आलेख

अपनो के सीने में पैर रख कर झंडा फहराना कहा की महानता है

-सफेद साड़ियों पर उंगली उठाने वाले कुछ ऐसे ही जो अपने सफेद कुर्ते पर झूठा रूतबा पाले बैठे हैं।

जिसे देखें लोग अपनी महानता सिद्ध करने का प्रदर्शन करते नजर आते हैं। इसी क्रम में कई लोग जहां खुद की दक्षता का होशोहवास नहीं ऐसे लोग सोशल पटल पर किसी उच्च प्रशासनिक अधिकारी के साथ फोटो खिंचा कर बाहर में अपने इमेज बनाने का असफल प्रयास करते नजर आते हैं।

कई लोग ऐसे हैं,जिन्हें खुद अपनी शिक्षा तक का नहीं पता। कटू सच कहें तो अपनी स्वयं की शिक्षा का कभी उपयोग भी नहीं किया। नगरों के किसी धनाड्य को बोस बना कर उनके नाम चाटुकारिता करते इनका चौबीसों घंटे समय महज इसी में गुजरता है।

 

लोग इनका परिचय भी ऐसे ही जानते हैं। खुद की आजीविका जो लोगों की होती है,इससे ये परिचय नहीं देते। थोथी प्रशंसा के ये पात्र जो लोगों को अपनी झूठी प्रशंसा के नाम भ्रमित करने का झूठा प्रयास करते हैं,खुद अंधेरे में रहते हैं। इन्हें कौन बताए कि समाज में तुम्हारी खुद की बौद्विक सोच कितनी नगण्य है,यह लोग बखुबी जानते हैं। ना तुम्हें अपितु आपकी कुण्डली तक जान ली जाती है कि ये किन संस्कारों से ताल्लुकात रखते हैं। खासकर लेखन जगत में बिना किसी गंभीर विचार और समाज के किसी भी मुद्दे को लेकर आवाज बुलंद किये जाने की हसरत शुन्य हो ऐसे में वो सभी बड़ी-बड़ी बातें करने वालों की असलियत सामने आ जाती है।

 

समाज में अपनी महानता का ढिंढोरा पीटा जा रहा है,जिसमें वो परिवार में आकर किसी मंजे हीरो की भुमिका निर्वहन करने का प्रयास करता नजर आता है,इसमें से कई वो जो खुद परिवार और समाज के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। उक्त व्यक्ति से न परिवार अपितु गांव नगरों में कई लोग परेशान होते हैं। समाज में जुए,सट्टे और कई कुरीतियों के जनक होते हैं,जो किसी न किसी अच्छे कार्यों की आड़ के नाम पर्दा बनाने का प्रयास करते नजर आते हैं। आज के आधुनिकता समय में जनबल के नाम कभी सफल भी हो जाते हैं,लेकिन इनका नीच कृत्य में सुधार नहीं होता। गलत तरीके से अर्थ उपार्जन में लगे सच्ची विधा को आड लेकर कार्य को अंजाम देना आज नहीं तो कल इन्हें दुख ही देगा।  ये गलत कृत्यों को अंजाम देना नहीं छोड़ते। इनसे अब कौन ये प्रश्न करे कि- अपनो के सीने में पैर रख कर झंडा फहराना कहा की महानता है।

 

अगर आपकी महानता यदि है तो सबसे पहले अपने परिवार के सदस्यों को समान दर्जा देकर सोसायटी में भी सबसे मिलकर आगे की पायदान पर सोचते। अपनों को कष्ट देकर कैसे दूसरों की वाहवाही में सुख की जीवन जीया जा सकता है। दूनिया मे शारीरिक अक्षमता दूर की जा सकती है, इसका ईलाज है‚ पर सस्ते में और सस्ती लोकप्रियता के चाह वाले कुछ लोगों की मानसिक अक्षमता का कोई ईलाज नहीं है। सफेद साड़ियों पर उंगलियां उठाने वाले भी कुछ इस तरह के लोग हैं,जो अपने सफेद कुर्ते की घमंड में अपना झूठा रूतबा पाले बैठे हैं।

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