साहित्यकार-परिचय
डॉ. शैल चन्द्रा
माता– पिता – स्व़. स्नेहलता चन्द्रा‚ स्व. श्यामलाल चन्द्रा
जन्म – 09 अक्टूबर 1966
शिक्षा – एम.ए.‚ बी.एड.‚एम.फिल. पीएचडी(हिंदी)
प्रकाशन– विडम्बना(लघुकथा संग्रह) इक्कीसवीं सदी में भी(कविता संग्रह) जुनून और अन्य कहानियां (कहानी संग्रह),गुढी ह अब सुन्ना होगे(छत्तीसगढी लघुकथा संग्रह),घोंसला और घर तथा अन्य लघुकथाएंे(लघुकथा संग्रह) पापा बिजी हैंे(लघुकथा संग्रह)अगोरा (छत्तीसगढी कहानी संग्रह), इमोजी लघुकथा संग्रह अनेक सांझा संग्रहों में रचनाएं प्रकाशित, अनेक लघु कथाओं का उडिया और सिंधी भाषा में अनुवाद। विडम्बना लघु कथा संग्रह में एम.फिल., विडम्बना लघुकथा संग्रह में यथार्थ लघु शोध प्रबंध 2017-18 निर्देशक-डॉ. मधुलता बारा, सहायक प्राध्यापक, पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ,शोध छात्रा चंद्रेश। आकाशवाणी रायपुर से अनेक कविताओं और कहानियों का प्रसारण।
पुरस्कार / सम्मान –
विशेष सम्मान –
संप्रति – प्राचार्य शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय टांगापानी, तहसील-नगरी,जिला-धमतरी,छत्तीसगढ। शासकीय सेवा।
सम्पर्क – रावण भाठा, नगरी,जिला-धमतरी,छत्तीसगढ मो. 9977834645 / 9340148336
ईमेल – shail.chandra17@gmail.com
”अपनी भलाई”
”मंत्री जी, इस क्षेत्र विशेष में आपने हाई स्कूल खोलने का चुनावी वादा किया था। क्या इस क्षेत्र में स्कूल खोलने का आदेश जारी किया जाए?”
मंत्री जी ने मुस्कुराते हुए कहा- ”बिल्कुल नहीं।
क्या है कि एक तो वह हमारा चुनावी वादा था, दूसरा कि अभी इस क्षेत्र में शिक्षा का स्तर कमजोर है। हाई स्कूल खुलने के बाद यहॉं की जनता पढ़-लिख कर ज्यादा जागरूक हो जाएगी तब इन्हें हम आसानी से उल्लू नहीं बना पाएॅंगे। जो है जैसा है, वैसा ही रहने दो। इसमें हमारी भलाई है।
पर जनता की भलाई ॽ”- पी.ए. ने हिम्मत करके कहा।
मंत्री जी ने रूखाई से कहा- जहॉं हमारी भलाई की बात हो वहॉं किसी और की भलाई मायने नहीं रखती। फिर हम मंत्री क्यों बने हैं, बताओ तो? हमें अपना कल भी तो देखना है।”
पी.ए. मंत्री जी की बात सुनकर बगलें झांकने लगा।