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”अनिकेत” लेखिका श्रीमती कल्पना शिवदयाल कुर्रे, बेमेतरा(छ.ग.)

साहित्यकार परिचय
श्रीमती कल्पना कुर्रे   कल्पना
पिता – श्री हेमचंद घृतलहरे
पति – श्री शिवदयाल कुर्रे
पुत्र – 1. अभिनव 2. रिषभ
जन्मतिथि – 19 जून 1988
शिक्षा-
प्रकाशन-

पेशा – गृहणी

पता – ग्राम – कातलबोड़़
पोस्ट – देवरबीजा,
तहसील – साजा,
जिला – बेमेतरा (छ.ग.)
संपर्क- मो. – 8966810173,

 

 

”अनिकेत ”
(यथार्थवादी कहानी)

सुधा की पढ़ाई पुरी हुई भी नहीं थी, कि उसकी माँ उसे दुसरे कामों में निपूर्ण करना चाहती थी। अब शादी की उम्र हो गई है इसलिए माँ को सुधा की चिंता होने लगी थी। वे चाहती थी कि बिटिया रानी को ससुराल में ताना सुनना पड़े । कोई ये ना कहे कि उसकी माँ ने उसे कुछ भी नहीं सिखाया। इसीलिए वे चाहती थी कि सुधा , रसोई के साथ – साथ सिलाई कढ़ाई का काम भी अच्छी तरह से सीख जाये।

काॅलेज का आखिरी साल था, माँ ने पता लगवाया कि सिलाई, कढ़ाई के लिए सुधा को ज्यादा दूर जाना ना पड़े, इसी बात पर घर में सभी चर्चा कर ही रहे थे कि तभी सुधा आई और बोली, माँ तुम चाहती हो कि मैं सिलाई,कढ़ाई सीखु तो काॅलेज की छुट्टी के बाद रोज एक घंटा निकाल लुंगी वैसे भी रोज 4 कि.मी. साईकिल से जाना पड़ता है । सभी परिवार वालों के इजाजत से सुधा सिलाई सिखने जाने लगी। काॅलेज के बाद वो रोज समय निकाल कर सिलाई,कढ़ाई सिखने के लिए जाती और घर आकर पढ़ाई भी करती। 1 महीना हो गये उसे सिलाई सिखने जाते, सुधा जहाँ सिलाई सिखने जाती है वहां सिलाई सिखाने वाली टेलर भाभी के दो प्यारे – प्यारे बच्चे थे और खुब बदमाशी करते थे। उन्ही के घर एक बच्चा आता था, टेलर भाभी के बच्चों के खेलता था। और बहुत मस्ती करता था।

कभी -कभी तो सुधा के सिलाई के सामान के साथ छेड़छाड़ कर देता ,तो कभी उसकी साईकिल की हवा निकाल देता। सुधा उस पर गुस्सा हो जाती थी,पर उसका प्यारी सी मुस्कान देखकर उसे डांट भी नहीं पाती थी। घर में सभी को उसके बारे में बताया करती थी। धीरे -धीरे सुधा सिलाई, कढ़ाई अच्छे से सीख रही थी। सुधा, टेलर भाभी के बच्चों के साथ उस दुसरे बच्चे को खेलते देखती ‌। कभी -कभी टेलर भाभी उसे खाना दे दिया करतीं थीं।पर कई दिनों से सुधा ने उसे देखा नही था,वो सोचती कि आज वह बच्चा आया क्यों नहीं , टेलर भाभी से पूछूं क्या, फिर रहने दो बहुत बदमाशी करता है, सोचकर टाल जाती ।

ऐसे ही एक दिन सिलाई के लिए टेलर भाभी के घर गई, टेलर भाभी “अरे सुधा तुम आज इतनी जल्दी कैसे ॽ सुधा, ” हां भाभी आज दो विषय की पढ़ाई नहीं होगी,मैम छुट्टी पर हैं। टेलर भाभी,”अच्छा है आज जल्दी घर चली जाना शाम हो जाती है तुम्हें जाते-जाते। तभी सुधा देखती है कि वो बच्चा भाभी के घर खाना खा रहा है, बस मुश्किल से आधी प्लेट ही खाया होगा।सुधा का मन किया कि भाभी उसे थोड़ा – सा और खाना दे दे , पर वह कुछ ना बोल सकी । उसने देखा कि वह बच्चा बहुत कमजोर और बिमार लग रहा था, खाना खा कर घर जाने के लिए उठा पर उठ नहीं पा रहा था ।

वह धीरे – धीरे अपने आप को संभालते हुए दीवार के सहारे चलने लगा। सुधा हैरान होकर उसे देखती रही । वो बच्चा अपने घर चला गया, तब सुधा अचानक से बोल पड़ी, भाभी इसे क्या हुआ है, रोज तो मस्ती करता था और कुछ दिनों से दिखा भी नहीं, और इसका क्या नाम है । टेलर भाभी, ” इसका नाम अनिकेत है। इसका बाप शराबी है । शराब पी – पी कर पागल जैसा हो गया है, इसकी माँ को बहुत मारता पिटता था इसलिए वह घर छोड़ कर चली गई सुनने में आया है कि उसकी माँ ने दूसरी शादी कर ली है । सुधा चौक कर बोली तो अनिकेत किसके साथ रहता है। टेलर भाभी,” किसके साथ रहेगा अपने बाप के साथ रहता है, बाप शराब पी कर यहां- वहां पड़ा रहता है खाना भी नहीं बनाता और तो और कई दिन घर नही जाता।

अनिकेत भूखा ही रह जाता है। 5 साल का बच्चा खाना भी तो नहीं बना सकता । तीन दिन से भूखा था , आज दिखा तो बच्चों के साथ खा लिया। हर दिन का ठेका तो नहीं ले सकते किसी का वैसे भी कोई उसे खाना देता है तो उसका बाप शराब पी – कर गाली देता है। सुधा साॅक रह गई कुछ भी नहीं बोली बस सोचती ही चली गई कि 5 साल का अनिकेत कई दिनों तक भूखा रहता है ना मां की ममता ना पिता का प्यार,भूख लगे तो किसी से मांगता भी नहीं,न ही चोरी करता है , कोई आप दे जाता है तो खा लेता नहीं तो भूखा ही रह जाता है। सुधा की आंखें भर आई उसका मन कर किया कि दौड़ कर अनिकेत के पास जाऊं और उसे गले लगा लूं,पर शाम होने वाली थी घर में सब चिंता करेंगे। वैसे भी उसके शराबी बाप को पता चलेगा तो अच्छा नहीं होगा, यह सोच कर वह घर आ गई ।

घर में अनिकेत के बारे में बता कर रोने लगी ‌। सुधा माँ से बोली , ” माँ कल अनिकेत के लिए टिफिन पैक कर देना । माँ, हा ले जाना पर तेरा तो काॅलेज बंद है दो दिन और संडे भी है। तेरी टेलर भाभी भी तीन दिन के लिए शादी में जा रही है, तूने ही बताया था तू ही भुल गई, तू कहाँ जा पायेगी। अनिकेत का घर भी तुझे पता नहीं कहां ढूंढ़ती फिरेगी। सुधा के लिए तीन दिन पहाड़ जैसे बिता । तीन दिन बाद सुधा, अनिकेत के लिए खाना,चाॅकलेट , बिस्केट और कुछ पैसे ले गयी। वहाँ जाते ही सुधा, टेलर भाभी, अनिकेत कहाँ है मुझे उसके घर ले चलो। टेलर भाभी,” मुझे कहा पता होगा आज सुबह ही शादी से लौटी हूँ ।

सुधा बाहर जा कर इधर – उधर देखने लगी, तभी पास की चाची ने सुधा से कहा, अनिकेत को ढुंढ रही हों ना, सुधा खुश हो कर बोली, हां चाची मुझे उसके घर ले चलो। चाची बोली, ” वो घर में नहीं है, दो दिन से भूखा था। तो मैंने उसकी दादी को खबर कर दी , तो उसकी दादी उसे अपने साथ ले गयी। सुधा को बहुत दुखी हुआ कि मैं अनिकेत के लिए कुछ नहीं कर पायी । जो – जो चिजे वह लाई थी उसे टेलर भाभी के बच्चों को दें दिया। वह मन ही मन रो रही थी, पर वह दिल से अनिकेत के लिए खुश थी क्योंकि अब वह अपने दादी के घर में है तो उसे भूखा नहीं रहना पड़ेगा, दादी का प्यार मिलेगा।
” कई साल बीत गए, सुधा आज भी अनिकेत को नहीं भूल पायी , और ना ही कभी उससे मिलना हुआ, बस एक अफसोस रह गया कि काश मैं अनिकेत को एक बार देख पाती !

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