कविता

”गांधी के गांव” श्री महेन्द्र कश्यप ‘राही’ वरिष्ठ साहित्यकार,कवि छाती,कुरूद धमतरी छत्तीसगढ़

साहित्यकार परिचय-

डाॅ. महेन्द्र कश्यप ‘राही’
जन्म- 25 सितंबर 1933 ग्राम तरेसर,थाना-धरसींवा,जिला-रायपुर(छत्तीसगढ़)
माता-पिता – स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व.श्री भुजबल सिंह कश्यप, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व.श्रीमती बेला बाई कश्यप

शिक्षा- एल.ए.पी.(आयुर्वेद)
प्रकाशन- स्थानीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन
सम्मान- छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग सहित विभिन्न साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
उपाध्यक्ष-जनवादी लेखक संघ की भेल इकाई।
सम्पर्क- ग्राम.पो.-छाती(कुरूद) जिला-धमतरी(छत्तीसगढ)

 

 

”गांधी के गांव”

ए सुराज ले पी के जहर मरना बने हे।
गुंगवात मन के आगी ले बरना बने हे।

राजघाट में सुते हावय
गांधी के सुंदर सपना
सिर मिट लोहा पथरा कारण
गांव तोला परही हटना

गांव गंवागे धुंगिया में करखाना बने हे।
ए सुराज ले पी के जहर मरना बने हे।

रेाजी रोटी कपड़ बर अब
तरस तरस मरना परही
समाजवादी शिलान्यास बर
कुटिया ला हटना परही

प्रजातंत्र के छाती में कस गोली तने हे।
ए सुराज ला पी के जहर मरना बने हे।

जांगर टोरय भुइया फोरय
ते मन बनिन हेरौठा
मोर गांव बर उमिया गेहे
संगी बिड़ला-टाटा

छुरी मार गिरावय आंसु नेता बने हे।
ए सुराज ले पी के जहर मरना बने हे।

का तुमन ए देश में अब तक
सुने हव कोइ्र शहर उठे
का कारन हे, फकत गांव बर,
हाबय ए सरकार रूठे,

सेवाग्राम हुहु नई बांचस, योजना बने हे।
ए सुराज ले पी के जहर मरना बने हे।

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