साहित्यकार परिचय- श्री राजेश शुक्ला ”कांकेरी”
जन्म- 10 दिसंबर 1964
माता-पिता- स्व.कान्ति देवी शुक्ला/स्व.हरप्रसाद शुक्ला
शिक्षा- एम.कॉम, बी.एड.
प्रकाशन- कहानी (किरन),साझा संग्रह (काव्य धरोहर)
सम्मान-
सम्प्रति- व्याख्याता-शास.उच्च.माध्य.विद्या.कोरर, (काँकेर) छ.ग.।
संपर्क- 9826406234
”विरह-वेदना”
बादल,जाना उड़कर तुम,
सीधे प्रिय के पास।
देना तुम संदेशा मेरा,
प्रिय बिन जिया उदास।
दूरी उनसे सही न जाती,
सूना – सूना जीवन है।
दूर हैं प्रियतम,तो जीवन में,
अजब सा इक खालीपन है।
पीड़ा है असाह्य विरह की,
“आओ प्रियतम पास।”
देना तुम संदेशा मेरा,
प्रिय बिन जिया उदास।
अँखियाँ तकती राह पिया की,
किन्तु फिर थक जाती हैं।
अधमुँदी पलकों के आगे,
स्वप्न पिया के लाती हैं।
रटते – रटते नाम पिया का,
टूटे मन की आस।
देना तुम संदेशा मेरा,
प्रिय बिन जिया उदास।
हार गई मैं विरह-व्यथा से,
अब आ भी जाओ।
सूखे हुए हृदय में मेरे,
मधुरस बरसाओ।
मृत देह सी हूँ मैं,
मेरे प्राण तुम्हारे पास।
देना तुम संदेशा मेरा,
प्रिय बिन जिया उदास।
बादल जाना उड़कर तुम,
सीधे प्रिय के पास।
देना तुम संदेशा मेरा,
प्रिय बिन जिया उदास।