Newsbeat छतीसगढ़ की खबरें

अतीत का कच्चा मार्ग, आज राजमार्ग कल फोरलेन परसों किनारे में रेलमार्ग

-बैलगाड़ी युग से आज तक का सफर
(मनोज जायसवाल)
वो भी स्वर्णिम अतीत थे,जहां आज आप बस और कार में बिना किसी जर्क के आरामदायक सफर के साथ बस्तर की सैर कर रहे हैं,संभागीय मुख्यालय तक पहूंचने सिर्फ और सिर्फ बैलगाड़ी साधन हुआ करता था।
तब के घने बियांबान जंगलों के बीच से गुजरता धुलो से भरा यह रास्ता जो राजमार्ग 43 था वह आज राजमार्ग 30 है। अतीत में यह कच्चा रास्ता अंग्रेजों के जमाने में पक्के रास्तों में निर्माण किया गया था। मार्गकी स्थिति में ही इस सड़क के दोनों ओर आम के वृक्ष लगाये गये। ट्रेफिक दबाव इतना नहीं था। बस्तर आने में दोनों ओर आम के वृक्ष शोभायमान तो लगे साथ में गर्मी के दिनों में धूप का एहसास ही नहीं होता।
बस में यात्रा कर रहे हों तो खिड़की से फिर धुप छांव आती जाती रहती। आम के वृक्षों पर पोते गये तीन रंगों के घेरावदार रंगों के चलते वाहनों में बैठे लोगों को लगता कि वो नहीं अपितु पेंड़ आगे जा रहे हैं। अंग्रेजों के जमाने में संभागीय मुख्यालय बस्तर जगदलपूर तक कई नालों में लकड़ी से पुल निर्मित किये गये। कई पुल चुने पत्थरों से निर्माण किए गये जो आजादी के कई वर्षों तक कुछ भी नहीं हुआ इतनी मजबूती कि सड़क चौड़ीकरण के दरम्यां इसे तोड़ने में बड़ी जेसीबी को भी काफी मशक्कत झेलनी पड़ी। लकड़ी के पुल की बात करें तो साल के वृक्षों से लदी बस्तर की धरती में इन पेंड़ों की अधिकता है।
काष्ठ इतना मजबूत होता है कि यह कभी कमजोर नहीं होता और दीमग भी नहीं लगता। कांकेर,जगदलपूर मे आज भी राजाओं के ऐतिहासिक काल की धरोहर भवनों में साल काष्ठ से निर्मित मयार देखा जा सकता है। आधुनिक काल में बस्तर आवाजाही मार्ग में लगातार ट्रेफिक का दबाव इतना कि काफी दुर्घटनाएं होने लगी थी। सड़क का चौड़ीकरण जरूरी हो गया था। कई हादसे तो पेंड़ों से टकराने की वजह से होती थी। सड़क चौड़ीकरण कार्य के समय सड़क किनारे लगाये गये सभी पेंड़ काटे गये। इससे पूर्व पेंड़ों को दूसरी जगह स्थानांतरित किये जाने की बात भी चली थी,लेकिन इन पेंड़ों की उम्र अधिक होने के चलते ऐसा नहीं किया जा सका। आज का वर्तमान देखें तो सड़क चिकनी बन गई जहां संभागीय मुख्यालय जगदलपूर तक पहूंचने समय की बचत हुई और लोगों को भी चलने में काफी सहूलियत हुई,लेकिन यातायात का दबाव अब भी कम नहीं हुआ है।
दरकार तो बस्तर के संभागीय मुख्यालय जगदलपूर तक फोर सिक्सलेन की है। बस्तर की राज्यसभा सांसद श्रीमती फूलोदेवी नेताम ने तत्संबंध में सदन पर यह मांग भी प्रमुखता से रख चुकी है। इसके साथ ही तात्कालीन बस्तर सांसद दीपक बैज द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय मंत्री नितीन गडकरी से बस्तर धमतरी से जोड़ने की मांग रखी। बताया जाता है कि यह मांग मान ली गयी। जिसकी चर्चाएं यहां खास रही। राजमार्ग 30 में विभाग द्वारा सड़क से लगी जमीन अधिग्रहित भी की गयी है। कांकेर जिले में लखनपुरी चारामा तक सड़क किनारे लोगों को मुआवजा राशि भी मिल चुकी है। आने वाले समय में धमतरी से बस्तर फोरलेन की दरकार जो है वो जल्द धरातल पर कार्य की शुरूआत हो इसका लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
बताते चलें कि रायपुर से उड़ीसा आवाजाही हेतु सिक्सलेन की अच्छी सुविधा है। छत्तीसगढ़ का दूसरा प्रमुख शहर बिलासपुर जुड़ गया है। ऐसे में अब बस्तर को जोड़ने वाली राश्ट्रीय राजमार्ग का विकास जरूरी है। धमतरी,कांकेर जगदलपूर आवाजाही क्षेत्र अभी भी रेल की सुविधाओं से महरूम है,ऐसे में यह मार्ग फोर सिक्सलेन हो जाये तो सभी जनमानस के लिए विकास के दौर में नया अध्याय जरूर जुड़ेगा। आज बस्तर दशहरा जो समूचे विश्व में प्रसिद्व है,बस्तर पूरी दूनिया को आकर्षित करती है। जिसकी रस्मो परंपराएं तो आयोजन से महीनों प्रारंभ हो जाती है शुरू हो चुकी है।
छत्तीसगढ़ के लिए तो बस्तर ऐसा है कि बस्तर नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा। अपार ऐतिहासिक,पुरातत्व,वन संपदाओं,नैसर्गिक छटाओं को समेटे बस्तर के लिए जरूरी है,यातायात की सुविधाओं को और भी मजबूत बनायें। राजनीतिक महात्वाकांक्षा जरूरी है। जरूर आज राजमार्ग 30 जो कि जिला मुख्यालय कांकेर से सटे माकड़ी से कांकेर तक अत्यंत खराब होने के चलते आम लोगों को काफी समय से उड़ती धूल से सामना करना पड़ रहा है। आम जनता आशा पर आस लगाए होती है। आशा की जा सकती है कि आने वाले समय में जरूर मार्ग दुरूस्त होगा। धमतरी बायपास का कार्य जो भी तेजी से चल रहा है। कांकेर तथा धमतरी बायपास निर्मित होने का फायदा भी लोगों को हो रहा है। आजादी के इतने वर्षों बाद भी धमतरी से कांकेर कोंडागांव होते रेल पथ को भी स्वीकृति मिलना चाहिए। अभी तक सिर्फ आश्वासन और समाचार पत्रों में चुनावों के समय रेल की खबर जरूर पढ़ने मिलती है पर लोगों को विश्वास तभी होगा जिस दिन कार्य होगा। 

LEAVE A RESPONSE

error: Content is protected !!