
वे सौदागर थे। रेखाचित्र – दिशाबोध संपादन – 1)काव्य धरोहर,2)जागो भारत
2) साहित्य सम्मान, वर्धा महाराष्ट्र में।
3) डाँ अम्बेडकर सम्मान
4) सफल सम्मान, जगदलपुर में।
5) अभिव्यक्ति सम्मान
6) न्यू ऋतंभरा साहित्य सम्मान ,दुर्ग में।
7) सृजन सम्मान, भिलाई में।
8) कलमकार मंच द्वारा सम्मान, बालोद में।
9) राजभाषा आयोग द्वारा सम्मान, रायपुर में।
10) रूम टू रीड इंडिया नई दिल्ली द्वारा सम्मान।
एवं अन्य विविध सम्मान।

”चौराहा”
चौराहा बहुत से लोगों का,
एक समूह होता है,
हर आगंतुक,
कुछ देर यहाँ ठहरता है,
मुख आगे पीछे करता है,
फिर बढ़ता है।
चौराहा बहुत से लोगों का,
एक समूह होता है।
चौराहे पर,
निश्चित लक्ष्य नहीं होते,
अस्थिर मन खूब भटकते,
जो पथ आकर्षण से भरा होता,
चंचल मन वहीं जा टिकता।
फिर पग उस ओर को ही बढ़ता है,
चौराहा बहुत से लोगों का
एक समूह होता है।
इक चौराहा पार जो होता,
दूजा आता,
फिर मानव का मन,
आकर यहाँ बहकता।
मानव अपनी मंजिल है तय करता,
मानव इस पर आकर दम भरता।
गजब का चौराहे का संग होता है,
चौराहा बहुत से लोगों का एक समूह होता है।
जानों बूझो क्या तुम,
चौराहे पर हो,
या जीवन के किसी,
किनारे पर हो,
मन उकसाये तो जानों,
अभी दूरी है,
जो ठहरे हो चौराहे पर यह मजबूरी है।
पथ तो यहीं से ही मिलता है,
चौराहा बहुत से लोगों का एक समूह होता है…