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‘ हिन्दी काव्य में सामाजिक जीवन से प्राप्त शकुनापशकुन’ डॉ. रामायण प्रसाद टण्डन विभागाध्यक्ष हिन्दी,वरिष्ठ साहित्यकार कांकेर छ.ग.

साहित्यकार परिचय- डॉ. रामायण प्रसाद टण्डन

जन्म तिथि-09 दिसंबर 1965 नवापारा जिला-बिलासपुर (म0प्र0) वर्तमान जिला-कोरबा (छ.ग.)

शिक्षा-एम.ए.एम.फिल.पी-एच.डी.(हिन्दी)

माता/पिता –स्व. श्री बाबूलाल टण्डन-श्रीमती सुहावन टण्डन

प्रकाशन –  हिन्दी साहित्य को समर्पित डॉ.रामायण प्रसाद टण्डन जी भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में हिन्दी के स्तंभ कहे जाते हैं। हिन्दी की जितनी सेवा उन्होंने शिक्षक के रूप में की उतनी ही सेवा एक लेखक, कवि और एक शोधकर्ता के रूप में भी उनकी लिखी पुस्तकों में-1. संत गुरू घासीदास की सतवाणी 2. भारतीय समाज में अंधविश्वास और नारी उत्पीड़न 3. समकालीन उपन्यासों में व्यक्त नारी यातना 4. समता की चाह: नारी और दलित साहित्य 5. दलित साहित्य समकालीन विमर्श 6. कथा-रस 7. दलित साहित्य समकालीन विमर्श का समीक्षात्मक विवेचन 8. हिन्दी साहित्य के इतिहास का अनुसंधान परक अध्ययन 9. भारतभूमि में सतनाम आंदोलन की प्रासंगिकता: तब भी और अब भी (सतक्रांति के पुरोधा गुरू घासीदास जी एवं गुरू बालकदास जी) 10. भारतीय साहित्य: एक शोधात्मक अध्ययन 11. राजा गुरू बालकदास जी (खण्ड काव्य) प्रमुख हैं। 12. सहोद्रा माता (खण्ड काव्य) और 13. गुरू अमरदास (खण्ड काव्य) प्रकाशनाधीन हैं। इसके अलावा देश के उच्च स्तरीय प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी सेमिनार में अब तक कुल 257 शोधात्मक लेख, आलेख, समीक्षा, चिंतन, विविधा तथा 60 से भी अधिक शोध पत्र प्रकाशित हैं। आप महाविद्यालय वार्षिक पत्रिका ‘‘उन्मेष’’ के संपादक एवं ‘‘सतनाम संदेश’’ मासिक पत्रिका के सह-संपादक भी हैं। मथुरा उत्त्र प्रदेश से प्रकाशित मासिक पत्रिका ‘‘डिप्रेस्ड एक्सप्रेस’’ राष्ट्रीय स्तरीय पत्रिका हिन्दी मासिक के संरक्षक तथा ‘‘बहुजन संगठन बुलेटिन’’ हिन्दी मासिक पत्रिका के सह-संपादक तथा ‘‘सत्यदीप ‘आभा’ मासिक हिन्दी पत्रिका के सह-संपादक, साथ ही 10 दिसम्बर 2000 से निरंतर संगत साहित्य परिषद एवं पाठक मंच कांकेर छ.ग और अप्रैल 1996 से निरंतर जिला अध्यक्ष-पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजनपीठ कांकेर छ.ग. और साथ ही 27 मार्च 2008 से भारतीय दलित साहित्य अकादमी कांकेर जिला-उत्तर बस्तर कांकेर छ.ग. और अभी वर्तमान में ‘‘इंडियन सतनामी समाज ऑर्गनाईजेशन’’ (अधिकारी/कर्मचारी प्रकोष्ठ) के प्रदेश उपाध्यक्ष.के रूप में निरंतर कार्यरत भी हैं।

पुरस्कार/सम्मान1-American biographical Institute for prestigious fite *Man of the year award 2004*research board of advisors (member since 2005 certificate received)

2. मानव कल्याण सेवा सम्मान 2005 भारतीय दलित साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ 3. बहुजन संगठक अवार्ड 2008 भारतीय दलित साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ 4. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी  स्मृति प्रोत्साहन पुरस्कार 2007(बख्शी जयंती समारोह में महामहिम राज्यपाल श्री ई.एस.एल. नरसिंम्हन जी के कर कमलों से सम्मानित। इनके अलावा लगभग दो दर्जन से भी अधिक संस्थाओं द्वारा आप सम्मानित हो चुके हैं।) उल्लेखनीय बातें यह है कि आप विदेश यात्रा भी कर चुके हैं जिसमें 11वां विश्व हिन्दी सम्मेलन मॉरीसस 16 से 18 अगस्त 2018 को बस्तर संभाग के छत्तीसगढ़ भारत की ओर से प्रतिनिधित्व करते हुए तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेकर प्रशस्ति-पत्र प्रतीक चिन्ह आदि से सम्मानित हुए हैं।

सम्प्रति – प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, शोध-निर्देशक (हिन्दी) शासकीय इन्दरू केंवट कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय कांकेर, जिला-  कांकेर (छत्तीसगढ़) में अध्यापनरत हैं। तथा वर्तमान में शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय बस्तर जगदलपुर छत्तीसगढ़ की ओर से हिन्दी अध्ययन मण्डल के ‘‘अध्यक्ष’’ के रूप में मनोनित होकर निरंतर कार्यरत भी हैं।

सम्पर्क  –मकान नं.90, आदर्श नगर कांकेर, जिला-उत्त्र बस्तर कांकेर, छत्तीसगढ़ पिन-494-334 चलभाष-9424289312/8319332002

 

‘‘ हिन्दी साहित्य में शकुन एवं अपशकुन का राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक प्रदेय ’’

(विशेष टीप-यों तो दुनियां के तमाम लोगों में किसी न किसी तरह से कुछ-कुछ मान्यताएं उनमें शकुन-अपशकुन वाली धारणाएं विद्यमान हैं। किन्तु भारतभूमि के रहने वाले अर्थात् भारतीय समाज में प्रारंभिक दौर से ही अनेक प्रकार की मान्यताएं, रीति-रिवाज, रूढिवादिता, परंपराएं, अंधविश्वास, पाखण्ड तो चलता रहा है और आज भी पढ़-लिखकर भी इन्हीं सब मान्यताओं और परंपराओं से घिरे हुए अपना जीवन व्यतीत करने को मजबूर भी हैं। यहां पर उल्लेखित है कि- मेरा यह अनुसंधान परक लेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसे सामान्य जनरूचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है। कृपया इस लेख पर पूर्णतः विश्वास करना बिल्कुल भी गलत होगा। अतः इसे वैज्ञानिक और प्रमाणिक समझने की भूल न करें।)

शकुन समाज में प्रचलित एक अवधारणा है जिसमें यह माना जाता है कि कुछ विशेष प्रकार की परिघटनाएं हमारे भविष्य का संकेत देती हैं। अनुकूल भविष्यवाणी करने वाले शकुनों को शुभ शकुन तथा प्रतिकूल भविष्यवाणी करने वाले शकुनों को अपशकुन कहा जाता है। न केवल भारत में अपितु विश्व भर में ये शकुन प्रचलित हैं। भारतीय संस्कृति में शकुन का संकेत वेदों, पुराणों व धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। महाभारत व रामायण जैसे महाकाव्यों में भी कई जगह शकुनों की बात कही गई है। ज्योतिष में भी शकुनों पर विशेष विचार किया जाता है। प्रश्न कुण्डली की विवेचना में शकुनों का महत्व विशेष है। प्राचीन काल में ये शकुन लोकवार्ता के द्वारा ही पीढ़ी दर पीढ़ी पहुंचते रहे हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से इन शकुनों को बहुधा अंधविश्वास ही माना जाता है।

शुभ शकुनों में पूछे गये प्रश्न सफल व अपशकुनों में पूछे गए प्रश्न असफल होते देखे गए हैं। शकुन पृथ्वी से, आकाश से, स्वपनों से व शरीर के अंगों से संबंधित हो सकते हैं। किसी भी कार्य के वक्त घटित होने वाले प्राकृतिक व अप्राकृतिक तथ्य अच्छे व बूरे फल की भविष्यवाणी करने में सक्षम में सक्षम होते है-
‘‘शुभ शकुन ब्राम्हण, घोड़ा, हाथी, न्योला, बाज, मोर। दूध फल व वेद ध्वनि का सोर।।
अन्न, सिंहासन, जल, कलश, पशु एक बधन्त। न्योला, चापा, मछली और अग्नि प्रज्वलंत।।
छाता वैश्या, पगड़ी, अंजन, ऐना, शस्त्र। कन्या, रत्न, स्त्री, धोबी धोया वस्त्र।।
घृत मिट्टी अस्त्र शहद, मदिरा, वस्त्र श्वेत। गोरोचन सरसों अमिश, गन्ना खज्जन भेद।।
बिन रोदन मूर्दा मिले, पालकी भरदूल गीत। ध्वज अंकुश बकरा पड़े, सम्मुख अपना गीत।।
बालक संग स्त्री मिले, नौ बेटा बैल सफेद। साधु सुधा सुरतर पड़े, सम्मुख चारों वेद।।
कूड़ा से भरी टोकरी जो, जो सम्मुख पडंत। पाछे घट खाली पड़े, निश्चय काज बनंत।।
प्रिय वाणी कानों पड़े, सम्मुख वाहन भार। कह कवि ये शुभ शकुन यात्रा चलती बार।।

(अर्थात् ब्राम्हण, घोड़ा, हाथी, न्योला, बाज, मोर, दूध, दही, फल, फूल, कमल, वेदध्वनि, अन्न, सिंहासन, जल से भरा कलश, बंधा हुआ एक पशु, न्योला, चापा (चाहा पक्ष) मछली, प्रज्वलित अग्नि, छाता, वैश्या, पनाली, अंजन, ऐना, शस्त्र, रत्न, स्त्री, कन्या, धुले हुए वस्त्र सहित धोबी, घी, मिट्टी, सरसों, मांस, गन्ना, खज्जन पक्ष, रोदन सहित मूर्दा, पालकी, भारद्वाज पक्षी, ध्वजा, अंकुश, बकरा, अपना प्रिय मित्र, बच्चे के सहित स्त्री, गाय या गोह के सहित बछड़ा, सफेद बैल, साधु, अमृत, कल्पवृक्ष, चारो वेद, शहद, शराब, गोरोचन आदि में से कुछ भी सम्मुख पड़े या कूड़े से भरी टोकरी प्रिय वाणी या सामान से लदा वाहन यदि यात्रा के वक्त सम्मुख पड़ जाए तो निश्चय ही इच्छापूर्ति का संकेत करते हैं। खाली घड़ा पीठ पीछे हो तो अच्छा है। ये शुभ शकुन हैं। )

 

नीलकंठ छिक्कर-पिक्कर वानर कौवी भालु। जै कुकर दायें पड़े तो सिद्ध होय सब काजु।।
(अर्थात् नीलकंठ छिक्क्र नामक विशेष मृग, पिक्कर पक्षी, कौवी (स्त्री संज्ञक) भालू व कुत्ता आदि यदि दाएं हाथ पर पड़े तो कार्य सिद्ध होता है।)
मृग बाएं ते दाहिने जो आवे तत्काल। बाएं गर्दभ रेकंजा सिद्धि होय सब काज।।
(अर्थात् यदि हिरण बायीं तरफ से रास्ता काटकर दायीं तरफ आ जाए या बायीं तरफ गधा बोलना प्रारंभ कर दे तो शुभ शकुन है।)

 

खड़ा कोबरा, सूकरा, जाहक, कछुआ, गोह। ये शब्द कानों पड़े निश्चय कारज होय।।
पर दर्शन हो जाए तो महाअशुभ होय। अतिहि कु शकुन जानिए काट सके ना कोय।।
(अर्थात् यदि खरगोश, सर्प, सूअर, पशु, कछुआ, व गोह के शब्द कोनों पड़े तो अत्यंत शुभ शकुन समझें। परंतु यदि ये प्रत्यक्ष सामने पड़ जाएं तो महा अशुभ हैं।)

 

बानर भलु दर्शन भले, नाम सुनते हानि। कह कवि विचार के तब आगे करौ पदान।।
(अर्थात् यदि बानर भालू यात्रा आरंभ वक्त आगे जाए तो उत्तम शकुन है परंतु यदि इनका नाम कानों में पड़े तो अपशकुन का द्योतक है।)

 

अपशकुन विचार दाएं गर्दभ शब्द हो, सम्मुख काला धान्य। टूटी खाट आगे मिले तो बहुत हानि।।
कुकूर लोटे भुम्म पर, अथवा मारे कान। पांच भैंस सम्मुख पड़े, निश्चय होवे धान।।
एक अजा नौ स्त्री, बिल्ली दो लड़न्त। छह कुत्ता आगे पड़ै, नहीं बात में तंत।।
तीन गाय दो बनिया, एक बछड़ा एक शूद्र। हाथी सात सम्मुख पड़ै, निश्चय बिगड़ बुद्धि।।

भैसा पर बैठा हुआ मनुष्य सम्मुख होय। निश्चय हानि होयेगी, बचा सके ना कोयं।
जननी का तिरसकार होय या हो अकाल बृष्टि। क्षत्री चार सम्मुख पड़े, निश्चय महाअनिष्ट।।
तीन विप्र बैरागिया, सन्यासी केश खुलंत। भगवा व स्त्री सम्मुख पड़े, निश्चय कारण अंत।।
बंध्या, रज, रजस्वला, भूसा हड्डी चामं। अंधा, बहरा, कुबड़ा विधवा, लंगड़ा पांव।।

ईंधन लक्कड़ उन्मादिया, भैंसा दो लड़ंत। गुड़, मट्ठा, कीचड़, पड़े सम्मुख छींक हुवंत।।
हिजड़ा बिष्टा तेल जो, मालिस तेल मनुष्य। अंग-भंग नंगा पतित रोगी पूरा सुस्त।
गंजा भिंजै वस्त्र सों, चर्बी शत्रु सांप। नमक औषधि गिरगिरा कुटुंबी झगड़े आप।।
कटु वचन सम्मुख पड़े, जौ यात्रा चलती बार। कह कवि हानि महा बिगड़े सारे काज।।

 

(अर्थात् यदि यात्रा के समय गधा दायीं तरफ बोले या कोई सामने से टूटी खाट लाता हुआ मिले कारज भंग होता है। यदि कुत्ता भूमि पर लेटे या कान फड़फड़ाये, पांच भैंस सामने आये, एक बकरी नौ स्त्री, दो बिल्ली लड़ती हुई, छः कुत्ते, तीन गाय, दो वैश्य एक बैल एक शूद्र, सात हाथी, या भैंसे पर बैठा हुआ व्यक्ति यदि  सम्मुख पड़े तो अपशकुन का सूचक है। यात्रा में चलते समय जननी का तिरस्कार करे या अकाल वर्षा हो, चार क्षत्रीय, तीन ब्राह्मण बैरागी, सन्यासी, खुले केशों वाला गेरूरा वस्त्र धारण करने वाला सम्मुख पड़ जाए तो अपशकुन है। इसी प्रकार बांझ औरत, स्त्री, का रज, रजोवती स्त्री, भूसा, हड्डी, चमड़ा, अंधा, बहरा, कुबड़ा स्त्री विधवा स्त्री, जलाने वाली लकड़ी, उपला, पागल, गुड़ मट्ठा, कीचड़ सामने आए, अपने ही कुटुम्बी सामने लड़ते हों, सामने कोई छींक दे या यात्रा के वक्त अप्रिय बचन सुनाई पड़े तो अपशकुन का सूचक है। कुछ अन्य शकुन अपशकुन जो पशु पक्षियों द्वारा होते हैं शकुनों में कौंवा, छिपकली व अन्य पशु पक्षियों का विचार किया जाता है।

 

काक स्पर्श व छिपकली के गिरने को अशुभ समझा गया है। यदि कौंआ अचानक शोरगुल करे या किसी किसी के सिर पर आ बैठे तो आर्थिक हानि दर्शाता है। यदि स्त्री के सिर पर बैठे तो पति को वित्तीय कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है। संध्या के समय मुर्गो की ध्वनियां महामारी दर्शाती है। जब मछलियां जल की सतह पर छलांग मारें, मेंढक टर्र-टर्र करे, बिल्ली भूमि खोदे, चींटियां अपने अण्डों को स्थानांतरित करें, सांपों का जोड़ा व पशु आकाश की ओर देखें, पालतू पशु बाहर जाने से घबराएं तो तुरंत ही वर्षा होती है। ये वर्षा के लिए शुभ शकुन है। यदि रात्रि में दीपकीट दिखाई दे, कीड़े या सरीसृप घास के ऊपर बैठे तो भी तत्काल वर्षा वर्षा होती है।

 

यदि वर्षा ऋतु के दौरान सायंकाल में गीदड़ों की चिल्लाहट सुनाई दे तो बिल्कुल वर्षा नहीं होती। मांसभक्षी पशु-पक्षी, का दिखाई देना अशुभ व शाकाहारी पशु-पक्षी प्रायः शुभ शकुन का संकेत देते हैं। ज्योतिष में शकुनों अपशकुनों का विशेष विचार प्रश्न आदि में किया जाता है। साथ ही साथ मेदिनीय ज्योतिष में भी शकुन अपना विशेष महत्व रखते हैं वर्षा होगी या नहीं होगी, कम होगी या अधिक होगी इस प्रकार की भविष्य वाणियां भी शकुनों के आधार पर की जाती है कुछ उदाहरण निम्न है-‘‘यदि आसमान बादलों से घिरा हो व पालतू कुत्ता घर से बाहर न जाए, तो वर्षा का सूचक है। यदि आसमान में चील 400 फुट की ऊंचाई पर उड़ रही हो तो भी वर्षा होने वाली होती है। यदि मकड़ी घर के बाहर जाला बनाए तो वर्षा ऋतु जाने का सूचक है। मेंढकों की टर्राहट वर्षा का संकेत है। मांेर का नृत्य तथा शोर भी वर्षा सूचक है।)

 

मनुष्य को जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है एवं इन समस्याओं के निवारण हेतु किसी ज्योतिष के पास जाते हैं अथवा अपने किसी भी अच्छे कार्य (लड़का-लड़की के संबंध, भूमि खरीदने) के लिए निकलते समय शुभ-अशुभ संकेत होते हैं अथवा घटना घटती है। इससे जिस कार्य के लिए जा रहे हों, उसकी सफलता-असफलता का अनुमान लगाया जाता है। इस पर विचार शिक्षित-अशिक्षित दोनों करते हैं। देखें घर से निकलते समय (शकुन) शुभ घटना एवं (अपशकुन) अशुभ घटना के संकेत हैं।

 

भारतीय समाज में कुछ प्रचलित धारणाएं है शुुभ शकुन घटना केः-

1.यदि आप किसी कार्य से जा रहे हैं तो आपके सामने सुहागन स्त्री अथवा गाय आ जाए तो कार्य में सफलता मिलती है।

2.जाते समय आप कपड़े पहन रहे हैं और जेब से पैसे गिरे तो धन प्राप्ति का संकेत हैं। कपड़े उतारते समय भी ऐसा हो तो शुभ होता है।

3.यदि आपके यहां सोकर उठते ही कोई भिखारी मांगने आ जाए तो ये समझना चाहिए आपके द्वारा दिया गया पैसा (उधार) बिना मांगे वापस आ जाएगा।

4.आप सोकर उठे हों उसी समय नेवला आपको दिख जाए तो गुप्त धन मिलने की संभावना रहती है।

5.आप किसी कार्य से जा रहे हों, तब आपके सामने कोई भी व्यक्ति गुड़ ले जाता हुआ दिखे तो आशा से अधिक लाभ होता है।

6.लड़की के लिए आप वर तलाश करने जा रहे हों। तब घर से निकलते समय चार कुवांरी लड़किया बातचीत करते मिल जाएं तो शुभ योग होता है।

7.यदि शरीर पर चिड़िया गंदगी कर दे तो आपको समझना चाहिए कि आपकी दरिद्रता दूर होने वाली है। ये शुभ शकुन हैं, इसी प्रकार अपशकुन भी होते हैं।
भारतीय समाज में कुछ प्रचलित धारणाएं है अपशकुन (अशुभ) घटना केः-

1.कार्य पर जाते समय यदि बिल्ली रास्ता काट जाए तो कार्य असफल होने की आशंका रहती है। आप घर वापस आकर या थोड़ा विश्राम कर आगे जाएं । तब कार्य सफल होगा।

 

2.कार्य पर जाते समय कोई दुष्ट प्रवृति वाला, व्यभिचारी अथवा अन्यायी, व्यभिचारिणी सामने आ जाए तो कार्य सफल नहीं होता ।

 

3.शुभ कार्य के लिए विचार चल रहा हो तब यदि छिपकली की आवाज सुनाई दे तो कार्य की असफलता होती है।

 

4.घर में किसी देवता की मूर्ति अथवा चित्र टूट जाए तो मृत्यु या मृत्यु समान कष्ट हो सकता है। निवारण के लिए रामरक्षास्त्रोत अथवा दुर्गा मां की आराधना करें।

 

5.यदि आपको आकाश में तारे टूटते दिखाई दे तो स्वास्थ्य खराब होने की सूचना होती है। इसी के साथ नौकरी में खतरा एवं आर्थिक तंगी आने लगती है।

 

6.आपके घर उल्लू के चिल्लाने की आवाज आ रही हो तो भूत बाधा का डर रहता है अथवा ऊपरी बाधा से ग्रसित हो सकते हैं, विशेषकर स्त्री।

 

7.कुत्ते का रोना अथवा सियार के रोने से रिश्तेदार, पड़ोसी या मोहल्ले में कष्ट (मृत्यु) की संभावना रहती है। विशेष बात यह भी बताई गई है कि-घर में उल्लू गिरे तो मानहानि, आयुहानि होती है। इसकी शांति के लिए यज्ञ-पूजन अथवा जाप करना चाहिए। जंगली कबूतर नहीं पालें, अशुभ माना गया है।
शकुन और अपशकुन का प्रभाव कब और कैसे पड़ता हैः-

 

ज्योतिष में मुहूर्त की जानकारी के अभाव में शकुन के माध्यम से शुभ समय जानने की परंपरा रही है। दैनिक जीवन से जुड़े तमाम तरह के शकुन का आपके लिए क्या शुभ और क्या अशुभ संकेत होता है ज्योतिष में किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए अक्सर पंचाग की मदद से तिथि, वार, नक्षत्र, योग आदि का विचार किया जाता है, लेकिन इसके उपलब्ध नहीं होने पर हमारे यहां शकुन शुभ और अशुभ दोनों ही होते हैं, शुभ शकुन में जहां कार्य बगेैर किसी बाधा के पूरा होता है, वहीं अपशकुन बना-बनाया काम बिगाड़ देते हैं। हमारे यहां शुभ-अशुभ शकुन को समझने के लिए कई माध्यम बताए गए है। शकुन को अक्सर जल, भूमि, आकाश, दिन, और रात में होने वाले तमाम तरह के संकेतों के माध्यम से जाना जाता है। इसी तरह कुछ शकुन पक्षियों और जानवरों आदि के माध्यम से भी पहचाने जाने जाते हैं। आइए जानते है जीवन से जुड़े कुछ ऐसे ही शुभ एवं अशुभ शकुन के बारे में-
शुभ संकेत देने वाले शकुन कौन कौन से माने गए हैः-

 

यदि आप यात्रा के लिए आप यात्रा के लिए घर से निकल रहे हों और सामने से कोई गाय अथवा सौभाग्यवती स्त्री अपने गोद में अपने बेटे को लेकर आ रही हो या फिर किसी बुजुर्ग व्यक्ति का शव गाजे-बाजे के साथ आता दिखाई दे तो समझना चाहिए कि यात्रा शुभ और लाभप्रद साबित होगी।
-ः माना जाता है कि यदि घर में बिल्ली प्रसव करे तो वह संपदा प्राप्ति का सूचक होता है।
-ः सुबह-सुबह घर की मुंडेर पर छत पर कौंआ आवाज करे तो किसी अतिथि के आगमन का सूचक होता है।
-ः यदि कोई पक्षी आपके घर में कोई चांदी का टुकड़ा या आभूषण गिरा दे तो उसे लक्ष्मी प्राप्ति का सूचक माना जाता है।
-ः मुख्य द्वार पर आकर किसी गाय का रंभाना सुख-सौभाग्य का सूचक है।
-ः यदि किसी घर में सोनचिड़िया और कोयल मधुर आवाज निकालती है तो उस घर के स्वामी का भाग्योदय होता है।
-ः घर के बायीं तरफ गधे द्वारा आवाज करना व्यापार में वृद्धि का संकेत होता है।
अपशकुन के इन संकेतो को भी जानेः-
-ः यदि आपके मुख्य द्वार से किसी सर्प का प्रवेश हो तो उसे अपशकुन मानना चाहिए।
-ः यदि आधी रात में किसी स्त्री की रोने की आवाज सुनाई दे तो वह अपशकुन होता है।
-ः मुख्य द्वार पर लगातार छिपकलियों का घूमना जीवन में बाधा और विवाद का संकेत होता है।
-ः गाय का जरूरत से ज्यादा सिर हिलाना भाग्यहीनता का सूचक होता है।
-ः घर में बिल्ली का रास्ता काटना या फिर रोना अत्यंत अशुभ माना जाता है।
-ः शरीर पर गिरगिट या छिपकली के गिरने के शुभ संकेत और बाएं अंग पर गिरे या स्पर्श करे तो अशुभ संकेत माना जाता है।

 

इसके अतिरिक्त अनेक महाकाव्य जैसे रामायण/रामचरित मानस/महाभारत/ और अनेक शास्त्र पुराणों और वेदों, उपनिषदों और स्मृति ग्रंथाें में तमाम तरह की शकुन और अपशकुन वाली बात कही गई है। वह कितनी धरातल पर है या उस पर विश्वास किया जा सकता है या नहीं। यह सब आप मूर्धन्य विद्वानों पर ही निर्भर करता है। इस शोध आलेख के माध्यम से मैं कोई दावा नहीं करता हूं कि यह प्रामाणिक और वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है। संगोष्ठी की सफलता की अग्रिम शुभकामनाओं के साथ…….।

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