
वे सौदागर थे। रेखाचित्र – दिशाबोध संपादन – 1)काव्य धरोहर,2)जागो भारत
2) साहित्य सम्मान, वर्धा महाराष्ट्र में।
3) डाँ अम्बेडकर सम्मान
4) सफल सम्मान, जगदलपुर में।
5) अभिव्यक्ति सम्मान
6) न्यू ऋतंभरा साहित्य सम्मान ,दुर्ग में।
7) सृजन सम्मान, भिलाई में।
8) कलमकार मंच द्वारा सम्मान, बालोद में।
9) राजभाषा आयोग द्वारा सम्मान, रायपुर में।
10) रूम टू रीड इंडिया नई दिल्ली द्वारा सम्मान।
एवं अन्य विविध सम्मान।
”मेरा शहर शांत है”
मेरा शहर शांत है,
शहर के लोग शांत है,
चाहे सड़क बनाने के नाम से,
सड़क पर गड्ढे खोद दिये जाये,
उस पर बड़ी बड़ी गिट्टियाँ,
भर दी जाये,
और यूँ ही छोड़ दिये जाये,
पन्द्रह बीस दिनों तक,
बस यूँ ही,
शहर की गाड़ियों के पहिये,
चाहे क्षत विक्षत हो जाये,
चाहे कष्ट पाये ये,
दिन रात है,
मेरा शहर शांत है,
शहर के लोग शांत है।
सारे विकास कार्य,
कछुआ चाल है,
न गलती जनता की यहाँ,
कभी दाल है,
हर ओर बिखरा गंदगी का साम्राज्य है,
पशुएँ निगल रहे पाँलिथीन,
न किसी को परवाह हैं,
रास्ते रोक कर ठहाके लगाते हैं,
कितने बेपरवाह है सब,
यह बताते है,
पर इनके खिलाफ कुछ कहने की,
न कोई बात है,
मेरा शहर शांत है,
मेरे शहर के लोग शांत है।
शहर नेता विहीन नहीं है,
शहर पत्रकारिताहीन भी नहीं है,
शहर असंगठित भी नहीं,
शहर अशिक्षित भी नहीं,
शहर खामोश भी नहीं,
शहर बोलता है,
हाँ शहर बोलता है,
शहर खूब बोलता है,
वहाँ मदरालय के पास,
खूब भीड़ इकट्ठी होती है,
शहर खूब बोलता है,
मदहोश होकर बोलता है,
पर शब्द नहीं है यहाँ,
जहाँ विकास कार्य के पहिये,
थम से गये हैं,
कोई कुछ भी नहीं बोलता यहाँ,
मेरा शहर शांत है,
मेरे शहर के लोग शांत है।
बड़े नेक है,
साफ सुथरे दिल के,
नहीं करते क्रांति की आगाज,
मेरा शहर शांत है,
मेरे शहर के लोग शांत है।।