मैं केशकाल की सड़क हूँ! श्रीमती रश्मि विपिन अग्निहोत्री शिक्षिका साहित्यकार केशकाल जिला कोंडागांव
साहित्यकार परिचय
– श्रीमती रश्मि विपिन अग्निहोत्री
पति का नाम – श्री विपिन अग्निहोत्री
जन्मतिथि – 23.11.1978 बलाैदाबाजार छ.ग. में।
शिक्षा- एम. ए. हिन्दी , बी.एड.
प्रकाशन- विधायें जिस पर कार्य किया है- छंद मुक्त काव्य रचना, संस्मरण, लघुकथा, कहानी, लेख आदि। प्रकाशित कृतियाे में 14 साझा संकलन, एकल काव्य-काव्य -रश्मि एवं – ज्ञान का प्रतीक अम्बेडकर , आर्यावर्त , रत्नावली ।
सम्मान – साहित्य से संबंधित सम्मान- 2018 काव्य सागर सम्मान राष्ट्रीय मंच साहित्य सागर से झुंझुनू राजस्थान में, विशिष्ट साहित्यकार सम्मान मराठा समाज केशकाल द्वारा , 2019 काव्य सागर सम्मान राष्ट्रीय मंच साहित्य सागर के मंच पर वृंदावन उ. प्र. में, 2018 महिला शिखर सम्मान वर्ल्ड ब्राह्मण फेडरेशन द्वारा रायपुर में, 2019 , अटल स्मृति गौरव सम्मान रायपुर में विश्व हिन्दी मंच दिल्ली द्वारा, जी डी साहित्य रत्न सम्मान लखनऊ, रंग दे बसंती सम्मान, प्रेम सुधा सम्मान, अखण्ड भारत सम्मान, रत्नावली सम्मान, आदि । अन्य सम्मान- 2021 शिक्षा एवं गौरव सम्मान, मानव विकास एवं कल्याण संगठन छत्तीसगढ़ द्वारा अन्य क्षेत्र के कार्य- जिला अध्यक्ष आल इंडिया ब्राह्मण संगठन, संरक्षक आर्यावर्त ब्राह्मण महासभा ।
सम्प्रति- शिक्षिका ( शिप्रा अंग्रेजी माध्यम हाई स्कूल) वर्तमान साहित्यिक पद- जिलाध्यक्ष कोण्डागांँव, (मानव कल्याण एवं समाजिक उत्थान छत्तीसगढ़ ) , सह सचिव कला परम्परा एवं कला बिरादरी छ. ग. सह संपादक पत्रिका जागरुकता ।
सम्पर्क-ब्राह्मण पारा थाना के पीछे केशकाल,जिला काेण्डागांव छत्तीसगढ ईमेल- harshitagnihotri2003@gmail.com / rashmiagnihotri828gmail. Com
मोबाइल नंबर- 7415761335/ 7000780396
मैं केशकाल की सड़क हूँ!
मेरे कान्धे पर
सारा जन -जीवन चलता,
मेरे ऊपर से गुजरकर
बस्तर का विकास पालता।
मैं आज गड्ढ़ों से भरी हूँ!
लोग आज मुझमें सड़क ढूँढ रहें हैं,
धीमी गति से सबके वाहनों के पहिये
सिसकते- सिसकते घूम रहे हैं।
अरे! देखो!
वो लड़का मेरे गड्ढ़ों में गिर पड़ा!
लहुलुहान है चेहरा उसका,
मैं कुछ कर नहीं सकती।
मैं उसे कहना चाहतीं हूँ…..
मेरे बेटे !तुझे बहुत
दर्द हो रहा होगा,
तेरे दर्द की वजह मैं हूँ।
अरे केशकाल वालों !
जागो ,जागो ….
इससे पहले की कोई तुम्हारा
लहुलुहान हो जाये,
अरे! वो देखो…..
गोल्ड़ी ढाबे के पास
कोई एक्सिडेंट हुआ है,
एक और मर गया!
अरे! दौड़ो एम्बुलेंस बुलाओ,
एस बी आई के सामने
कोई घायल तड़प रहा है।
किस बात का इन्तज़ार है?
किसकी बारी का इन्तज़ार है?
अरे! आवाज़ उठाओ !
मौत की आगोश है ,
जनता खामोश है।
गर राजनीति एक छल है,
एकता में बल है।
अधिकार अपने जानो!
अपनी ताकत पहचानो!
मैं तो मजबूर सड़क हूँ।
सब चुप सहती हूँ,
अपनी अपने आप से कहती हूँ।
पर तड़प उठती है मेरी छाती,
अपने बच्चों का लहू देखकर।
केशकालवासियों!
मुझे न्याय दिला दो,
बुलन्द करो आवाज़
प्रशासन हिला दो ,
कोई तो त्वरित हल दो……
जरुरत पड़े तो …..
तख्त ताज बदल दो।