कविता

”खो गई -देश” की शान श्री जयप्रकाश सूर्यवंशी ‘किरण’ वरिष्ठ साहित्यकार बैतुल म.प्र.

साहित्यकार परिचय- श्री जयप्रकाश सूर्यवंशी ‘किरण’

जन्म- 25 जनवरी 1949 भयावाडी,बैतुल(म.प्र.)

माता,पिता- श्री बाबूलाल जी सूर्यवंशी, श्रीमती देवकी बाई सूर्यवंशी पत्नी-श्रीमती शारदा सूर्यवंशी

प्रकाशन –किरण की यादें(काव्य संग्रह)किरण की संवेदना(लघुकथा संग्रह)जीवन का संघ्(आत्मकथा)बिखरे मोती (अनमोल वचन-संकलन)योग विधा पर-योग दर्शन। (साझा संकलन)- आठ साझा संकलनों में रचनाओ का प्रकाशन।

सम्मान-करीबन 25 सम्मान प्राप्त।पत्र पत्रिकाओं में नियमित रचनाएं प्रकाशित
साहित्य, समाज, योग में अभिरुचि। प्रचार प्रसार समाज सेवा। योग संचालन

सम्प्रति-भारतीय रेल सेवा से निवृत्त वरिष्ठ साहित्यकार।

सम्पर्क-साकेत नगर 107 पोस्ट भगवान नगर महाराष्ट्र 440027 मोबाइल क्र.9423126211

 

”खो गई -देश की शान”

लता दीदी ,देश की शान थी
संगीत की आत्मा आवाज थी।

तुम देवी सरस्वती का रूप थी,
संगीत गीत की एक जान थी,
स्वर की कोकिला तुम नहीं रहीं
संगीत को देने वाली प्राण थी।

देश भक्ति की समर्पित आस्था थी
इस देश की गौरव , गरिमा थी
हो गई पंचतत्व में तुम विलीन
हर गली आज सुनसान थी।

मानो आज सितारा खो गया है।
देखते ही माटी में विलीन हो गया
सूना है आज हर कोना कोना
आज भारत मानो विरान हो गया।

करते हैं अर्पित हम श्रद्धा सुमन
तुम्हें करते हैं शत् शत् नमन
हो गया है आज गमगीन भारत
तुम सात सुरों की तान थी।

लता दीदी इस देश की शान थी
संगीत दुनिया की आन,बान थी।

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