”मेरे अस्तित्व की पहचान”श्रीमती कल्पना शिवदयाल कुर्रे “कल्पना” साहित्यकार बेमेतरा(छ.ग.)
साहित्यकार परिचय
श्रीमती कल्पना कुर्रे
माता /पिता – श्रीमती गीता घृतलहरे, श्री हेमचंद घृतलहरे
पति – श्री शिवदयाल कुर्रे
संतत–् पुत्र – 1. अभिनव 2. रिषभ
जन्मतिथि – 19 जून 1988
शिक्षा-
प्रकाशन-
पेशा – गृहणी
पता – ग्राम – कातलबोड़़
पोस्ट – देवरबीजा,
तहसील – साजा,
जिला – बेमेतरा (छ.ग.)
संपर्क- मो. – 8966810173
”मेरे अस्तित्व की पहचान”
मैं भी बनाऊं पहचान,
झूम के नाचूं गाऊं की‚
आसमान में उड़ जाऊं‚
कर प्रबल अपने सपनों को
अपना अस्तिव बनाऊं ।
मेरा भी पहचान बने,
कुछ सम्मानों को‚
मेरे भी कोई नाम करें‚
नींद में जितने भी देखे ख्वाब,
उन सबको साकार करूं ।
बंदिशों में सीमित,
कैद आत्मसम्मान को‚
अब तो मैं आजाद करूं‚
जीवन-पथ पर बढ़ते बढ़ते,
मैं कभी ना हारू।
कर निश्चय अपने संकल्पों को,
अपना अस्तित्व सुधारू ।
नदी की तेज जलधारा-सी‚
ऊंची उड़ान भरू‚
देख मुझे भी सब बोल उठे‚
इनका है नाम सुना‚
मेरी कलम करे ऐसा कमाल‚
गर्व मुझपे करें मेरे परिजन और समाज ।
मेरे शब्द ही मेरी पहचान है,
मेरे अस्तित्व की आन,बान, शान है ।
मैं मुझमें ही परिपूर्ण हूं यही,
मेरे अस्तित्व की पहचान है।।