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”समाजः हमारा दर्द न जाने कोय” श्री बसंत जैन, समाजसेवी जगदलपूर

समाजः हमारा दर्द न जाने कोय
(बसंत जैन)
ये हैं  बसंत जैन। जगदलपुर के स्थायी वाशिंदे हैं। शासकीय इंजीनियरिंग कालेज जगदलपूर में पदस्थ है। ये लघु वेतन संघ के प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य एवं जगदलपूर जिलाध्यक्ष है।समाजसेवा को परम धर्म मानते हैं। लेकिन स्वयं वर्तमान सामाजिक गतिविधियों से संतुष्ट नही है। समाज में विसंगतियां है,जिसकी आवाज उठाने ये मुखर हैं,लेकिन इनसे भी ज्यादा मुखर वो सामाजिक पदाधिकारी हैं,जिनकी आवाज के आगे इनकी आवाज दबा दी जाती है। सवाल तो काफी है,जिसे समाज के बीच उठाना चाहते हैं,लेकिन दमनात्मक वातावरण ऐसा कि सवाल उठाना शायद समाज में रहने के लिए सवाल से भी बड़ा दंश है।

अपनी अभिव्यक्ति वाट्सअप पर मैसेज कर उन्होंने निष्पक्ष,बेबाक,साहित्य कला जगत को समर्पित पोर्टल सशक्त हस्ताक्षर को बताया,जिसे हुबहू हम प्रकाशन कर रहे हैं।

 

मेरी जुबानी,मेरी कहानी

उन्होंने बताया कि आज हमारे समाज का गठन लगभग साठ के दशक मे हुआ है। हमारे बुजुर्गाे ने समाज को संगठित करने के लिये सम्पूर्ण प्रयास किये और उसी का परिणाम है आज हस संगठित है। अतीत में  हमारे लिये कांकेर जिला मुख्यालय में तकरीबन 60 डिसमिल जमीन खरीदा जिसमें सामाजिक भवन का भी निर्माण करा कर बच्चो की शिक्षा के लिये छात्रवास का भी व्यवस्था किया गया था।

बस्तर संभाग में एक ही जिला होने के कारण संभागीय मुख्यालय का नाम रखते हुए कलार बाहुल्य एवं जागरूक क्षेत्र होने के कारण कांकेर मे डंडसेना कलार समाज का मुख्यालय रखा गया । मेरा विचार है कि बस्तर जिला का विभाजन लगभग 20 साल पहले हो गया है। प्रत्येक समाज अपने अपने समाज का विस्तार करते हुऐ बस्तर संभाग के पुरे 07 जिला मे अपने अपने समाज का जिलाध्यक्ष नियुक्त किये है। किन्तु दुख की बात है कि सशक्त कलार समाज आज तक जिलाध्यक्ष की नियुक्ति नही कर पाया है।

यहाँ तक मंडलो की नियुक्ति भी हमारे पूर्वजों ने कोन्डागांव तक किये है। वही तक सीमित है। अधिक दूरी होने के कारण मतदाताओं को अपने मत का उपयोग करने मे काफी कठिनाइयों का सामना करना पडता है। समाज में जब किसी का लड़की लड़का बिगड जाय अथवा कोई सामाजिक प्रकण हो तो वही समाज के पदाधिकारी दन्तेवाड़ा जगदलपुर मैलावाडा सुकमा तक पहुंच जाते है, और सम्पूर्ण दन्ड सहयोग राशि वसुल कर ले आते है। ग्रामीण स्वजातीय बन्धु के लिये कुछ भी नही छोडते। बल्कि उनके मान सम्मान मे अतिरिक्त खर्च आ जाता है।

संभाग कैसे,जब मतदाता सूची नहीं
जगदलपूर बस्तर संभाग का हृदय स्थल है। जहां समाज के लगभग पचास से साठ परिवार लंबे अवधि से निवास कर रहे है। इन परिवारों को सामाजिक गतिविधियों से सरोकार रखना तो दूर पूछ परख भी नही करते! मै आपको बता देना चाहूंगा मतदाता सुची मे जगलपुर से एक भी परिवार का नाम नही है, तो फिर यह कैसा संभाग है?

वर्तमान पदाधिकारियों को लगभग तीन कार्यकाल अर्थात पन्द्रह साल हो गया है। इतनी लंबी अवधि के बाद भी समाज का विस्तार न कर पुराने कोन्डागांव तक ही सिमट कर रखना पद लोलुपता और अपने वर्चस्व को बनाये रखना है। चुंकि जगदलपुर मे विस्तार के लिये कई बार चर्चा की गई जिस पर कोई ध्यान नही दिया गया। जबकी इस संबंध मे स्वयं को आगे बढ़ना था, पर उन्होंने ऐसा नही किये। ये हमारे समाज के लिये अत्यंत दुर्भाग्यजनक है । बांकी अन्य दन्ड प्रावधान को छोड़ भी दें तो कई लोग अपने निजी जीवनयापन से भी बहुंत दुखी है ।

उक्त बातों को ध्यान में रखते हुए मै आप लोगो से अपील कर निवेदन करता हुं कि सभी दृष्टि को ध्यान में रखते हुऐ समाज में परिवर्तन लाये और परिवर्तन ग्रुप के प्रत्याशी को अपना मत देकर विजयी बनावे ।

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