
यदि आपको कोई बाहर से अपना समझने वाला अंदर से आपके साथ नहीं है, तो यह आम जिंदगी में सबसे बड़ा दुखद विषय है।
ऐसे लोगों के उदाहरण की कमी नहीं है,जो बाहरी तौर पर आपके हित की बात तो करते हैं,लेकिन आंतरिक तौर पर आपकी निजी बातों को दूसरों के पास परोसते हैं। उन्हें बताते हैं कि आपकी यह कमजोरी है।
इसलिए आपको इन बातों का ख्याल रखी जाना है कि कहीं ये निश्चित रूप से हमारा हितैषी है कि नहीं। यह वह विषय है,जिसे साहित्यकार के साथ अन्य कलमकार बखुबी समझ सकता है।
अपने कार्य बनाने के नाम संबंधों को माध्यम बनाकर अपना उल्लू साधने वालों से हमेशा सावधान रहना चाहिए। सच कहें तो साहित्यकार या कोई भी कलमकार के लिए वो प्रोफेशन पर ही बातचीत का समय आ गया है,जो कला जगत की प्रतिभाओं यथा सिंगर या अन्य कलाकार अपने इंटरव्यु के नाम अपनी बातें बयां करते हैं।
जिसमें कई प्रश्नों के लिए नो कमेंट की बातें आनी चाहिए। यानि कि यदि आप बात कर रहे हैं तो प्रोफेशन पर बात करें अन्य जानकारियां देने की न हमे शौक है,ना ही इंटरव्यु लेने वाले को भी जरूरत नहीं है। मेरे माता,पिता,पत्नी,बच्चे और पारिवारिक रिश्ते नातों पर ना जायें। उसकी जरूरत क्या है?
कोई भी साहित्यकार,कलमकार वो भी वो हस्ती है,जिस पर आप रिश्तों की लागलपेट में लपेटने की जुर्रत ना की जाये। रिश्तों संबंधों के नाम अलग बातचीत होगी,उनसे जो कि हमारे नजदीकी है। हां, जो दिल से आपको सम्मान दे रहा है,वो समाज के अंतिम सिरे का व्यक्ति क्यों ना हो उन पर सम्मान बनता है। लेकिन बिना कार्य लागलपेट की भुमिका निभाने वालों से आपको दूर रहना चाहिए।