर्धक एवं मनोरंजक गीत वाद्ययंत्रों की धुन पर प्रस्तुत किए गए।
वार्षिक सम्मान समारोह में तीन पुस्तकों का विमोचन हुआ। इन पुस्तकों में डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति द्वारा संपादित राष्ट्रीय साझा काव्य संकलन- ष्कलम के कारनामेष् शामिल है। इसमें 56 कलमकारों के जीवन परिचय एवं उनकी श्रेष्ठ रचनाओं का संकलन है। इसके अलावा डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति द्वारा लिखा गया 11 सतनाम धामों की यात्रा पर आधारित यात्रा संस्मरण- सत्यपथ पर तथा काव्य संग्रह- मंथन का विमोचन भी करतल ध्वनि के बीच सम्पन्न हुआ।
मुख्य अतिथि डॉ आर.पी.टण्डन ने अपने उद्बोधन में कहा कि डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति की अगुवाई में छत्तीसगढ़ कलमकार मंच ने जो उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है, ऐसी उपलब्धि कड़ी मेहनत और समर्पण से ही प्राप्त होती है। डॉ. किशन ने प्रभूत परिमाण में हरफनमौला साहित्य सृजन कर यशस्वी रहे हैं। उनकी कहानियाँ मुंशी प्रेमचंद की कहानियों के समक्ष हैं। केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी आपकी अप्रतिम लेखनी की विशिष्ट पहचान है। आपकी कविता और कहानियाँ स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में शामिल करने योग्य है तथा आपके व्यक्तित्व और कृतित्व पर पी-एच. डी. होना चाहिए।
भोजनावकाश पश्चात डॉ. प्यारेलाल आदिले, प्राचार्य जे.बी.डी. कला एवं विज्ञान महाविद्यालय कटघोरा ने ष्भारतीय संविधान एक राष्ट्रीय ग्रन्थ हैष् विषय पर संक्षिप्त एवं सारगर्भित व्याख्यान देते हुए कहा कि डॉ. अम्बेडकर द्वारा रचित भारतीय संविधान में समानता, स्वतंत्रता और बन्धुत्व का संदेश है। वे न केवल बहुजनों के बल्कि सबके एकछत्र मसीहा थे। उन्होंने गरीबों, वंचितों, पिछड़ों और सबसे बढ़कर महिलाओं के अधिकारों की चिंता की। विश्व रत्न बाबा साहेब अम्बेडकर के समान व्यक्ति ब्रह्माण्ड में अवतरित होना मुश्किल है।
सम्मान समारोह में साहित्य एवं कला के क्षेत्र में लोकप्रिय व्यक्तित्वों का सम्मान किया गया। डॉ. रामायण प्रसाद टण्डन को राजा गुरु बालक दास साहित्य सम्राट सम्मान, डॉ. पीसी लाल यादव को श्री लक्ष्मण मस्तुरिया साहित्य मनीषी सम्मान, श्री अरुण कुमार निगम को ई. वी. रामास्वामी साहित्य क्रान्ति सम्मान, डॉ. प्यारेलाल आदिले को दयाराम टंडन ज्ञान रत्न सम्मान, डॉ. मीराआर्ची चौहान को प्रथम शिक्षिका सावित्री फुले शिक्षा ज्योति सम्मान, हरप्रसाद निडर को नकुलदेव ढीढ़ी साहित्य भास्कर सम्मान, डॉ. हृदय प्रकाश अनन्त को डॉ. भीमराव अम्बेडकर कला प्रतिभा सम्मान, श्रीमती भगवती टांडेश्वरी को ममतामयी मिनीमाता कला कौशल सम्मान, सशक्त हस्ताक्षर के प्रधान संपादक मनोज जायसवाल तथा गर्वित मातृभूमि राष्ट्रीय अखबार के संस्थापक एवं सम्पादक विजय कुमार देशलहरे को संयुक्त रूप से महात्मा ज्योतिबा फुले साहित्य प्रचार सम्मान एवं जय सतनाम पंथी पार्टी कोण्डागाँव को देवदास बंजारे पंथी साधक सम्मान प्रदान किए गए। इस सम्मान के तहत प्रशस्ति पट्टिका, मेडल, अंगवस्त्र एवं सम्मानपत्र प्रदान किए गए।
इसके अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका (यू.एस.ए.) सहित भारत के 77 कलमकारों को कलमकार साहित्य अस्मिता अलंकरण 2024 प्रदान किए गए। कलमकार अलंकरण प्राप्त करने वालों में सुश्री संध्या नेताम, श्रीमती उषा पाटले, हंसदेव बाँधड़े हंसबन्धु, नवीन कुमार कुर्रे, अभय पात्रे, मणिशंकर दिवाकर गदगद, अश्वनी कोसरे प्रेरक, बुंदराम जांगड़े, कार्तिक पुराण घृतलहरे, जुगेश बंजारे धीरज, सुरजीत क्रान्ति, डॉ. गोवर्धन मार्शल, डॉ. श्यामा कुर्रे, श्रीमती कामिनी पुरेना, तिलक तनौदी स्वच्छन्द, अशोक कुमार बंजारे, वेदप्रकाश खाण्डेकर, चौतराम टण्डन, राजेन्द्र कश्यप, देव मानिकपुरी, राजेश कुमार बंजारे, श्रीमती सुरजा खाण्डे, चतुर सिंह चंचल, गणेश महन्त नवलपुरिहा, रमेश रसिय्यार, डॉ. अभिलाषा बेहार, डॉ. अलका यादव, एस. एल. मात्रे, इन्द्रभान सिंह कंवर, श्रीमती मंजुलता मेरसा, मनीराम साहू श्मितानश् इत्यादि साहित्यकार शामिल हैं।
उपस्थित सभी कलमकारों द्वारा वाह वाह के गूंजते स्वर एवं करतल ध्वनि के बीच मनभावन काव्य पाठ एवं गीत प्रस्तुत किये गए। वातावरण उल्लास मय हो उठा। हास्य व्यंग्य की रचनाओं की प्रस्तुति के समय ठहाकों की आवाजें गूंजती रही। कार्यक्रम का उम्दा संचालन विख्यात गायक-कवि जुगेश बंजारे धीरज ने किया तथा आभार प्रदर्शन एवं कार्यक्रम समापन कवि नवीन कुमार कुर्रे ने किया।