”ब्लेक राईस गुणों की खान”श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)

श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)

”ब्लेक राईस गुणों की खान”
-ब्लेक राइस सहित अन्य उत्पाद भी भविष्य में उपलब्धता संभव हो सकता है।
ब्लेक राईस, ग्रीन राइस ऐसी किस्में हैं, जिस राइस के सेवन करने के लिए लोग जुगाड में लगे होते हैं। बताया जाता है कि पुर्व में चीन के एक हिस्से में ब्लेक राईस की खेती हुआ करता था। यह चांवल राजा के लिए मात्र आरक्षित हुआ करता था।
एंटी आक्सिडेंट गुण
काला चांवल एंटी आक्सिडेंट गुणों से भरपुर होते हैं। सेवन से धमनियों में प्लाक्स जमने नहीं देता।मधुमेह सहित कैंसर तक के बचाव के लिए इसका सेवन लाभकारी बताया गया है।उत्पादन काफी कम होने के चलते भले ही यह प्रचलन में न हो पर जो जानकार हैं वे इसे प्राप्त करने में लगे होते हैं। छत्तीसगढ में ही मधु राईस भी प्रचलित है, जिसे शुगर वाले स्वतंत्र रूप से खा सकते हैं।
जवां फुल से लेकर ऐसी ऐसी किस्में है, जिसके स्वाद और गुणों के क्या कहने। पुर्व में यहां बहुतायत से पाये जाने डंवर धान की किस्में भी विलुप्ती की कगार पर है। इन दिनों छत्तीसगढ में ऐसी धान की हाईब्रिड किस्में किसान लगा रहे हैं जो वजन में ज्यादा आए क्योंकि उन्हें धान बेचना है। खाने के लिए कुछ हिस्से में किसान धान की पतली किस्में एचएमटी या रिसर्च किस्में लगा रहे हैं।
बेहतर किस्में नहीं लगाने के पीछे किसानों का तर्क सिर्फ यह होता है कि उत्पादन बहुत ही अल्प और बीमारियां अधिक लगती है जबकि उत्पादन करने में खर्च सामान्य ही आना है। लेकिन बता दें ब्लेक राईस काली मुंछ या अन्य किस्मों के चांवल का दर भी तो आसमान पर है जो आम मध्यमवर्गीय पहूंच से बाहर होता है। सामान्य रूप से किसान के खेतों में लगे एचएमटी की तुलना बाजारों में उपलब्ध राइस से करें तो अंतर मिलेगा।
कई राईस मिलों में ऐसे मोटे अनाज इस तरह पालिश कर दिए जाते हैं तो एक दूसरे राइस में अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है। सामान्य रूप से नियमित खाने के लिए एचएमटी बेहतर राईस है,लेकिन यह भी सीधे गांव से नजरों के सामने लिया जाय तब वरना व्यवासायिक दुकानों पर उपलब्ध राइस की ग्यारंटी नहीं दिया जा सकता।
एकाएक राईस की पहचान भी करना मुश्किल होता है। अन्न दुकानों पर आज 828 जैसे कई धान की पतली प्रजातियां है, जो एचएमटी के नाम बिक रहा है। स्वाद अच्छी और राईस मिलों में कुटाई से कोई नहीं पहचान सकता कि ये एचएमटी नहीं है। धान के समर्थन मुल्य बढने से अन्न की दुकानों के साथ ही होटलों में भी थाली की दर बढी है। निश्चित रूप से कम पैदावार होने वाले ब्लेक,ग्रीन राईस का और भी बढेगा।