आलेख

भावनात्मक डायलाग जो भूले नहीं भुलाये जा सकते श्री मनोज जायसवाल,संपादक सशक्त हस्ताक्षर छ.ग.

‘प्रेम रोग’ के एक दृश्य में जब नायिका कहती है कि उनके पैर में कांटा चुभने पर नायक द्वारा निकाले जाने का प्रयास करता है तब वह इससे स्वयं को दूर रखते अपने विधवा होने का याद दिलाती है कहती है बहुत जिद करते हो देव। इस बीच वह उत्तर देता है तुमने जो करनी छोड़ दी। ऐसे भावनात्मक पहलुओं को किस कदर राजकपुर ने रूह से महसुस करते अलापा।
डायरेक्टर राजकपूर की 85 के दशक की फिल्म राम तेरी गंगा मैली में भी कुछ ऐसी भावनात्मक सीन देखने मिला जहां फिल्म के प्रारंभ में ही छात्रों का समूह गंगा नदी के उद्गगम के अध्ययन के लिए जाता है जहां नायक अपनी दादी मां के लिए पवित्र गंगा जल भी लेने आया है,पहाड़न अभिनेत्री गंगा से आकर्षित होता है। इस दरम्यान दाेनों एक दूसरे की ओर आकर्शित होते हैं,अगली पूरनमासी पर शादी कर लेते हैं। नायक वापस चला जाता है आने का वादा करते लेकिन नहीं आता।
फिल्म का लीड कर रहे राजीव कपूर-नरेंद्र,मंदाकिनी ने जीवंत एवं सशक्त भुमिका निभायी। इसके साथ ही दिव्या राणा,सईद जाफरी,,कुलभूषण खरबंदा,रजा मुराद,सुषमा सेठ,गीता सिद्धार्थ,त्रिलोक कपूर आदि कलाकारों की भुमिका की आज भी लोग कायल हैं। निर्माता के.सी बोकाडिया तथा विजय सदाना के निर्देशन में बनी 1985 के दशक की फिल्म प्यार झूकता नहीं जो मिथुन चक्रवर्ती एवं पद्मनी कोल्हापुरे ने लीड भुमिका निभायी के डायलाग आज भी दर्शकाें को कायल कर देता है।1996 के दशक में राजीव कपूर द्वारा निर्देशित एवं आर.के.फिल्म द्वारा निर्मित फिल्म प्रेम ग्रंथ जैसी सफल फिल्मों की कहानी एवं डायलाग भावनाओं से भर देते हैं।

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