कविता काव्य राज्य

”गायब होते जा रही है चिड़िया”श्री लिकेश धृतलहरे नवोदित साहित्यकार‚चारामा(कांकेर)

साहित्यकार परिचय
श्री लिकेश धृतलहरे
पिता – श्री मोहन राम
माता – श्रीमती सेवती बाई
जन्मतिथि – 28 सितंबर 2002
शिक्षा – बी.एस.सी. , एम.ए.( हिंदी साहित्य )
पेशा – विद्यार्थी
पुरस्कार/सम्मान – शिक्षा मंत्री द्वारा पुरस्कार 
पता – ग्राम – जैसाकर्रा , पोस्ट – जैसाकर्रा , तहसील एवं ब्लाॅक – चारामा , जिला – कांकेर ( छ.ग.)
संपर्क – मो.  6265422113
”गायब होते जा रही है चिड़िया”
भोर होते ही चिड़िया, दाना चुगने जा रही है‚
और प्रतिदिन गायब , होते जा रही है चिड़िया।।
प्रतिदिन गायब होते जा रही है ।
पर्यावरण के लिए बड़ा भयानक संकट है यह ‚
विस्तृत प्रभाव के कारण कठिन लगता है ।
इसे वर्णनात्मक ढंग से लिखा जाना ‚
लिखा जाना चाहिए , इसे एक प्रश्न की तरह ।
आखिर कैसे गायब होते जा रही है चिड़िया ?
क्या आसमान ने पकड़ लिया है उसे ,
या प्रलय ने तबाह कर दिया है ।
उसके सारे निवास स्थलों को‚
क्या धरती ने निगल लिया है उसे ।
या फिर सिंधु ने उन्हें अपने में समा लिया‚
पर ऐसी घटना सत्य नहीं हो सकती।
चिड़ियों के गायब होने का कारण है सबको पता‚
फिर भी वन – उपवन , जंगलों से ।
प्रतिदिन गायब होते जा रही है चिड़िया।।
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