”काबिलियत तराशें” श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)
श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)

दुनियां वाहवाही में जी रही है। सबको पद और पावर चाहिए। राजनीतिक क्षेत्र में तो अंधी दौड इतना है कि चुनाव जीतने के बाद लोग अपनों को भुला बैठे हैं। कुछ लोगों ने बडा मकान बना लिए, बडा आदमी कहला रहे हैं,लेकिन दिल इतना छोटा हो गया है कि दुसरों को तुच्छ दृष्टि से देख रहे हैं। पद,पावर,प्रतिष्ठा का दौड इतना है कि सार्वजनिक मंचों पर अपने तथाकथित जिन्हें ये अपना बॉस के नाम मानते हैं,उनके आगे पीछे पिछलग्गू बन कर आगे पीछे होते रहते हैं, यही इनकी पहचान है,जो एक दिन इन्हें आगे बढाएगा। आप गंभीरतापूर्वक विचार करें कि जीवन में जो कुछ कार्य कर रहे हैं,समय बीता रहे हैं,वो आपको आपके जीवन में आजीविका के क्षेत्र में मुकाम दिला सकती है कि नहीं।
अपने रिश्तेदारों को भूल जाएं लेकिन तथाकथित बॉस इनके लिए सबकुछ है। लेकिन यह क्यों भूल जाते हैं कि चाहे सियासी क्षेत्र हो या दौलत के क्षेत्र में दुःखद अंत होता है। बडे पद,पावर वाले भी ऐसे चले जाते हैं कि अंतिम समय में उन्हें लोग नहीं जान पाते कि वे तो दुनियां से चले गये।
लोग यह भूल चुके हैं कि विद्या सबसे बडा धन है। कुछ लोग अर्थ से जुझते कलमकारों को गरीब मानते हैं,अब उन्हें कौन बताए कि उनके पास विद्या रूपी धन कितना बडा धन है। उन्हें कागज के रूपये ही दरअसल धन नजर आता है। जिनकी कंठ मधुर हो,जिनकी कई क्षेत्रों में प्रतिभा हो वो क्या धन नहीं है? समाज में शिक्षा जरूरी है,आजीविका के लिए अपने काबिलियत के अनुसार जो कार्य करे। यदि आपमें काबिलियत है,तो धन कमाने के कोई माध्यम बंद हो जाए तो भी आप अपने प्रतिभा की बदौलत ससम्मान जीवनयापन कर सकते हैं।
लेकिन बडी विडंबना है कि लोगों की मानसिकता इस बात का है कि उनका पुत्र किसी के पास काम पर लग जाये। छात्र जब फैल हो जाता है तो निश्चित रूप से हतोत्साहित हो जाता है,ऐसे ही आप भी अपने आजीविका के कार्य में हो जाते हैं,लेकिन हार ना मानते आप सघर्ष पर आगे बढते रहे तो एक दिन सफलता कदम जरूर चुमती है।
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