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राजिम में बौद्ध पूर्णिमा पर कवियों ने बिखेरी छटा

(मनोज जायसवाल)

राजिम(सशक्त हस्ताक्षर)। बौद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर अंचल के त्रिवेणी संगम साहित्य समिति के कवियों ने भव्य काव्य गोष्ठी का आयोजन गायत्री मंदिर परिसर राजिम में संपन्न हुआ। आयोजन में क्षेत्र के साहित्यकारों ने बढ़चढ कर हिस्सा लिया।

कार्यक्रम में सभापति के रूप में नरेंद्र पार्थ शिक्षक अभनपुर थे। कार्यक्रम में सर्वप्रथम माता सरस्वती के तेल चित्र पर एवं गौतम बुद्ध के पर चित्र पर चंदन वंदन माला अर्पण कर शुभारंभ किया गया।

सरस्वती पुत्रों ने कविता के रूप में छटा बिखरने की पूर्व रोहित साहू माधुर्य ने माता सरस्वती का वंदन गान प्रस्तुत किया तत्पश्चात युगल किशोर साहू मानस टिकाकार, ने रामचरित मानस के संकट मोचन हनुमान पर भक्तिमय, कविता की प्रस्तुती दे कर भाव विभोर कर दिया।

तत्पश्चात श्रवण कुमार साहू प्रखर ने संस्कार से संबंधित मन में रखो तुम शांति रिश्तो में ना हो भ्रांति… की पंक्तियों के साथ शानदार प्रस्तुति दी। छग्गूयास आडिल ने कहा, पहले के जैसे अब जिंदगी नहीं है। हम सही हैं या समय सही नहीं है, इस पंक्ति के माध्यम से समय की महत्ता को बखूबी रूप से प्रस्तुतिकरण किया। कोमल सिंह साहू ने बेटी पर जोरदार कविता पढ़ी।

मकसूदन राम साहू बरीवाला ने सामाजिक विषमता पर कविता पढ़ी भरत लाल साहू उर्फ प्रभु ने जल संरक्षण की महत्व जल की उपयोगिता पर कविता पड़ी तुषार शर्मा ने महाकाल भगवान शिव शंकर पर भक्तिमय कविता पढ़ी, किशोर निर्मलकर, गीतकार ने निंदिया उड़ा के चैन गवा के प्रेम रस की कविता पढ़ी। प्रिया देवांगन मॉ की आंचल मॉं की ममता सारे जग से न्यारी है जो सबसे ही प्यारी है मां पर कविता पढ़ी।

रोहित साहू माधुर्य ने पाषाण पत्थर की महिमा पर कविता पढ़ी डॉ रमेश कुमार सोनसायटी करमवीर से सम्मानित कवि ने पेड़ और पर्यावरण पर कविता पढ़ी नरेंद्र पार्थ साहू सभापति ने गौतम बुद्ध के के के संपूर्ण जीवन पर आधारित कविता पड़ी ार्यक्रम का संचालन, किशोर निर्मलकर गीतकार ने किया एवं आभार प्रदर्शन डॉ रमेश सोनसायटी ने किया।

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