”सीताफल के साथ उत्कृष्ट काजू” मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)
(मनोज जायसवाल)
-मौसम के चलते इस बार समय पूर्व ही सीताफल पक गये। वर्तमान सीजन में उपलब्धता रहेगी कम। देशी वस्तुएं स्थानीय बाजार से ले जाते हैं,सैलानी।
यह किसानों के लिए अच्छे दिन ही कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ के खासकर बस्तर संभाग क्षेत्रों के गावों में बहूतायत में पाये पाये जाने वाले सीताफल की खरीदी समिति के माध्यम से किये जाने से दिन बहूर रहे हैं।
लेकिन इस बार मौसम के चलते ठंड के दिनों में निकलने वाली सीताफल बारिश में ही पकने लगी थी। अभी ठंड की शुरूआत इस बार जल्द ही शुरू हो गई लेकिन सीताफल स्तरीय नहीं है। फल इस बार छोटे-छोटे आए हैं,जिसके चलते इस बार लोगों को निराश होना पड़ रहा है।
बस्तर क्षेत्र में देखें तो सीताफल का पेंड़ अमूमन रूप से स्वयं उग कर बड़े हो जाते हैं। भरपूर मात्रा में प्रोटीन विटामिन के स्त्रोत सीताफल बड़े चाव से खाया जाता है। बच्चों की तो मत पूछो मजे ही मजे होते हैं इस मौसम में। रायपुर जगदलपूर राजमार्ग में सड़कों के किनारे लोग सीताफल बेचने लाते है।
कई लोग जहां स्पाट पर ही इसका आनंद लेते हैं, वहीं लोग अपने वाहनों में ले जाते देखे जा सकते हैं। जिले में पिछली दफा सीताफलों की गिनती भी हुआ एवं किसानों को सलाह भी दी गई कि वे सीताफल बन रही समिती को दें एवं ज्यादा मुनाफा कमायें।
नीचे चित्र में आप स्वयं देख सकते हैं तब कांकेर विकासखंड में चारामा ब्लाक के राजमार्ग 30 पर बसे ग्राम बाबूकोहका के पास खरीदी केंद्र खोला गया था। जहां सीताफल के फोटो लगे कार्टून में कच्चे फल को पैक कर बाहर जहां से आर्डर है वहां भी भिजवाया जा रहा है।
तब बताया जा रहा था कि आनेवाले समय में कच्चे सीताफल से मशीन के माध्यम गुदा यानि पल्प एवं बीज निकाल कर संरक्षित किये जाएंगे जिसका उपयोग आइसक्रीम से लेकर अन्य खाद्व चीजों में उपयोग किया जायेगा।
हालांकि किसानों में इसके बाद भी जागरूकता कम ही दिखी। बाजारों में काफी सस्तेदरों में बेचने राजधानी रायपुर तक छोडते आए। शिमला काश्मीर से आने वाली सेवफल के यहां कितने रेट होते हैं,छ.ग. का सीताफल बाहर जायेगा तो इसके भी उतने दाम होंगे।
लेकिन इसी तरह हुआ तो लगता है कि यह भी होने वाला है कि एक एक सीताफल कीमती हो जायेगा, जिससे यहां के मूल वाशिंदे ही मंहगी दर पर लेने विवश हो जायेगा। सीताफल तत्काल पकने वाला फल से जहां कच्चा फल पेक कर बाहर भेजो तो एक दिन में ही पक जायेगा।
लेकिन सकारात्मक पक्ष तब देखा गया जब महानदी किसान उत्पादक कंपनी जैसी संस्था ने फ्रीजर सहित पल्प निकालने वाली मशीनें लाकर इसके पल्प प्रीजर्व कर आईसक्रीम बनाकर मार्केट में लोगों के लिए हर समय के लिए उपलब्ध कराया। इसकी प्रशंसा जगदलपुर प्रवास पर देश के प्रधानमंत्री द्वारा भी की गयी।
सीताफल खरीदी के लिए पेंड़ों से ही चयन करना पड़ेगा तभी यह सफल होगा। क्योंकि सीताफल भी ग्रेड के अनुसार खरीदी होगी एवं लोग उसकी साईज एवं क्वालिटी के अनुसार ही खरीदेंगे। निश्चित रूप से खरीदी करने वाली समितियां ऐसा ही कर रही है।
सीताफल के साथ उत्कृष्ट काजू भी
अब उत्कृष्ट क्वालिटी के काजू के लिए भी अपनी पहचान बना रहे बस्तर की ओर लोगों की नजरें है। सिर्फ सैर की ओर नहीं । यहां मिलने वाली सीताफल के साथ ही अन्य देशी वस्तुओं मिलेट पर चर्चा है। इस चर्चा में मुख्य है बस्तर के काजू की। बस्तर प्रवास पर कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा ने काजू एवं मिलेट से बनी स्वादिष्ट वस्तुओं की स्वाद को जाना। व इसकी प्रशंसा की।
बारिश के बाद से ही यहां विभीन्न प्रकार के पौष्टिक व स्वादिष्ट मिलने वाली शाक सब्जियों,कंद,मूल तथा मशरूम के अतिरिक्त औषधीय महत्व के पौधों से मिलने वाली फुल और फल की ओर भारत ही नहीं आज विश्व आकृष्ट होता है।
वर्तमान की बात करें तो देश में सबसे मीठा और स्वादिष्ट के रूप में अपनी पहचान कायम रखी कांकेर सीताफल बाजारों में आने शुरू हो गये हैं। कांकेर जिले के प्रवेश द्वार चारामा से आगे बाबुकोहका,झिपाटोला,लखनपुरी,माकड़ी,जिला मुख्यालय कांकेर केशकाल के साथ ही आगे पूरे बस्तर में सीजन में यदि आप राजमार्ग 30 से गुजर रहे हैं तो सड़कों पर इन देशी चीजों को बेचती महिलाएं दिखायी देंगी।
बाहर से आवाजाही कर रहे लोग कार से उतर कर ये वस्तुएं खरीद रहे होते हैं। सीताफल के साथ जिमीकंद,डांगकंद सहित अन्य चीजें मिलती है। लेकिन पुनः बता दें कि इस बार मानसुन के आगमन से लेकर वर्तमान तक बारिश होने के चलते सीताफल का साईज छोटा हो गया है। इन दिनों पेड़ में ही ये सीताफल पक जाते थे, लेकिन इस बार उपलब्धता भी बहुत कम होने के चलते सीताफल का सीजन जल्द चला जायेगा।
बस्तर में मिलने वाली वस्तुओं में चार भी मुख्य है,जो अच्छी क्वालिटी की नामचीन मिठाईयों में डाला जाता है, यह भी बस्तर धरा की देन है। खाद्व चीजों की लंबी लिस्ट बनेगी अगर हम गिनाने बैठे तो। यही बात अन्न का भी है। सुगंधित अनाज जीरा राईस के साथ ही शुगर फ्री चांवल कोदो,कुटकी,राई मिलेट के नाम उपलब्ध है। अतीत में प्रमुखता से उपयोग किए जाने वाले अन्न आज आयुर्वेदिक स्वास्थयिक महत्व के नाम लोगों में जागरूकता के चलते मांग हो रहा है। इसके साथ ही अब अन्य कई नई चीजें भी उत्पादन की ओर अग्रसर है।