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”अरौद दशहरा कुछ घंटे में” श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर (छ.ग.)

(मनोज जायसवाल)
कांकेर(सशक्त हस्ताक्षर)। जिले के चारामा वि.खं. अंतर्गत आने वाले अरौद ऐतिहासिक दशहरा उत्सव की घड़ी के कांटे जैसे-जैसे नजदीक आ रही है,साल भर बेसब्री से इंतजार कर रहे लोग देखने जाने उत्साहित है। यही कारण है कि समय पूर्व वे अरौद पहूच कर प्रारंभ से अंत तक यहां के प्रदर्शन सहित आतिशबाजियों का आनंद लेने परिवार सहित अरौद पधार रहे हैं। आयोजन स्थल पर मेला सा माहौल इस दिन पूरी रात्रि गुजरती है। अरौद में मेला पर सगे संबंधी आएं न आएं पर इस ऐतिहासिक दशहरा उत्सव पर जरूर आगंतुक आते हैं। इस बार दशहरा उत्सव मंच पर संचालन छतीसगढ के नामी उद्घोषक कांशी राम जैन करने जा रहे हैं।

कला संस्कृति को समर्पित कांकेर जिले का प्रमुख अरौद ऐतिहासिक दशहरा का यह 84 वां वर्ष बेहद रोमांच पैदा कर देने वाला होगा जब देश में कुछ ही दिनों में इसरो द्वारा चंद्रयान का सफल प्रक्षेपण कर चांद की धरती पर सुरक्षित लैंडिंग करने में सफल रहे। विश्व की नजर में देश का नाम इतिहास में दर्ज हो गया। इसे लेते अरौद दशहरा उत्सव पर यहां के मूल कला प्रतिभा संपन्न कलाकारों ने वैसा ही माडल बनाया है। जिसका प्रदर्शन आज देर शाम सात बजे इलेक्ट्रानिक पद्वति से रावण दहन के पहले पहल किया जाना है। प्रति वर्ष एक नये देशप्रेम के विषयों पर आधारित करतब लोगों के आकर्षक का केंद्र बनता रहा है।

अरौद की गलियां

ऐतिहासिक दशहरा उत्सव में भाग लेने वाले अरौद के मूल वाशिंदे कलाकार अब से कुछ ही घंटों में मण्डली पहूंचकर तैयारी प्रारंभ कर देंगे। आयोजन मण्डली से ही राम दरबार के साथ दशहरा मैदान को जायेगी। देशी वाद्य यंत्रों के साथाा देव कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते जायेंगे। बेहतर बिजली व्यवस्था,बेहतर सुरक्षा और शांति व्यवस्था अरौद की यह पहचान जो इतने बडे हजारों हजारों की भीड के बावजूद बिना किसी तनाव के निर्विघ्न संपन्न होती चली आ रही है,जिसकी प्रशंसा प्रदेश के सियासी गलियारों में भी चर्चा का विषय बनता रहा है।

कलाकार से लेकर रावण के विशाल पुतले सहित तमाम आतिशबाजियों और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए अभी तक शासन द्वारा संतुष्टिप्रद सहयोग नहीं मिलना एक नकारात्मक पक्ष है,लेकिन ग्रामवासियों आयोजन समिति के जज्बा के चलते वे रोना भी नहीं रोते और एक दूसरे में सहयोग के चलते संभव होता है। शहरों में एक अदद आयोजन के लिए किस कदर लाखों की राशि व्यय होता है,अनुमान लगाया जा सकता है कि अरौद दशहरा उत्सव में कितनी राशि खर्च होती होगी और कैसे इसका मैनेज किया जाता होगा?

प्रति वर्ष रात्रि में होने वाले सांस्कृतिक आयोजन के लिए नेताओं के दर पर भटकना पडता है। जबकि कई बार यह मांग की जा चुकी है कि यह आयोजन प्रति वर्ष होता है तो एक निश्चित राशि भी शासन से कला संस्कृति के नाम सही मिले। लेकिन आज तक राजनीतिक महात्वाकांक्षा नजर नहीं आयी। जबकि इस मंच पर हमेशा मंत्री,विधायकों का सम्मान होता आया है। ऐसी बात भी नहीं कि ग्रामवासी कोई बडी मांग कर रहे होते है, उनकी मांग हमेशा सार्वजनिक विषय पर होती है।

मंच पर अपनी प्रस्तुति देने वाले कलाकारों को जरूर कई वीआईपी सहित आम सामाजिक सरोकार से जुडे शख्सियतों द्वारा कुछ प्रोत्साहन राशि दिया जाता है। लेकिन बावजूद कभी कभी भरे मंचों पर स्वागत और वाहवाही के बावजूद बच्चों और कलाकारों समितियों के नाम तल्ख राशि का सहयोग नहीं किये जाना सबकी अपनी सोच भी बयां करती है। हालांकि किसी से उम्मीद नहीं होती यह स्वयं के नैतिक बातों पर निहीत है।

इलेक्ट्रानिक पद्वति से किये जाने वाले रावण दहन हेतु पुर्णतया सुरक्षा जरूरी है,इसके लिए आवश्यक कदम उठाये जाते रहे हैं। आगंतुकों दर्शकों को किसी प्रकार उत्सव का आनंद लेने के लिए खलल ना पडे का ध्यान रख पार्किंग व्यवस्था भी दुरूस्त रखी जाती है। दिनों दिन हजारों की बढ़ती भीड के चलते दशहरा मैदान छोेटा लगने लगा है। आज दशहरा उत्सव पूर्व ही अलसुबह से दूरस्थ व्यवसायियों ने अपना व्यवसाय भी लगा लिया है।

 

कैसे आएं अरौद

रायपुर बस्तर राजमार्ग 30 पर तहसील मुख्यालय चारामा एवं काकेर के बीच झिपाटोला गांव से महज 6 किमी पर केंद्रीय गांव अरौद स्थित है। यहां से हल्बा 7 किमी तथा नरहरपुर 21 किमी पर स्थित है। यहां से जिला मुख्यालय कांकेर व्हाया चिनौरी से लखनपुरी होकर जाया जा सकता है। सीधे जिला मुख्यालय जाना हो तो शाहवाडा कुरना नारा मार्ग से सीधे कांकेर जाया जा सकता है। कांकेर जिले का बडा ग्राम गीतपहर पांच किमी जेपरा चार किमी पर स्थित है। बस टैक्सी सुविधा उपलब्ध है।

 

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