‘बोड़ा सहित बस्तर खाद्य चीजें राजमार्ग पर’ मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर छ.ग.
(मनोज जायसवाल)
प्रति वर्ष जून में प्रथम मानसुनी बारिश के बाद से ही धूप निकलने पर बाजारों में बोड़ा बिकने आ जाता है। जी, हां इस बोडा में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन,फाईबर और विटामिन डी का प्रमुख स्त्रोत है। औषधीय गुणों से भरपूर यह मशरूम वैज्ञानिकों के लिए भी शोध विषय है,जहां बताया जाता है कि इससे हाई ब्लड प्रेशर जैसी परेशानियों के साथ अन्य कई शारीरिक व्याधियां दूर होती है।
अभी कुछ दिन हुए हैं, मानसुनी बारिश हुई है और अब निकलने आतुर है बस्तर का बोड़ा जहां कीमत भले ही प्रारंभिक चरणों में ज्यादा हो पर लोग इसे चाव से खाते हैं। बस्तर संभाग हर क्षेत्र मे वो स्वर्ग की धरा है,जहां कई खादृय चीजों आप लुत्फ उठा सकते है। यही कारण है कि बारिश का दिन आने पर लोगों का ध्यान बस्तर की ओर जाता है।
कांकेर जिला के सुदूरवर्ती कई गावों की जंगलों में कुछ दिनों में जंगली खेखसी की भी आवक भी शुरू हो जाएगी, लेकिन इसके पहले फुटू का चलन भी बढ़ेगा। जंगलों के बीच बने टीलों,वृक्षों के नीचे ये फुटू लगातार बारिश के चलते निकलने लगते हैं। कांकेर बस्तर में जरूर इन चीजों की उपलब्धता है लेकिन यह ना सोचें कि यह आसानी से मिल जाएंगी। देश में सर्वाधिक मीठापन के लिए प्रसिद्ध कांकेर सीताफल की उत्तम वैरायटियां तो आज पेंड़ों से ही बिकने लगी है।
सीताफल में फुल मानसुन पूर्व ही आ जाते हैं जो ठंडी के मौसम में निकलते हैं। अभी से फूल दिखायी देने लगे हैं। बिचौलिए फलों के पकने पूर्व ही खरीद लिया करते हैं और यह उत्तम बड़े साईज के फल दूरस्थ रायपुर,नागपुर तो मुंबई दिल्ली जैसे शहरों तक जाते हैं।
अभी मानसुन पूर्व निकलने वाले बोड़ा का प्रिर्जवेशन करते अन्यत्र मौसम में खाने लायक ऐसा कोई तकनीक उपयोग नहीं किए जा सके हों लेकिन लोगों के बीच ताजे ताजे बोड़े काफी पसंद किए जाते हैं। अभी बोड़ा निकलने की शुरूआत होने वाली है। बोड़ा का स्वाद भला किसे पसंद ना हो। आपने बोड़ा खाया क्या? नहीं खाया तो बस्तर की ओर जरूर कुछ दिनों में रूख करते आनंद लीजिएगां। बाजारों में बांस की करील भी नजर आएंगी जिसकी सुखी भी अन्य मौसम में बाजारों में बिकती है। आर्युर्वेदिक रूप से पेट संबंधी बिमारियों के लिए लाभप्रद बतायी जाती है।
शुरूआती दिनों में जरूर पहूंच से दूर है बोड़ा निकलने की खबर भी अभी नहीं आई पर बारिश के बाद जिस तरीके से तेज धूप खिलेगा उतना ही बोड़ा की आवक शुरू हो जाएगी और कुछ दिनों में राजमार्ग किनारे एवं बाजारों में आपको बिकती नजर आएंगी। प्रारंभिक चरणों में हजार रूपये किलो बिकने वाली बोड़ा ज्यादा मात्रा में निकलने पर सस्ती हो जाती है।
ऐसी बात नहीं कि बोडा सबको प्रिय है,कुछ लोग तो मशरूम से दूर जाते हैं,तो कुछ लोगों का ध्वेय रहता है,भले ही कितने ही मंहगा हो जाए बोडा खाया ही जायेगा। शाकाहारियों में लालसा कुछ ज्यादा ही होती है। कोंटा से जगदलपुर होते कोण्डागांव,केशकाल तक राजमार्ग किनारे भी बोडा सहित बस्तर के खाद्य शाक सब्जियां आपको बिकते नजर आएंगी।
अगर आप छत्तीसगढ बस्तर आ रहे हैं‚तो लाल भाजी (लाल अमरंथ) का स्वाद न लें तो अधूरा होगा। लाल भाजी छत्तीसगढ की पहचान है। बेहद स्वादिष्ट लाल भाजी की सब्जी काटते समय हाथ का लाल हो जाना‚बनाये जाने के बाद चांवल का लाल हो जाना इसकी खासियत है। छत्तीसगढ में 36 भाजियां न केवल खाद्ध चीजे हैं‚अपितु वैवाहिक एवं अन्य आयोजनों में भाजी परंपरा का अंग भी है।