आज से नवरात्रि प्रारंभ हो रही है,इसके साथ जसगीत गायन भी पूरे नौ-दिन चलेगा। छत्तीसगढ़ का लोक जीवन लोक गीतों के बगैर अधुरा सा है। लोक जीवन में यहां हर रस्म परंपराओं के बीच लोक गीतों का प्रचलन है,जिससे उसकी पहचान होती है। लोक गीतों में माता सेवा जस गीत भी अहम है। ओजपुर्ण स्वर में माता को पारंपरिक वाद्य यंत्रों के खुश करते गायन की जाती है। सीधे अर्थों में मूल रूप से देखें तो जसगीत में माता की स्तुती,आराधना की जाती है।जसगीत अतीत में भी लिखी और गायी जाती रही है।छत्तीसगढ़ के चहूंकोने में माता रानी विराजमान है। माता के कई भक्त जो अतीत में जसगीत लिखे और स्वर दिया कई आज वे नहीं है, लेकिन उनके लिखे जसगीत साल में दो बार आने वाले नवरात्रि पर्व के साथ भक्तों द्वारा अन्य अवसरों पर भी सुने जाते हैं।
वर्तमान में छत्तीसगढ़ में लोक जसगीत गायन गायक गायिकाओं में अलका चंद्राकर,दुकालू यादव जैसे नाम अग्रणी हैं। जिनके स्वरों की गुंज हर नवरात्रि पर्व पर गुंजायमान होती है। दशक में देखा गया है कि हर नवरात्रि नये एलबम भी आते रहे हैं,जिसे लोग सर्वाधिक रूप से पसंद करते हैं। छत्तीसगढ़ में लोक सांस्कृतिक आयोजन की शुरूआत भी माता जस गीत से की जाती है। जसगीत गायन की बात करें तो यहां गांव गांव जसगीत गायक एवं टोलियां न अपने गांव में अपितु शक्ति स्थलों मंदिरों के प्रागण में गायन करते हैं। न पुर्व में बने जसगीतों अपितु स्वयं भी मौलिक रूप से जसगीत तैयार कर अपनी प्रस्तुती देते हैं। बताते चलें जसगीत का प्रभाव इतना होता है कि व्रतधारी कई महिला या पुरूषों पर देवी सवार हो जाती है।
तपस्या भी इतनी कि कई निर्जला व्रत करते हैं कोई मुक जिसमें नौ दिन बात नहीं किया जाता, तो ज्योति को शरीर पर धारण कर तो सड़कों पर घिसटते हुए मंदिरों तक चला जाता है। दिनों दिन महंगाई की मार लोगों पर है, पर देवी शक्तिपीठ मंदिरों में में देखी जाय तो आस्था की ज्योत पर महंगाई का असर नहीं पड़ा है,ज्योति की संख्या बढ़ते क्रम में है। बीते करोना काल में देवी मंदिरों में ज्योत नहीं जलाई गई थी,लेकिन अब पूर्व की तरह जगमग जगमग दिखायी दे रही है। हां ज्योत जलाये जाने हेतु सहयोग राशि बढ़ा दी गई है। छत्तीसगढ़ के प्रमुख देवी स्थलों में एक मां अंगारमोती में इस बार तेल ज्योत के लिए 1101 रूपये का सहयोग राशि रखी गई है,जहां घृत ज्योत की राशि ज्यादा है। मां अंगारमोती मंदिर देश के कच्ची बांधो में शुमार छत्तीसगढ़ के राजमार्ग 30 धमतरी जिला मुख्यालय से लगा है,जहां पं. रविशंकर जलाशय परियोजना जो कि छत्तीसगढ़ की जीवनरेखा मानी जाती है,जिसे देखने आनंद लेने और मंदिर में आस्था का मत्था टेकने जरूर लोग आते हैं। इस वर्ष पर्याप्त जलरश्मि होने से लोग आनंदित हैं।