सीधे व्यक्ति से किया छल कल खुद की बर्बादी का कारण… श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर‚कांकेर (छ.ग.)
श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)

सीधे व्यक्ति से किया छल कल खुद की बर्बादी का कारण…
जरूरी नहीं है कि किसी ग्रह नक्षत्र अनुकूल न होने, आपके विरोधी द्वारा अनर्गल क्रियाकलाप अखबार की सुर्खियों में आपकी बदनामी की नीयत से महज कुछ बिंदुओं को लेकर खबर प्रकाशित कर आपके ऊपर सवाल करते दाग लगाने का प्रयास कोई करे। आप शांत रहे बस….
आप कलमकार हैं, आपकी हाथों में कलम है। आपको किसी भी अखबार में खंडन या लडाई का हिस्सा नही बनना है। आपको सदैव की तरह ही मात्र धैर्य बना कर रखना है। जवाब वक्त देगा। बात अगर किसी भी तरह से चाहे आप समाज के अंतिम सिरे के लेखक क्यों ना हो!
याद रखें लेखन कहीं न कहीं लेखक के अच्छे कर्मों का प्रतिफल है, जिसकी पैनी धार के चलते आपकी लेखनी बोलती दिखती है। आपकी पहचान खुद को पता नहीं चलता। आप चर्चा का विषय बनते है,इसलिये कि आप लिखते हैं।
यह भी कि जो भी परिवार का व्यक्ति लेखन में है निश्चित रूप से उनके पारिवारिक अच्छे संस्कार को भी प्रमाणित करता है,जिसे किसी कसौटी पर कसे जाने की जरूरत नहीं है। लेखन करना ही बड़ी शुभ बात है, व्यक्ति की सबसे बडी सुंदरता इसमें निहीत है।
ईर्ष्या, द्वेश किसी तरह किसी की आर्थिक सम्पन्नता पर ही नहीं अपितु आज तो कईयों को आपकी उपलब्धि,प्रसिद्वि भी उन संकीर्ण अल्प शिक्षितों के लिए कारण है,जो कि इस जन्म में तो निश्चित रूप से वे आपके समकक्ष नहीं आ सकते।
आपको किसी भी अखबार में खंडन या आपके विरोधी बातों के चलते उग्र नहीं होना है। देखते जाईये! पर आप को एक काम जरूर करना है। अपनी कलम को पैनी रखते हमेशा मुखर होकर कलम चलाते रहें वो भी सकारात्मक विषयों पर। आपकी चर्चा ज्यादातर होगी,जहां विरोधी तक बात पहूंचेगी।
सामाजिक विषमताओं पर लोगों की आंखे आपके आलेख जो चाकू से लगते हैं खुलने लगती है। लेखन क्षेत्र के लोगों की दिशा दशा,नीति एवं नीयत वैसे तो साफ होती है,लेकिन आजकल की रोजमर्रा में अल्पशिक्षित कई असामाजिक तत्व ऐसे सीधे सरल व्यक्ति से भी छल को नहीं चूकते।
इसका प्रतिफल उन्हें एक न एक दिन खुद की बर्बादी का सबब बनता है,जिसे उन्हें आजीवन झेलना पड़ता है।आज कल अपने ही निकटस्थ लोगों को छल कर कई अनर्गल विषयों पर बात करते ब्लेकमेलिंग जैसा व्यवहार करते इस प्रकार डराने का कार्य करते किसी न किसी तरह अपने ही लोगों से छल कर पैसे की उगाही में संलिप्त होकर छल करते ऐसा नीच कार्य कर रहे हैं, उन्हें इसकी सजा एक न एक दिन खुद की आर्थिक मंदी, बुद्वि भ्रम से झेलना पड़ेगा।
ऐसे कार्यों पर संलिप्त होते अपने को ज्ञानी और दूसरों को मूर्ख समझकर ऐसा कार्य कर रहे होते हैं,यह नहीं सोचना चाहिए कि उनसे ज्यादा शिक्षित ज्ञानी तो वे हैं,जिन्हें ठगा जा रहा और इन्हें ठगने के एवज में अल्प शिक्षित नीचता की परिधि में काम करने वाला खुश हो रहा होता है।