”बस्तर बोडा के बाद अब फुटू की धमक”श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)

श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)

”बस्तर बोडा के बाद अब फुटू की धमक”
बस्तर संभाग में पहली बारिश के बाद उमस के कारण साल वृक्षों के नीचे उगने वाले बोड़ा के स्थानीय बाजारों में धूम मचाने के बाद अब इन इलाकों के बाजारों में मशरूम जिसे फुटू कहा जाता है के बाद फुटू की धमक दिखायी देने लगी है। अलसुबह बॉंबी जैसे जगहों से जहां जंगल में मच्छरों का प्रकोप झेलते संग्रह करना कम खतरनाक नहीं! जिसके चलते इसकी दर ज्यादा होती है। इसके स्वाद के क्या कहने जो सबकी पसंद होता है।
कांकेर,कोण्डागांव, बस्तर, दरभा क्षेत्र में बोडा के बाद अब बहुतायत रूप से फुटू की आवक होने लगी है। यही नहीं धमतरी बाजार में भी नगरी क्षेत्र से आने वाली फुटू की बिक्री देखी जा रही है। प्रोटीन एवं अन्य आवश्यक तत्व पाये जाने के चलते लोगों का रूझान मशरूम की ओर होता है।
मशरूम “कुकुरमुत्ता” नहीं अपितु फफूंदों का फलनकाय है, जो पौष्टिक, रोगरोधक, स्वादिष्ट तथा विशेष महक के कारण आधुनिक युग का एक महत्वपूर्ण खाद्य आहार है।सघन वनों के कारण भारतवर्ष में पर्याप्त प्राकृतिक मशरूम निकलता है। ग्रामीणजन इसका बड़े चाव से उपयोग करते है। उनकी मशरूम के प्रति विशेष रूचि है इसीलिये इन क्षेत्रों में व्यावसायिक स्तर पर उत्पादित आयस्टर एवं पैरा मशरूम की अधिक मांग है।
व्यावसायिक रूप से मशरूम का उत्पादन किया जाता है लेकिन प्राकृतिक मशरूम की बात ही अलग है। फुटू लोगों के बीच महत्व इतना है कि मत पूछो। स्थानीय इसे भिंभोरा फूटू भी कहते हैं,क्योंकि जो दीमग की बनायी मिट्टी के टीले पर उगते हैं। जहां इसे निकालने के लिए बडी हिम्मत चाहिए। क्योंकि इन स्थानों पर सांप का भी डेरा होता है।
पर्याप्त बारिश होने तथा धूप निकलने पर ज्यादा मात्रा में फुटू निकलने से स्थानीय बाजारों में इसी दर भी कम हो जाती है। इस बार 150 रूपये गुच्छी के हिसाब से फुटू अब भी मिल रहा है। पर्याप्त मात्रा में बाजारों में निकलने के बाद इसकी दर भी कम हो जाती है।
नोटः- कई दफा जहरीले मशरूम फुटू से लोगों की मौत की भी खबरें आ चुकी है। अतएव देखकर ही उपयोग किया जाना चाहिए। ज्यादा मात्रा में खा लेने पर दस्त होने की भी आशंका बनी होती है। यही स्थिति बोडा का भी है, जो कि देर से पाचन होता है। ज्यादा मात्रा में खा लेने पर पेट दर्द की आशंका बनी रहती है।