रस्मो परंपराओं के बीच छत्तीसगढ में शादियां… श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)
श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)

रस्मो परंपराओं के बीच छत्तीसगढ में शादियां…
इस समय छत्तीसगढ में शादियों का दौर चल रहा है। आने वाले 11 तारीख तक काफी वैवाहिक लगन है,जिसमें शादियां हो रही है। छत्तीसगढ में शादी विवाह की परंपराएं संभवतः अन्य प्रदेशों से खास है। तीन दिनों तक चलने वाले इस समारोह में पल पल रस्म एवं परंपराएं निभायी जाती है।
हर रस्म का अपना अलग ही महत्व है और छत्तीसगढी लोक धुन में हर रस्म अदायगी के अलग अलग धुन हैं। छत्तीसगढी लोकगीत इन खास अवसरों पर गाये जाते हैं। इन शादियों में सर्वप्रथम परंपरा शुरूआत के दिन मडंपाच्छादन के बाद चुलमाटी एवं तेल माटी से आरंभ होता है। लडका शादी में बारात प्रस्थान और लडकी शादी में बारात आगमन की तिथि यानि पाणिग्रहण का विशेष महत्व होता है। सीधे तौर पर संक्षेप में कहें तो पाणिग्रहण ही असल में विवाह गठबंधन में जोडियां बंधती है।
दुल्हे राजा के साथ जब गांव में बारात का आगमन होता है तो सर्वप्रथम बारात परघानी रस्म निभायी जाती हैॉ जहां दुल्हन एवं दुल्हे पक्ष के दोनों समधी एवं अन्य लोग समधी भेंट करते हैं। इसके बाद गाजेबाजे के साथ बरात के साथ नाचते गाते गांव में दुल्हे का स्वागत होता है और वधू के घर के सामने बांस से बनी टोकरीनुमा जिसे पर्रा कहा जाता है दुल्हन के घर के लोग आंगन में दरवाजे के सामने इसी पर्रे को लेकर खडे होते हैं। इधर बालिकाएं सिर में कलशा प्रज्जवलित किए खडी रहती है।
दुल्हा आकर एक छडी से इसी पर्रे को डंडी से छुता है। और वापस जहां बारातियों को डेरा दिया जाता है वहां जाते हैं। खान पान कराया जाता है। इसके बाद लालभाजी की रस्म निभायी जाती है जहां दुल्हे की सालियां या रिश्ते में जिससे बनता है वो आकर लाल भाजी की रस्म के रूप में दुल्हे के होंठ को छुआ कर पान भी खिलायी जाती है।
देर संध्या गोधुली बेला में पाणिग्रहण होता है जहां सात फेरे लिए जाते हैं और देर रात्रि तक बेटी की विदाई हो जाती है। दूसरे दिन जब लडके के घर में रिसेप्शन रखी जाती है इसी अवसर पर वधू पक्ष के लोग चौथिया जाते हैं जहां समधन भेंट किया जाता है।
एक बात तो और मुख्य है कि शादी समारोह में जिन घरों मे शादियां होती है दूर दूर तक सभी रितों को मिलन भी होता है। यही कारण है कि अपनी अपनी हैसियत मुताबिक कपडे साडियां भी परिजनों को उनके वापसी के वक्त भेंट भी की जाती है। इसके साथ कई लोग स्वेच्छानुसार शादी में काम करने वाले अन्य लोगों को भी चीजें भेंट करते हैंॉजिन्होंने विवाह निर्वघ्न सम्पन्न कराने में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से अपनी सेवाएं दी।