कविता काव्य

”पायल”श्रीमती रानी शर्मा साहित्यकार समाजसेवी कांकेर छ.ग.

”पायल”

पैरों में सजती है पायल।
सबको दीवाना बनाती है पायल।
नन्हीं बिटिया के पैरों के पायल,जब छम-छम बाजे।
ममता सब कुछ न्यौछावर कर दे।

 

गोरी के पायल के सुन रूनझुन ।
प्रियतम दिल धड़क-धड़क जाए।
मन भौंरा गुनगुनाये।
पायल प्रेम गीत गाए।

 

जब-जब राधा की बाजे पायलिया ।
कृष्ण की बजने लगी बांसुरिया।
मोरनी नाचे सुन धुन पायलिया।
सारा मधुबन नाचे संग सांवरिया।

 

सिया विरही, वन-वन भटके राम।
देख आभूषण, कहे लक्ष्मण से राम।
क्या?ये हैं मेरे सिया के,
नयन अश्रु बहे,लक्ष्मण कहे।
सदा नमन किए हैं, माँ के चरणों में।
ये पायल हैं, माँ के चरणों के।
धन्य भाग्य सिय पायल के ।

 

सदा रहे पैरों में पायल।
गोरी के तन मन मजबूत बनाये पायल।
झुन झुन सुन पायल के,
लगे छम छम लक्ष्मी आये।

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