”रिकार्डिंग डांस प्लेटफार्म पर परफामेंस” श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर‚कांकेर (छ.ग.)
श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)

देश में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री का अतीत काफी पुराना है,इसका स्वर्णिम अतीत रहा है,लेकिन आज भोजपुरी सिनेमा के नाम से ही लोगों के जेहन में वो फुहड़ आधुनिक तस्वीरें आ जाती है,जो परोसा जा रहा है।
अपने प्रदेश की कला संस्कृति के गीतों और प्रदर्शन के नाम इतना अति किया गया है कि भोजपुरी फिल्मों के नाम से ही परिवारजन साथ में देखना पसंद नहीं करते। बालीवुड की तरह भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के फिल्म मेकर, सिंगर भी यह कहते दिखते हैं कि यह दर्शकों की मांग है।
क्या उन्हें अपने स्वर्णिम अतीत की जानकारी नहीं है,जहां कईयों भोजपुरी साफ सुथरी फिल्मों ने सफलता के झंडे गाड़े और भोजपुरी फिल्मों को सफलता के उच्च मुकाम पर पहुंचाकर पहचान दिलायी। नव छत्तीसगढ़ प्रदेश में भी कुछ फिल्में भोजपुरी की तर्ज पर बनाने का प्रयास किया गया, लेकिन छत्तीसगढ़ के दर्शकों ने फुहड़ और अंगप्रदर्शन शो करती फिल्मों को नकार दिया।
इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ में एलबम के नाम भी काम हुआ पर उन्हें भी आशातीत सफलता नहीं मिली। फिल्म मेकर और काम करने वालों को भी यह पता चल गया कि छत्तीसगढ़ कला जगत में काम करना है तो साफ सुथरी फिल्म और एलबम की उन्हें सफलता दिला सकते हैं,उनका नाम हो सकता है। खुद देखें कि भोजपुरी के अमूमन एलबमों में जीजा साली,देवर फिर भतार जैसे रिश्तों को लेकर गीत और उन्मुक्त प्रदर्शन देखे जा सकते हैं। कुछ नयी पीढ़ी भी हैं,कि उन पर मरे जाते हैं।
छत्तीसगढ़ इन सबसे जुदा है। अतीत से चली आ रही नाचा संस्कृति भी अश्लीलता से दूर है,शायद यही कारण है कि दर्शक रात भर बने रहते हैं। छत्तीसगढ़ में मेला के अवसर पर खासकर बस्तर संभाग में गावों में आज भी रात्रिकालीन बेला में नाचा का आयोजन होता आ रहा है। इसके साथ ही सांस्कृतिक आयोजनों की बेला में अपना अहम स्थान लिया है, रिकार्डिंग डांस ने। डीजे धुनों पर कई सेंटर के गावों में यह आयोजन हो रहा है,जो सिर्फ रात्रि तक नहीं अपितु दूर-दूर से आकर कलाकार अपनी प्रस्तुती दे रहे हैं।
जितनी दूर से कलाकार अपनी प्रस्तुती देने आते हैं,उन्हें कुछ हासिल नहीं होता। स्वयं के व्यय पर अपनी कला के प्रदर्शन पर सम्मान और अपना नाम कर लेने का जज्बा मकसद होता है। कला क्षेत्र में प्रतियोगिता इतनी बढ़ चुकी है,कि अपना नाम स्थापित करना सरल नहीं है। छत्तीसगढ़ में छालीवुड इंडस्ट्री अस्तित्व में पूर्णतः न आ पाई हो पर इस प्रदेश में कला संगीत में कलाकारों की कोई कमी नहीं है।
छत्तीसगढ़ कला जगत में प्लेटफार्म का अभाव जो इन्हें लगता है कि रिकार्डिंग डांस जैसे आयोजनों में अपनी धमक बनाये रखते हैं। सोशल मीडिया में भले ही उस पटल पर अश्लीलता परोसी जा रही हो, पर छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक इन सांस्कृतिक मंचों पर चाहे वो जो भी आयोजन हो आज भी ऐसी प्रस्तुती पर हमेशा ध्यान रखा जाता है कि साफ सुथरी हो।