सोलह श्रृंगारों में एक ‘पति’ श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)

श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)
”सोलह श्रृंगारों में एक पति”
स्त्री के सोलह श्रृगारों में एक प्रमुख श्रृंगार पति है। पति के चले जाने के बाद कई श्रृंगारों में रौनकता नहीं होती। सही भी,जिसके नाम सजना संवरना होता था,अब पहले जो श्रृंगार किया करते थे,वे कुछ नीरस होंगे ही। पति के होते पत्नी के हाथों में पहनी जानी वाली हरी कांच की चुड़ियां भी शोभा पाती लेकिन पति के न होने पर सोने की चुड़ियां भी यदि पहन ली जाय तो टीस मार रही होती है।
एक स्त्री हमेशा ईश्वर से अपने सुहाग की रक्षा की दुआ मांगती है। कोई स्त्री नहीं चाहती कि इस दुनिया में उसका पति चले जाए। स्त्री हमेशा यही चाहती है कि वह ही पहले जाए। उसके जीते जी उसकी सुहाग न उजड़े। कितना ही पत्नी बाहर में अपने मायके में पति की यदि बुराई कर ले उनकी इज्जत,उनका मान सम्मान उसका पति ही है।
यदि कोई पति अपनी पत्नी को ताने मार रहा या कभी गाली भी दे दिया तो उसे भी सुनकर सह लेना चाहिए।जीवन के सभी गुणों में चाहे वह प्रेम क्यों न हो सहनशीलता सबसे प्रमुख गुण है,जिसके न होने पर आपका परिवार बिखर जाता है। यदि प्रेम रूपी गुण को लेकर चलें तो सोचिए प्रेम के चलते सुखी रह पाते परिवार चल पाता तो प्रेम विवाह करने वाले कितनों का विवाह नहीं टूटता।
प्रेम विवाह में बंधन टूट रहे हैं,इसका सीधा आशय है कि दरअसल उनके बीच प्रेम था ही नहीं। प्रेम कुछ रहा होगा तो प्रमुख बात सहनशीलता नहीं था। जीवन में हर पल पुरूष के सिर पर वजन डालना और बातों में उसकी महत्ता पर प्रश्न चिन्ह लगाना सही नहीं है। पति के रहते और उसके न होने पर जिंदगी निर्वहन में किस तरह कमी का दंश अंदर ही अंदर मथ रहा होता है,यह कोई संवेदना से भरा हुआ ही जाने।
भौतिकता की चकाचौंध में कपड़ों की तरह रिश्ते बदलने और भोग विलास खानपान,शराब में डुबे रहने वालों को भला आत्मिक शांति का अहसास भी कभी हो पाएगा? जो कि जीवन में प्रमुख चीज है। नहीं तो भोग विलास,खानपान पेट तृप्त कर दुनिया के अन्य जीव जंतु भी कर रहे हैं। कोई पति नाज नखरे दिखाता है, उनकी बातों और दिए गए आदेश से परेशानियां होती है,तो कोई पति यह उनकी पत्नी से प्रेम के चलते ही करता है,जहां प्रेम होगा वहां गुस्सा भी होगा।
सोलह श्रृंगार के साथ प्रमुख श्रृंगार आपकी सुहाग जो अहम है,उसका ख्याल रखें। भारतीय संस्कृति के त्यौहारों के दिन पति के लंबी उम्र की कामना करते पीपल के वृक्ष पर धागे लपेटने के साथ भौतिक रूप से अच्छा सलूक करें जहां आपमें सहनशीलता होगी तोे निश्चित रूप से सब ठीक ठाक रहेगा। वैसे स्त्री सहनशीलता की मूर्ति भी है। जीवन का सबसे विकट प्रसव पीड़ा जिसे कोई दूसरा अनुभव भी नहीं कर सकता लेकिन उनके लिए इसके बाद की खुशियां कितनी अतुलनीय होती है,यह वो सुख जिसे वह शब्दों में बयां नहीं कर सकती।