”सेंसर’सी संवेदित स्त्री” श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)

श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)

”सेंसर’सी संवेदित स्त्री”
स्त्री इतना संवेदित है, कि वह प्रकृति में हर वातावरण को अच्छी तरह तत्काल समझ लेती है। गृहस्थ में पति के आफिस जाते या बाहर से आते ही भांप लेती है कि उनका दिमाग कैसा है। पति के मोबाईल से बात करते हुए देखकर ही समझ जाती है कि वह कहां किन विषयों पर बात कर रहे हैं। उनके बनायी सब्जी पसंद है,या नहीं यह भी जान जाती है।
भौतिक उपस्थिति पर इतना ही नहीं अपितु वह तो टीवी पर्दे पर देखते पति रूपी पात्र भीड़े भले ही उनकी पत्नी को न जानते हों लेकिन उसे देखने वाली महिलाएं बता देती है कि माधवी भाभी कैसी साड़ी पहनती है। किसी तकनीकी मशीन में लगे सेसर किट की तरह है वो।
किसी भी स्त्री मानसिक रूप से परेशान हो तभी उनका सेंसर काम न करता हो, जैसा कि किसी तकनीकी मशीन का सेंसर हीट होने पर काम नहीं करता। ठीक इनके साथ भी। इधर पुरूष उन्हें बुद्धु बनाने तुला रहता है। कई दफा ये पति अपनी पत्नियों को मोबाईल पर झूठी बातें करते रहते हैं। रहेंगे उसी नगर में और कहीं कार्य से बाहर जाने।
वाहन खराब होने,उनके मंगाए दुकान बंद होने जैसी न जाने क्या-क्या झूठ नहीं बोलते। कई लोग तो पत्नी के सामने इतने सीधे नजर आते हैं,मगर बाहर उतने सीधे नहीं होते। कई तो पत्नी और परिवार के बीच शुद्व शाकाहारी होने का ढोंग करते हैं,लेकिन बाहर में मित्रजनों के बीच न मांसाहारी खाते हैं,बल्कि इसके साथ पीते हैं।
ऐसी बात नहीं कि कोई भी स्त्री ये सब भी नहीं समझती। कई दफा तो सब समझते हुए चुप रहती है, जिसे देखकर पुरूष उन्हें बुद्वू समझता रहता है। अब उन्हें कौन समझाए कि तुम्हें समझने के लिए किसी स्त्री को दिमाग लगाने का भी जरूरत नहीं है। कौन उन्हें ये बतलाए कि तुम ज्यादा डेढ़ होशियारी मत दिखाओ तुम्हारी पत्नी बोलती नहीं इसका मतलब यह नहीं कि वो समझती नहीं है।