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सामाजिक सत्ता- ‘कार्यकारिणी विस्तार में आपकी भुमिका’ मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर छ.ग.

-समाजसेवा के लिए उत्सुक हैं तो पद का नहीं कार्य का जज्बा पैदा करें
(मनोज जायसवाल)
हर समाज में पदाधिकारियों के निर्वाचन की अपनी प्रक्रिया और परंपरा होती है। अध्यक्ष एवं कुछ पद के निर्वाचन उपरांत कार्यकारिणी टीम का विस्तार मुख्य होता है। यह सियासी जगत में किसी मोर्चा गठन की शर्तों जैसा नहीं, अपितु अलग होता है।

कार्यकारिणी विस्तार में इस बात को गंभीरता से चिंतन किया जाता है कि वो समाज के प्रति कितना समर्पित है। सामाजिक सत्ता के गठन में उनकी क्या भुमिका रही और पूर्ण निर्वाचन अवधि में उन्होंने किसी भी सामाजिक जन से दुर्व्यवहार तो नहीं किया। कोई गंभीर विवाद का जनक तो नहीं रहा।

उन्हें जो दायित्व दिया जायेगा,क्या अपनी ऊर्जा एवं उस क्षेत्र में निःस्वार्थ भाव से निभाने सक्षम है? शराब एवं किसी अन्य व्यसनों की लत का शिकार तो नहीं है? क्योंकि ये व्यसनों का आदि स्वयं रहेगा तो दूसरों को क्या शिक्षा दे सकता है। जब तक किसी व्यक्ति में समाज के प्रति जोश,जज्बा नहीं रहेगा वह कैसे कार्य कर सकता है।

समाज में भी कई बार कुछ लोगों की पद की लालसा रहती है। लेकिन यह तो सेवा का क्षेत्र है,लालसा कैसी? बिना किसी पद के सेवा किया जा सकता है। बची बात प्रतिष्ठाा और सम्मान की तो यह किसी को पद दे दिये जाने से ही नहीं मिल सकता। सम्मान तो आपके अपने व्यक्तित्व में निहीत है। आप अपनी छवि,अपना व्यवहार किस तरह बनाए रखें है,यह निर्धारित करता है।

कार्यकारिणी विस्तार में हर समाज में पदाधिकारियों की संख्या भी निश्चित होता है। पदों के अनुसार देखकर उक्त पद दिया जाता है। सभी व्यक्ति को भी पद नहीं दिया जा सकता। लेकिन निश्चित तौर पर समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सम्मान दिया जा सकता है। सम्मान के विस्तृत मायने है।

लाख अच्छे लोगों की टीम के मध्य एक नकारात्मक बातों को तूल देेने वाले व्यक्ति का आचरण टीम में अशांति लाने काफी है। किसी पद के लिए यदि कार्यकारिणी में अपना स्थान पाने यदि उत्सुक हैं, तो आपकी उत्सुकता निःस्वार्थ भाव से अपने बुते समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच कर कार्य करने पहले पहल होना चाहिए।

लोग आपके कार्यकाल में आप किस पद पर रहे यह भी अपितु आपने समाज के प्रति कितने निःस्वार्थ भाव से क्या कार्य किया यह जरूर देखना सुनना चाहेंगे। कुल मिलाकर पद पाने से पूर्व किसी पद का जिम्मा उठाने हम कितने मजबूत हैं,यह जरूर पूरी गंभीरता से विचार कर पग बढ़ायें तो ही उचित है।

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