(मनोज जायसवाल)
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से महज 70 किमी पर बसा जिला मुख्यालय एवं इस विराट क्षेत्र जिसमें बस्तर भी आता है का प्रमुख व्यावसायिक शहर है मां विंध्यवासिनी(बिलाई माता) की नगरी धमतरी। इसी नगर में यहां के सिंध समाज से आते हैं सहज,सरल,मिलनसार व्यक्तित्व के धनी व्यापारी रूपचंद सुंदरानी। शहर के उस्मानिया मार्केट जो पुरानी बस स्टैण्ड से लगा है। में इनके प्रतिष्ठान से सशक्त हस्ताक्षर मुखातिब हुआ।
इस गली में जैसे ही आप प्रवेश करते हैं, बाहर से ही अगरबत्ती की खुश्बू लोगों को खीच लाती है। शहर में तकरीबन 20 वर्षों से ये थोक में अगरबत्ती,पापड़ के साथ अन्य पूजा सामग्री की दुकान चलाते हैं।
दुकान आज भी इनके पिता अर्जुनदास सत्तोमल के नाम पर है। जब से रूपचंद सुंदरानी ने अपना व्यवसाय प्रारंभ किये हैं तब से दुकान के सामने एक ब्लेक बोर्ड पर पूजा करने से भी पूर्व सुविचार लिखते हैं।
इन्होंने सशक्त हस्ताक्षर से बात करते बताया कि वे यह सुविचार शिक्षाप्रद पुस्तकों से लिखते हैं। इसके उद्देश्यों पर बताया कि सुबह से शाम तक दुकान में लोगों की आवाजाही लगी रहती है,दूसरों से अपेक्षा तो है, लेकिन खुद भी इन सुविचारों का एक अंश भी पालन करें तो अपना जीवन सार्थक हो जाये, ऐसा मानना है। आधुनिक रोजमर्रा में आज सुविचार लिखने की लोगों को फुर्सत कहां है? आज बहूत कम ही यह देखने मिलेगा।
घर-घर तक अपनी लोकप्रियता कायम रखते पिछले कई वर्षों से प्रसारित टीवी शो तारक मेहता का उल्टा चश्मा में गोकूलधाम सोसायटी में एकमेव सेकेट्री भिड़े को सुविचार लिखते दिखाया जाता है। ठीक ऐसा अतीत में लोगों के बीच सुविचार लिखा जाना भी प्रचलित रहा पर अब कम ही देखने मिलते हैं।
इसके साथ ही रूपचंद सुंदरानी समाजसेवा के क्षेत्र में तो हमेशा कदम आगे रखते हैं,लेकिन वे दिखावे पर नहीं जाते। बताते हैं कि समाज क्षेत्र में कई ऐसे नेक कार्य किए जिसको न कभी वे बयां किए ना ही करेंगे। अपना नाम करने की ख्वाहिश कभी नहीं रही। अपने व्यवसाय से वे काफी संतुष्ट हैं। यही कारण है कि इस व्यवसाय के अतिरिक्त अन्य कार्यों की ओर ध्यान नहीं गया। इसके पीछे भी नगर की देवी मां विंध्यवासिनी देवी का आशीर्वाद कि सुगंधित अगरबत्ती की चाहत रखने वाले लोग दूर-दूर से यहां आकर पूजा सामग्री ले जाते हैं।