कविता काव्य देश

”अब तो बरस रे बादर”श्री कोमल सिन्हा शिक्षक साहित्यकार‚ जेपरा चारामा जिला कांकेर(छ.ग.)

साहित्यकार परिचय

नाम – कोमल सिन्हा

पिता- स्व.श्री सत्यनारायण सिन्हा

माता-स्व.श्रीमती सीता देवी सिन्हा

जीवन संगिनी– श्रीमती गंगा सिन्हा

संतति- कुमकुम, अदिति

जन्म तिथि-12/03/1969

शिक्षा-एम.काम.एम.ए. अर्थशास्त्र एम.ए.हिंदी साहित्य बी.एड.

कार्य-शिक्षक

पुरस्कार/सम्मान

संप्रति-शिक्षक
सम्पर्क-9131209475//9644112511

”अब तो बरस रे बादर”

रोवत हे नदिया
रोवे खेती खार
किसान के कर ऊद्धार
अब तो बरस रे बादर

पर साल ईही दिन मां
पुलिया के उछरत बहाय
बाम्बी कोतरी टेंगना हा
तीर ले आय
मछंदर हा असके पिआय
मारे मछरी – भूंजे सुकसी
काबर छलथस रे बादर
अब तो बरस रे बादर

महानदी के पानी सटक गे
गंगरेल बांध हा सपट गे
नदिया नरवा घूरवा तरस गे
किसान तड़प गे
सुन्ना है खेती खार
तोला शरम नै लागे रे बादर
कोमल हा करत हे गुहार रे बादर
तोला लाज नै लागे रे बादर
जम्मों झनके कर बेंड़ापार
अब तो बरस रे बादर

अस छलथस रे बादर
जेती गिरथस रोंहो पोंहो करथस
हाहाकार अऊ बिनाश करथस
जेती नै गिरस सुक्खा छोड़ देथस
बरोबर बरस रे बादर
अब तो बरस रे बादर

अरपा पैरी होगे कायल
महानदी होगे घायल
अंगारमोती मैंया के नै बाजे पायल
कांहा ले बांट ही सरकार हा चांवल
अब भी सम्में हे रे बादर
अब भी सम्में हे रे बादर
रोवत हे नदिया
रोवे खेती खार
किसान के कर डार ऊद्धार
अब भी सम्में है रे बादर
ब तो बरस रे बादर

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