कविता

”बस्तर के माटी” श्री राजेन्द्रप्रसाद सिन्हा शिक्षक साहित्यकार धमतरी छत्तीसगढ

साहित्यकार परिचय-श्री राजेन्द्र प्रसाद सिन्हा पत्नी श्रीमती पुष्पा सिन्हा
जन्म- 16 सितंबर 1965 डेढ़कोहका,तह.चारामा जिला-कांकेर छ.ग.
माता-पिता –स्व.श्री काशी राम सिन्हा,श्रीमती कसौंदा देवी सिन्हा
शिक्षा- एम.ए.(हिन्दी,संस्कृत,समाज शास्त्र,बीटीआई)
प्रकाशन- स्थानीय दैनिक,साप्ताहिक,मासिक पत्र पत्रिकाओं में कविता व सम सामयिक लेख।
माटी करे अंजोर,मोर मयारू दावना,नवा किरण,छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक लोक कला मंचों में उद्घोषक/गायक के रूप में योगदान। हिन्दी काव्य संग्रह पावस की रात। छत्तीसगढी काव्य संग्रह पीरा।  छत्तीसगढी गीत कविता व दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में प्रसारण। अप्रकाशित ग्रंथ-छत्तीसगढी नाटक,हिन्दी में काव्य संग्रह।

सम्मान- राष्ट्रपति पुरस्कार,राज्यपाल पुरस्कार,इण्डो नेपाल पुरस्कार,डाॅ.भीमराव अंबेडकर फेलोषिप अवार्ड दिल्ली,
जय जगत केसरी पुरकार,अ.भा.कला साहित्य एवं संस्कृति अकादमी वर्धा महाराष्ट्र
ज्वेल आफ इंडिया पुरस्कार,शिक्षक रत्न समरसता स्वतंत्र मंच दिल्ली,समाज गौरव सम्मान,नवोदित रचनाकार सम्मान,उत्कृष्ट  शिक्षक सम्मान, समाज गौरव सम्मान कोरर भानुप्रतापपुर,डाॅ.भीमराव अंबेडकर विशिष्ट सेवा सम्मान धमतरी,काव्यभूषण सम्मान,उत्कृष्ट सेवा के लिए सामाजिक सम्मान कांकेर,कलार समाज रत्न सम्मान कलार महोत्सव धमतरी, छत्तीसगढ कलार समाज सम्मान आलेखूंटा रायपुर, पर्यावरण पुरस्कार मगरलोड धमतरी

 

”बस्तर के माटी”

भारत माता के हिरदे म
छत्तीसगढ़ के परबत घाटी।
माई दन्तेश्वरी के अंगना हे
कहिथे जेला बस्तर के माटी।।

कोयली कस गुरतुर हावे
तीज तिहार बोली ठिठोली
गोंचा,दशहरा,रथदूत होथे
माटी तिहार,पोरा,हरेली

जिहां के मनखे निच्चट सिधवा
जांगर उंकर हावे लोहाटी।।
देवताधामी गली खोर म
भेद करइया चारो कोती

करिया बादर कस घुमड़त
नदिया,पहाड़,बैलाडीला घाटी
नफरत,सुवारथ के आगी म
सुलगत हे बस्तर के माटी।।

चित्रकुट तीरथगढ़ परपात
इन्द्रावती के निरमल पानी
बघवा,बनभैंसा,अऊ हिरना
छेल्ला घूमत पीथे संघरा पानी

चूना पथरा के खंभा खड़े हे
जिहां हे कुटुमसर गुफा, कांगेर घाटी।।
तिखुर मड़िया जीर्रा के गुन
देस भर म गजब सुहाथे

सरई सइगोना बेटा बरोबर
परदेस के धन अब्बड़ कमाथे
प्रवीरचंद,गुंडाधुर शहीद के
हावय जेहर बलिदानी माटी।।

LEAVE A RESPONSE

error: Content is protected !!