कविता काव्य देश

‘बदले हैं भूगाेल’ श्री उपेन्द्र पांडेय अखिल भारतीय कवि आगरा उत्तरप्रदेश

साहित्यकार परिचय – श्री उपेन्द्र पाण्डेय
जन्म- 29 जून 1942,उत्तरप्रदेश के आगरा जिले के एक छोटे से गांव, तालगांव में
माता-पिता- श्रीमती गंगादेवी पाण्डेय,श्री नारायण दास पाण्डेय
शिक्षा- एम.ए.(अंग्रेजी,इतिहास)बी.एड.
प्रकाशन- आस्था के दीप(गीत संग्रह)पनघट रीत गए(गीत संग्रह) चांदनी पीकर जरा सी देखिये(गजल संग्रह) देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से प्रसारण।
सम्मान- वर्ष 1993 में महामहिम राज्यपाल द्वारा सार्वजनिक सम्मान, राजमल पवैया पुरस्कार(गजल संग्रह पर) विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
पुरस्कार से सम्मानित। वर्ष्1994 में महामहिम राज्यपाल द्वारा सार्वजनिक सम्मान।
सम्प्रति- म.प्र. आदिम जाति कल्याण विभाग में उच्चाधिकारी पद से सेवानिवृत्ति के बाद साहित्य-साधना में निरत।
सम्पर्क- एच.आई.जी.(डीलक्स)-30 कटारा हिल्स बाग मुगालिया, भोपाल(म.प्र.) 462043

 

‘बदले हैं भूगोल’

बदले हैं भूगोल, व्याकरण बदले बोली के
सिर्फ दिखावे वाले अपने विनय-प्रणाम हुये।।
शब्दों के सन्दर्भ कटे हैं,
अर्थ अजूबे हैं

आतंकी आचरण,प्रीति की
गुमसुम चौपालें
सड़कों पर पूरे होते
खूनी मंसूबे हैं।
होते ही आगाज रोशनी के अंजाम हुए।।

खुश्बू के मौसम खोये हैं
कितने सालों से
आंखे प्यासी,होंठ हो गये
दूर निवालों से।

सौंपी जिन्हें धरोहर आजादी
की हम-तुमने
आज वही लुट रही भरोसे
के घरवालों से।
मर्यादाएं मरीं,पहरूए बिना लगाम हुए।।

व्यस्त रहें दीवारें बढ़कर
रोज विखण्डन में
सांपों की कोशिश विष सीचें
कैसे चन्दन में।

पूरब की आंखों में पश्चिम
धूल झाोंकता है।
नफरत आग लगाती प्रतिदिन
इस नन्दन वन में।
फूलों से रिश्ते बहार के अब बदनाम हुए।।

 

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