– खुन के रिश्ते बहन तो दरकिनार राखी पर पूरी बेशर्मी वाहवाही दिखा रहा।
रिश्ते नातों का संसार है। बचपने में भाई बहन के रिश्तों में जिस तरह खेल खेल में लड़ाई झगड़ा,तनातनी और फिर कुछ देर में ही मित्रता जैसे भाव यह भाई बहन के अप्रतिम स्नेह का स्वरूप है। अतीत निहारें तो इसके साथ ही बचपने में सब तनातनी के बावजूद एक हो लेते थे, जैसे कुछ हुआ ही नहीं, इसी तरह रोजमर्रा बीतती और बितायी जाती थी।
विवाह की दहलीज के पहूंचने तक बहन का भाई के प्रति यह शब्द कि परेशान कर लो मुझे यहां से चली जाऊंगी ना तब रोते रहना।
विवाह के बाद भी कभी-कभी तनावपूर्ण जीवनचर्या में कोई बात आ जाये उसे भी भूल कर ठीक बचपने जैसे दिनों को याद कर अपने उस भाई से बात कर लेनी चाहिए जिस भाई के भी कभी गुससा आ जाये। भाई बड़ा हो या छोटा भाई का बहन के लिए उच्चतम स्थान है। याद हो मां,पिता के इस दूनियां से चले जाने पर भाई में ही वह स्वरूप देखा जाना चाहिए।
माता,पिता के चले जाने के बाद कोई कोई बहनों में यह बात भी घर कर जाती है कि अब हमारे कौन हैं वहां? भाई तो अपनी पत्नी के साथ बदल गए हैं। हर परिवार में हो न हो पर अमूमन रूप से यह देखा गया है। भाई अगर सच्चा है तो उनके लिए तो उनकी बहन उनके जीवनसाथी पत्नी से बढ़कर है। उसके दिल में अपनी बहन के प्रति स्नेह की ज्योत कभी कमजोर नहीं होगी।
दीगर मान लिया जाय उन बातों को जिसकी खातिर मनमुटाव ने जन्म लिया है। लेकिन मनमुटाव रिश्तों को निभाने के लिए नहीं होना चाहिए। याद रखें जीवनसाथी यानि भाई की पत्नी भी किसी की बहन है। भाई यदि बहन के विचारों के मुताबिक बदल गया है, तो आप अपने को ना बदलिए। आप अपने में सृदृढ़ रहें हो ना हो कभी उनका रूख बदल जाए।
कानूनन रूप से पिता की संपत्ति,जमीन जायदाद में अपने अधिकारों का प्रयोग करते हक लिया जा सकता है,जो बड़ी बातें नहीं है,लेकिन व्यावहारिक मूल संबंध में कटूता न रहे उन बातों पर भी विचार निहीत है। भाई और विवाहित बहन के भी संबंधो में यदि आपकी कटूता है,बात नहीं होती तो विचारणीय यह है कि भाई बहन में आत्मीयता का संबंध नहीं है,तो फिर जीवन में आपके पास है क्या?
कोर्ट कचहरियों में कई भाई बहनों के संबंध जो जिंदगी के अंतिम पड़ाव तक चक्कर काटते रहते हैं,यह वही भाई बहन है जो मिनटों में लड़ जाते और मिल जाते लेकिन इस पायदान में एक दूसरे का चेहरा देखना पसंद नहीं करते। अभिवादन..प्रणाम तो दूर की बात है।
क्योंकि भाई बहन का संबंध तो जन्म जन्मांतर का है। जीवनसाथी का संबंध तो भाई का या बहन के आपके संबंध के बाद में तय हुआ है। आए दिनों जमीन जायदाद के नाम पर कोई बहन या भाई अपने खुन के रिश्ते को दरकिनार कर द्वेश क्लेश को जन्म देते हैं, जायदाद के नाम अपना आपा खो देते और उसकी खातिर हमेशा हमेशा के लिए अपना संबंध तोड़ देते हैं। कई जगह बहन के यहां दामाद भी इतना लोलुपता के चलते अपनी पत्नी को उनके मायके के जायदाद को प्राप्त करने प्रेरित करता है,जहां कई बार बहन भी उनकी बातों में आकर अपने खून के रिश्ते खराब कर देती है,जहां इन्हें यदि जायदाद तो हासिल कर लेती है,लेकिन क्षणिक भौतिक लालच में आकर पूरे परिवार के साथ भाई बहन का संबंध को कड़ुवाहट में तब्दील कर देती है।
राखी के त्यौहार पर कई भाई बहन इस प्रकार अपने खुद के खून के भाई बहन के रिश्तों के होते दूसरे को भाई बहन बनाकर झूठ के रिश्तों में दिखावा कर रहे होते हैं। सोसायटी में कई भाई मिलेंगे जो इस बात पर गर्व करते हैं कि राखी के दिन उनके पूरे हाथ में बांह तक राखी बंध जाती है, नगरों में अनेकों जो उनकी बहने हैं। जमीनी धरातल में कभी-कभी तो यह बात सामने आती है कि इनके घर के खून के रिश्तों में तो क्लेश भरा है और बाहर अनेकों बहनों के नाम पूरी बेशर्मी से अपने को वाहवाही बता रहा है।