”गणेश को पसंद है‚नरम मोदक” श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर‚कांकेर (छ.ग.)
श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)

”गणेश को पसंद है‚नरम मोदक”
श्रीगणेश जी शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। उनका वाहन मूषक है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है।ज्योतिष में इनको केतु का देवता माना जाता है। हिन्दू शास्त्रो के अनुसार किसी भी कार्य के लिये प्रथम पूज्य है। इसलिए इन्हें आदिपूज्य भी कहते है।
गणेश जी को प्रसाद के रूप में मोदक सबसे प्रिय है। गणेश जी का मोदक प्रेम ऐसा है कि तस्वीरों में गणेश जी के एक हाथ में मोदक जरूर दिखता है। कुछ तस्वीरों में तो गणेश जी का वाहन मूषक भी गणेश जी के साथ मोदक खाता हुआ दिखायी देता है। देखें तो गणेश जी का एक दांत टूटा हुआ है इसलिए गणेश जी एकदंत कहलाते हैं। मोदक जिस साधन से भी बनाये मोदक मुलायम और आसानी से मुंह में घुल जाने वाला होना चाहिए इसे ध्यान में रख कर मोदक बनाया जाता हैै।
मोदक के मुलायम होने से अपने टूटे दांत होने पर भी गणेश जी इसे आसानी से खा लेते हैं। इसलिए गणेश जी को मोदक बेहद पसंद है। इसे ही ध्यान में रखते हुए मोदक का निर्माण किया जाता है। आपने देखा होगा कि मुंबई के श्री सिदधी विनायक मंदिर के प्रांगण में मिलने वाला मोदक इतना मुलायम होता है कि आपको यहां से दूर ले जाना हो तो सम्हाल कर ले जाना पडेगा। इतना स्वादिष्ट होता है कि आप स्वयं वहीं खाए बिना नहीं रहेंगे।
नये घर निर्माण व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में गणेश की मुर्ति का विशेष महत्व है। सही वास्तु मुताबिक स्थापित किये जाने पर बरकत आने की बात कही सुनी जाती है। घर में भगवान गणेश की बैठी मुद्रा में और दुकान या ऑफिस में खड़े गणपति की मूर्ति रखना बहुत ही शुभ माना जाता है। गणेशोत्सव में बच्चे खुब उत्साहित होते हैं। इसलिए इसे बच्चों के भगवान भी कहते हैं।
जगह जगह बाल गणेशोत्सव के पंडाल सभी लोगों को आकर्षित करते हैं। युं तो गणेश भगवान की मुर्ति कई रूपों में बनायी जाती है। पर कई दफा हम पाते हैं कि कोरी कल्पना करते हुए कुछ भी तरीके से मुर्ति बनायी जाती है वह उचित जान नहीं पडता।