साहित्यकार परिचय-अनिल कुमार मौर्य ‘अनल’
जन्म- 22 मई 1980 जन्म स्थान,संजय नगर,कांकेर छत्तीसगढ
माता/पिता – फूलचंद माैर्य श्रीमती राेवती मौर्य, पत्नी-श्रीमती दीप्ति मौर्य, पुत्र-संस्कार,पुत्री-जिज्ञासा मौर्य ।
शिक्षा- एमए(हिंदी) इतिहास एवं सन! 2019 में विश्व विद्यालय जगदलपुर द्वारा मास्टर आफ आर्ट की संस्कृत विषय में उपाधि, डी.एड. ।
सम्मान- साहित्य रत्न समता अवार्ड 2017, साहित्य श्री समता अवार्ड 2018 मौलाना आजाद शिक्षा रत्न अवार्ड 2018, प्राइड आफ छत्तीसगढ अवार्ड 2018, प्राइड आफ छत्तीसगढ अवार्ड, सहभागिता सम्मान।
प्रकाशन-कोलाहल काव्य संग्रह।
सम्प्रति- कांकेर जिले में शिक्षक के रूप में कार्यरत।
सम्पर्क – कांकेर माे. 8349439969
‘‘उसने मुझें पहचान लिया’’
बात 1996-97 की है गर्मी का दिन था शाम के छः बज रहे होगे ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी, जैनुल अंसारी,टुलेश्वर बंजारे,भोजराज निषाद,सतोष कोड़ोपी और मैं हम सभी मित्र मेरे घर के दाहिने ओर की पुल पर बैठकर कुछ बाते कर रहे थे तभी मेरी नजर सामने से आ रहे एक हट्टा-कट्टा स गबरू जवान पर पड़ी उसे देख कर मुझे ऐसा लगा मानों वह किसी मुसीबत में है अतः मैने उसे रोककर पूछा क्या बात है? परेशान लग रहे हो तब उसने बताया की भाई साहब! कल मेरी बारहवी कक्षा की पूरक परीक्षा है।
मैने अथक प्रयास किया किन्तु फिर भी मुझें कही भी रहने की व्यवस्था नही हो पा रही है इसीलिए मै परेशान सा हॅू ऐसे कठिन समय में जी आर.बंजारे जो कि बीजापुर में कृषि विभाग में एक बड़े ओहदे पर थे उन्होने संजय नगर जिला-उ.ब.कांकेर में एक नया-नया मकान बनाया था। जहां उसका पुत्र तुलेश्वर बंजारे अकेला रहता था उसने उस लड़के को ढ़ाढस बधाते हुए कहा कोई बात नही यार तू मेरे घर पर ठहरना खाना-खाना और खूब मेहनत करके परीक्षा दिलाकर अपने गनतब्य की ओर चल देना।
इस घटना के लगभग 8 साल बीतने के बाद जब मैने बारहवी परीक्षा के बाद भानुप्रतापदेव शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कांकेर में सत्र 2002-03 में एम.ए.पूर्व हिन्दी के समय अपने वरिष्ठ छात्रों के साथ कक्ष-क्रमांक 25 में बैठा था तब वही लड़का जिससे मैने बारहवी की परीक्षा हेतु ‘आश्रय’ दिलाया था मुझें घूर-घूरकर देख रहा था मैने उससे पूछा भाई जी आप मेरी तरफ इस तरह से क्यू देख रहे हो तब उसने मुझसें कहां आप वही हो न जिन्होने मुझें बारहवी की परीक्षा दिलाने हेतू रहने की व्यवस्था करवाया था उस लड़के ने अपना नाम ‘‘नवल किशोर’’ बताया।
साराशतः हम कह सकते है कि ‘‘नेकी कर और दरिया में डाल’’ भले ही आज तुलेश्वर बंजारे और उसके पिता जी जी.आर.बंजारे इस दुनिया मे नही रहे लेकिन उनका यह उपकार ‘‘नवल किशोर’’ जैसे कितने ही छात्र-छात्राओं के दिलों अमर रहेगें।
टीपः- नवल किशोर भाई जहां कही भी होगें इस नंबर 8349439969 पर अवश्य ही संपर्क करेंगे।