कविता काव्य देश

”मेरा अभिमान, भारतीय संविधान” श्रीमती जलेश्वरी गेंदले शिक्षिका साहित्यकार पथरिया(मुंगेली)छ.ग.

साहित्यकार परिचय
श्रीमती जलेश्वरी गेंदले
माता– पिता- श्री संतूराम बांधले (परिनिर्वाण प्राप्त)श्रीमती तीरिथ बांधले
पति का नाम –श्री दिनेश्वर गेंदले
संतति– पुत्र -आयुष गेंदले,आशुतोष गेंदले
जन्म– 30 मई 1982
शिक्षा- एम .ए .( हिंदी साहित्य), डी.एड.

प्रकाशन–
1.प्रथम काव्य संग्रह “चेतना के बीज” (स्वरचित)
2. साझा काव्य संग्रह – शोषण के विरुद्ध ,”माता-पिता” मेरी कलम से, अग्नीपथ के राही, सुन ..तेरे बिन सब सुन, राष्ट्रभक्त , हस्ताक्षर, जीवन एक सफर,

पत्र व पत्रिकाओं में प्रकाशन-
समतावादी कलमकार साहित्य शोध संस्थान भारत उत्तर प्रदेश, संवाद शक्ति, विवेक एक्सप्रेस हिंदी सप्ताहिक पत्रिका मुंबई, प्रबुद्ध विमर्श, बोधिसत्व बाबासाहेब टुडे मासिक पत्रिका, इंदौर समाचार, रेड हैंडेड, बयान,”नियमित चर्चा “छत्तीसगढ़ पत्रिका,

सम्मान व उपलब्धियां –
सम्यक आवाज काव्य सम्मान सम्यक संस्कृति अलीगढ़ , श्रेष्ठ संविधान प्रहरी सम्मान मानव धर्मी साहित्य सभा आजमगढ़ , डॉ.बी.आर. साहित्य सृजन सम्मान 2022, भीम अनुरागी सम्मान, अखंड भारत गौरव सम्मान, डॉ. भीमराव अंबेडकर रत्न सम्मान, श्रेष्ठ शिक्षा उत्प्रेरक विराट व्यक्तित्व सम्मान, देशभक्त कलमकार साहित्य सम्मान, गजल साधक, साहित्य दीपक, माता रमाबाई अंबेडकर साहित्य सम्मान , छत्रपति शाहूजी महाराज साहित्य सम्मान, तर्कशील साहित्यकार सम्मान, डॉक्टर अंबेडकर शिक्षक रत्न सम्मान,। महात्मा ज्योतिबा फुले सम्मान, श्रमिक गौरव सम्मान 2022, अंबेडकर रत्न सम्मान 2023, साउथ एशिया आइडल वूमेन अचीवमेंट अवॉर्ड 2023, कलमकार साहित्य सरगम सम्मान 2023 कलमकार अग्नीपथ सम्मान 2023, डॉ. अंबेडकर काव्य गौरव सम्मान, डॉ. अंबेडकर साहित्य गौरव सम्मान, सिंबल ऑफ द नॉलेज भीम राव अंबेडकर अवॉर्ड 2023, मुंशी प्रेमचंद्र रत्न साहित्य सम्मान 2023

संप्रति– शिक्षिका

संपर्क– पथरिया ,तहसील पथरिया, जिला मुंगेली
( छत्तीसगढ़)  पिन – 495335

 

 

”मेरा अभिमान भारतीय संविधान”

सुबह चिड़ियों की पहली चहकान में,
मेरी हर मुस्कान में,
मेरे सारे अरमान में,
मेरे ठाठ-बाट शान में,
बच्चों की बेफिक्री खेल के मैदान में।

प्यास के लिए मिले एक बूंद पानी में,
भूख लगे तो स्वादिष्ट भोजन में,
उड़ने के लिए खुले आसमान में
सांस के लिए मिले ताजी हवा में,
मेरी गीत ,गजल स्वतंत्र कविता में,
सफर के हर सुविधा में।

मेरे भविष्य को उज्जवल बनाने में,
शिक्षा के ज्योत से मिले ज्ञान में,
मुझे इंसान बन जीवन जीने के लिए मिले सम्मान में,
वैचारिक समाजिक परिवर्तन
क्रांतिकारी सोच से मिली संस्कार में,
बिना इसके जीवन जीना
मुझे नहीं लगता आसान
वो है मेरे भारत का संविधान।

हर पल हर क्षण में
ये सब मिलता
मेरे भारत के संविधान में
ना कोई ऊंच-नीच ना भेदभाव
जहां सभी जनों को मिलता सर्व सम्मान।
भारतीय नारियों को मिली सम्मान में
सोचती हूं संविधान निर्माता समता सोच रखने वाले
मेरे बाबा साहब कितना रहे होंगे महान।

उपकार है उन्हीं का मुझ पर
जो खिल रही होठों पर आज ये मुस्कान है।

आज उन्हें जाने पूरा सारा जहान
मेरा अभिमान भारतीय संविधान
 

 

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