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कई प्रतिभाएं मंच तक नहीं आ पाती (मनोज जायसवाल, संपादक सशक्त हस्ताक्षर छ.ग.)

 
ठीक है, छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद बहुतायत रूप से यहां के प्रतिभाओं ने अपना लोहा मनवाते अपनी उत्कृष्ट कला का प्रदर्शन किया। सब अपनी विधा का प्रदर्शन चाहते हैं। उन्हें सबसे पहले अपनी विधा को स्थान चाहिए। अर्थ उपार्जन तो उन्हें करना है, वह बाद में भी कर सकते हैं।
अपना नाम तो स्थापित हो जाए। ऐसा कुछ हद तक कुछ के साथ हुआ भी। सोशल प्लेटफार्म भी उन्हें कम से कम अपने नाम के प्रसार के लिए बेहतर पटल साबित हुआ। बतौर कई प्रतिभाओं ने जो नगरीय क्षेत्रों से दूर सुदूर क्षेत्रों में निवासरत हैं,स्टूडियो सहित अन्य सुविधाओं से महरूम होने के चलते बीच में ही दम तोड़ती भी दिखी। कई प्रतिभाएं जिन्होंने फिल्म निर्माण के समय एवं मंचों पर भी अग्रणी रहे उन्होंने अपनी आजीविका के चलते कला जगत तो छोड़ा पर अथक संघर्ष करते अपनी कला बनाये रखी।
तो इनमें से कई ऐसे भी हैं,जिन्होंने अपनी आजीविका सरकारी या निजी सेवा में चले गए और उन्होंने इस लाईन से पुर्णतः किनारा कर लिया। हालांकि ये प्रतिभाएं कला जगत से अपने बच्चों को या अन्य लोगों को जरूर जुड़ाव के लिए सहयोग कर रहे होते दिखते हैं। मुख्यतः आजीविका जो उस लाईन में अपनी प्रतिभा को जारी रखने के लिए अहम होता है,इसके चलते प्रतिभाएं दूर जाती है, यह कटू सत्य साबित हो रहा है कि मुख्य रूप से इस प्रोफेशन के लिए आपकी मूल आजीविका के लिए जाब जरूरी है। भविष्य में एक समय वह भी आयेगा जब इन प्रतिभाओं की आमदानी इससे भी होने लगेगी।
अभी किसी मंच के लिए साउंड सिस्टम,आवाजाही से लेकर जितना खर्च होता है,दरअसल सरकारी सहयोग के बावजूद उतना संतुष्टिदायक नहीं है। कई दफा तो मंच पर प्रस्तुती दिए कईयों दिन गुजर जाते हैं और उनकी मेहनताना नहीं मिलती। प्रतिभाओं के हतोत्साहित होने के कई कारण है। वर्तमान कोरोना काल का दंश भी किस तरह झेल रहे यह बताने की जरूरत नहीं है,जब मैंने पिछली बात एक पोस्ट में एक निर्माता को जगदलपूर से रायपुर तक पैदल आने और जेब में 10 रूपये नहीं होने की बात बतायी थी।
उनका तन,मन,धन लुटा चुके उनके मुंह से यह सुना था कि इस जाब में आकर ठीक न किया। यह उनके मूल आजीविका किसी निजी या सरकारी सेवा में नहीं होने के चलते ही संभवतया हुआ। हमारा अर्थ उपार्जन का क्षेत्र कहीं से जुड़ा हो तब ठीक है, वरना कम से कम वर्तमान में संघर्षरत आगे आ रहे प्रतिभाओं के लिए कम पीड़ाजनक नहीं है।

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