”छ.ग. फिल्में अतीत से आज तक” श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)

श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)
”छ.ग. फिल्में अतीत से आज तक”
उस स्वर्णिम अतीत में 1965 में बनी छत्तीसगढ की प्रथम छत्तीसगढी फिल्म कहि देबे संदेश जिसमें मोहम्मद रफी और मन्नाडे जैसे गायकों ने अपनी सुमधुर आवाज दी। फिल्म निर्माता निर्देशक मनु नायक ने इतिहास रच दिया।
इसके बाद 1971में निर्माता विजय पांडेय की घर द्वार काफी प्रसिद्व रही। छत्तीसगढ राज्य निर्माण के समय सन् 2000 में निर्देशक सतीश जैन की फिल्म मोर छंइया भुंइया ने सफलता के कीर्तिमान स्थापित किए। छत्तीसगढ के लोगों का अपनी भाषा के प्रति उमडते स्नेह और जज्बा इस दौर में देखते बनता और अपनी धरा के प्रति प्रेम इस फिल्म ने पूरा किया। गांव गांव और यहां तक कि तब चुनाव के समय भी इस फिल्म का प्रदर्शन होता रहा और लोग बार बार इस फिल्म का आनंद लिया।
”मया देदे मया ले ले” ने इसके बाद सुपरहिट रही फिर झन भुलो मां बाप ला जैसी फिल्म को भी लोगों ने खुब पसंद किया। लेकिन इसके बाद कई ऐसी फिल्में आई कुछ फिल्म तो सिनेमागृह में ही नहीं टिकी। यह भी बताया जाता है कि कई ऐसी छत्तीसगढी फिल्मों ने तो अपनी लागत भी वसुलने में कामयाब नहीं रही।
इसके बाद एलबम का सिलसिला चला जहां अनेकानेक एलबम आते रहे और लोगों का भी अच्छा प्रतिसाद मिलता रहा।कांकेर जिले के चारामा विकासखंड अंतर्गत गितपहर के कुबेर गीतपहरिया जो किसी नाम के मोहताज नहीं है, ने छत्तीसगढी फिल्मों में कई गीत लिखे। पटवारी के पद पर सेवा देते हुए एक दिन उन्होंने अचानक छत्तीसगढ कला जगत सहित दुनियां को अलविदा कह दिया। हमारे प्रिय मित्र हुआ करते थे।
इसके साथ ही छत्तीसगढ कला जगत के और भी कलाकार जो छत्तीसगढ राज्य पुर्व भी यहां की सौंधी माटी की महक को दुनियां में फैलाया उन्होंने भी अलविदा कह दिया। छत्तीसगढी फिल्में आज के दौर में भले ही पूर्व की भांति हिट न हो रही हो पर इतने तक हम सीमित नहीं है।
वर्तमान दशक में फिर से एक बार छत्तीसगढ़ी फिल्मों का दौर चल पडा है। हंस झन पगली फंस जाबे, भूलन द मेज, मोर छंइया भुंया-2, आई लव यु टू, राजू दिलवाला,सऊत सऊत के झगरा,टूरा चायवाला, ले सुरू होगे मया के कहानी, मयारू गंगा,प्रेम के बंधना,जोहार छत्तीसगढ‚कका जिंदा हे‚ सहित कई फिल्में आई। वर्तमान में हंसी ठिठोली से लबरेज हंडा जैसी फिल्म को भी दर्शकों ने सराहा। आशा स्वर्णिम भविष्य का।
आशा इस बात का भी कि अच्छी साफ सुथरी छत्तीसगढी पारिवारिक फिल्में बने जिससे आम छत्तीसगढिया सिनेमा की ओर कदम बढाए।