”चकाचौंध में विलुप्त हो गई छालीवुड पत्रिकाएं” श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)

श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)
”चकाचौंध में विलुप्त हो गई छालीवुड पत्रिकाएं”
राष्ट्रीय अखबारों पर छत्तीसगढ़ कला जगत के संबंध में नियमित जब कालम नहीं तो पत्रिकाएं कैसे चलेंगी? छत्तीसगढ़ी फिल्मों के हिट होने के दौर में ग्लैमर जैसी पत्रिका ने दम तोड़ दिया। किसी तरह जैसे वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ी फिल्मों की सफलता क्रेज के लंबे अंतराल के बाद फिर से फिल्म बननी शुरू हुई ठीक उसी तरह एक नई उर्जा से दबंग स्टार के नाम भी पत्रिका निकाली गयी पर आशातीत सफलता नहीं मिली।
सफलता नहीं मिलने के पीछे ऐसा भी नहीं कि कला रिर्पाेटर का अभाव था। अभाव तो इस बात का था कि पत्रिका का मैनेज नहीं हो पाया। पत्रिका के नियमित प्रकाशन के लिए विज्ञापन चाहिए लेकिन विज्ञापन तो दूर मैंने इस स्थिति को देखा है कि कला जगत से जुड़े कई कलाकार भी इस बात से रहे भी कि स्वेच्छा से वार्षिक बंधा ले।
चिकने उत्कृष्ट कागज पर जितने अलंकार में हमने सितारों को सामने लाने का प्रयास किया पर कला जगत में भी सुदूर अंचलों तक अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाने से वो हश्र देखने मिला जैसा किसी ने सोचा भी न हो। छत्तीसगढ़ी एलबम के दौर ने बेहद कमाल किया पर निरंतर डिलीटलाईज्ड बदलाव के चलते यह भी ज्यादा दिन नहीं चल सका। तब कैसेट दुकानों में बिकते नहीं थे। जहां कई एलबम के कैसेट डबिंग का खर्च भी नहीं निकल पा रहा था।
चहूंओर व्यवासायिक दुकानों में ये कैसेट पड़े होते थे। सो अच्छा है कि अब जिन्हें देखना है यु-ट्युब में सर्चिंग करते रहें। सोशल मीडिया के दौर ने भी आज पत्रिकाओं की महत्ता को किनारा किया है। महत्ता आज भी है, पर पढने के नाम बिकते नही। इसके बावजूद कलमकार कला प्रतिनिधी जिन्हें लगाव है,उतने दूर नहीं गए हैं। अपनी धरा से स्नेह रखने वाले कई कला प्रतिनिधी वेब पोर्टल न्यूज से लेकर पत्रिकाओं का संचालन कर रहे हैं। जिसके उदाहरण हम खुद हैं,जहां हमने कला प्रकार की कला जगत के लिए पत्रिकाओं में संघर्ष करते काम किया पर हम थके नहीं सफर हम अपने पोर्टल सशक्त हस्ताक्षर के नाम और भी मुखरता से बने हुए हैं।
यही कारण है कि रूटीन कई घटनाओं की खबरों से ऊब कर लोग आलेख पढने लगे हैं,जो उन्हें डिजीटल रूप से उनके हाथों तक सोशल वाट्सएप तक मिलता है।