(मनोज जायसवाल)
– तब के कट्टर‚कर्मठ कांग्रेस कार्यकर्ता दीपक शर्मा आज सत्ता के होते भी उपेक्षित क्योंॽ
तब कांकेर लोकसभा चुनाव वर्ष 1996 के दरम्यांन ही कांग्रेस पार्टी के प्रचार के लिए मुंबई से आशा पारेख एवं सिम्मी कांकेर आयी थी। कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती छबिला नेताम के प्रचार में चारामा कांकेर सहित पूरे लोकसभा का दौरा किया था। चुंकि कांकेर चारामा का क्षेत्र छत्तीसगढ़ में कला जगत के नक्शे में अग्रणी रहा है, इस तारतम्य काफी भींड़ तो आशा पारेख और सिम्मीजी को देखने ही आयी थी।
बताया जाता है कि आशा पारेख जी जब प्रचार के लिए आयी थी कांकेर की फिजां यहां की नैसर्गिक छटा उन्हें खुब भाया और काफी प्रशंसा की। इसके साथ ही बस्तर के भोले जनमानस,कला संस्कृति से जुड़े यहां के कलाकारों की कला से खुशी जाहिर किया। इसके बाद भी फिल्म अभिनेता अभिनेत्रियों का बस्तर से हमेशा लगाव रहा और चाहे वो प्रचार के तारतम्य क्यों ना हो यहां की नैसर्गिकता से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके।
बता दें कि आशा पारेख जी के कांकेर आगमन के वक्त मंच पर अरविंद नेताम जी,ब्लाक युवा कांग्रेस के दिग्गज नेता बसंत यादव के साथ क्षेत्र के सभी प्रमुख कार्यकर्ता मंच पर नजर आए थे। कांकेर में नरहरदेव स्कूल ग्राउंड में आयोजन हुआ था। यादें आज भी है।चित्र स्वयं जवाब देने काफी है कांकेर नगर के दीपक शर्मा तब कांकेर पहुंची प्रख्यात अभिनेत्री अदाकारा आशा पारेख के साथ बैठे हैं, तो दूसरे चित्र में दीपक शर्मा की डायरी में आटोग्राफ दे रही है।
कांकेर रोड शो आशा पारेख की खुशी
कांकेर नगर में जब इन आशा पारेख एवं सिम्मी का कांग्रेस के समर्थन में रोड शो हो रहा था, तब पत्रकारों के जवाब में आशा पारेख ने अपने कांकेर आगमन पर यह बात कही थी कि कांग्रेस के वरिष्ठ केंद्रीय नेता रहे अरविंद नेताम मेरे भइया हैं और उनकी धर्मपत्नी तात्कालीन प्रत्याशी श्रीमती छबिला नेताम मेरी भाभी हैं। वे किसी भी तरह राजनीतिक रूप से नहीं आयी है। कांकेर की सुंदरता पर वे मंत्रमुग्ध थी और अपने आगमन की यादें कभी नही भूलने की बात भी कही थी। नगर के युवा कांग्रेसी नेता दीपक शर्मा जिनके नानाजी पं. स्व. गोविंद प्रसाद शर्मा तब देश की आजादी के बाद कांकेर में कांग्रेस के प्रमुख संस्थापक सदस्य रहे। दीपक शर्मा प्रारंभ में ही कांग्रेस पार्टी के युवा तुर्क थे। उनकी सक्रियता,लगन पार्टी को काफी आगे तक ले गयी,लेकिन विडंबना यह कि आज तकरीबन 34 से 36साल के बाद ऐसा लगता है कि वे पार्टी की उपेक्षा के शिकार है। आज छत्तीसगढ में कांग्रेस की सत्ता है‚इसके बावजूद काग्रेस पार्टी ने कोई गंभीर जिम्मेदारी से उन्हें नहीं नवाजा गया है,आखिर क्यों?
प्रमुख फिल्में
यह भी बताते चलें कि महान भारतीय अभिनेत्री आशा पारेख जी को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1992 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। हमारा खानदान,धर्म और कानून,कालिया,प्रेम विवाह,उधार का सिंदुर,मैं तुलसी तेरे आंगन की,कारवां,मेरा गांव मेरा देश,कन्यादान,साजन,आया सावन झूम के,महल,उपकार,तीसरी मंजिल,दो बदन,जब प्यार किसी से होता है,आशा,घराना सहित कई सफल फिल्में दी है। आज भी दर्शक इन फिल्मों को बड़े चाव से देखते हैं।