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”संस्कार भारती के सौजन्य दीप मिलन सम्पन्न”

(मनोज जायसवाल)
– संस्कार भारती द्वारा आयोजित कार्यक्रम में साहित्यकारों,समाजसेवियों ने भाग लिया।
कांकेर(सशक्त हस्ताक्षर)। दीपों की अवली, कुछ कहती है, कुछ सुनती है, कुछ सुनाती है, अंधेरी कालरात्रि से दूर उजियाले की चमक दिखलाती है। इन भावों के साथ संस्कार भारती का दीप मिलन आयोजन सम्पन्न हुआ।

बताते चलें कला, साहित्य एवं रंगमंच की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती, कांकेर जिला इकाई द्वारा माँ सदन में 6 नवम्बर को दीप मिलन कार्यक्रम जो डॉ गीता शर्मा, अध्यक्ष, संस्कार भारती की अध्यक्षता, सुरेश चंद्र श्रीवास्तव एवं शिवसिंह भदौरिया वरिष्ठ साहित्यकार के विशिष्ट आतिथ्य में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

सर्वप्रथम विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ शारदे, धन की देवी माँ लक्ष्मी एवं बल, बुद्धि के देवता प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम स्थल को दीपों से सजाते हुए, संस्कार भारती का ध्येय गीत, की प्रस्तुति हुई, तत्पश्चात कु. अवनी एवं श्रीमती अर्पणा सिंह द्वारा मां शारदे की वंदना प्रस्तुत कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई।

दीपावली के महत्व एवं उनकी प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार सुरेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि दीपावली में रामचंद्रजी के अयोध्या आगमन पर मनाए गए महोत्सव को बताते हुए, वर्तमान परिवेश में परिवार में हो रहे बिखराव पर चिंता व्यक्त किये। शिवसिंह भदोरिया द्वारा युवाओं को संस्कार भारती परिवार से जोड़ने की पहल तथा अपनी कविता मेरी जिंदगी से कम … अपनी यात्रा प्रारंभ करते हुए दीपावली की शुभकामनाएं प्रेषित किये।

चिंता पर चिंतन अभिव्यक्त करने की अभिव्यक्ति के पश्चात मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवहु सु दशरथ अजिर बिहारी बहुत ही सुंदर भजन अवधेश लारिया के मधुर कंठ से प्रस्तुत की गई। संतोष श्रीवास्तव सम अपनी पीड़ा अभिव्यक्त करते हुए कहा कि घर निशा अमावस छट गई प्रभु के आने पर….अपनी कविता भगवान श्री रामचंद्र जी को समर्पित करते हुए सबको शुभकामनाएं संदेश प्रेषित किया।

धनुर्धर हो कोई ऐसा कि जग में नाम हो जाये। महल को छोड़ दे कोई सरल श्री राम हो जाये। निकलना था उन्हें खुद से जगत के काज को करने। बिना पद त्राण के भूपति सियापति राम हो जाये। भारतीय शास्त्रीय नृत्य कत्थक नृत्य की प्रस्तुति कु. प्रज्ञा यादव द्वारा प्रस्तुत की गई । भगवान गणेश से सकल चराचर में सुख, समृद्धि एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण हेतु नृत्य के माध्यम से आराधना की गई, उनकी प्रस्तुतीकरण पर समस्त सदस्यों ने उन्हें आशीष प्रदान किया।

अगले क्रम में कु. अवनि द्वारा बहुत ही खूबसूरत गीत किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार गीत पियानो पर बजाते हुए सबका मन मोह लिया। संस्कार भारती परिवार के अध्यक्ष डॉ गीता शर्मा ने दीपावली पूजन की उपयोगिता एवं महत्ता को प्रतिपादित करने का सफलतम प्रयास करते हुए अपनी कविता मन दीप बन जाओ, उस राह चलो, हारकर अंधकार से… के माध्यम से जन मानस को जागृत करने की बात कही।

श्रीमती एकता गुप्ता ने मां आदिशक्ति जगदंबा को छत्तीसगढ़ी गीत आरुग कलसा दाई, आरुग बाती ओ, आरुग दियना जलांव समर्पित कर कार्यक्रम में अविरल भक्ति की धारा प्रवाहित की। इसी क्रम में श्रीमती रीना लारिया ने भगवान श्रीकृष्ण की आराधना अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभम समर्पित भजन से कार्यक्रम उत्कर्ष पर स्थापित हो गया।

सत्य प्रकाश शर्मा अपनी अभिव्यक्ति में देवत्व को युवा पीढ़ी किस प्रकार से स्वीकार करें तथा सत्य पथ पर कैसे अग्रसर हो, व्यक्त किए।  राम शरण जैन ने दीपावली महोत्सव पर अपनी अभिव्यक्ति एवं शुभकामनाएं संप्रेषित की ।

रिजेन्द्र गंजीर ने समस्त सदस्यों को दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए दीप की महत्ता मैं दीप बनूँ, मैं दीप बनूँ मन मीत बनूँ, संगीत बनूँ। जयघोष, अनहद सीप बनूँ। तम को दूर भगाने साथी, मैं दीप बनूँ, मैं दीप बनूँ। के माध्यम से संप्रेषित किया। दीपावली मिलन कार्यक्रम में संस्कार भारती इकाई कांकेर के समस्त दायित्ववान कार्यकर्ताओं के साथ-साथ मोहन सेनापति, सत्येंद्र सोनी, श्रीमती ममता सोनी, पंकज श्रीवास्तव, श्रीमती मीना श्रीवास्तव, गजेन्द्र गुप्ता, रिया गुप्ता, राजू कोठारी, श्रीमती हर्षा कोठारी,सचिन सिंह, श्रीमती निर्मला यादव, श्रीमती पी. लारिया आदि सदस्यों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

कार्यक्रम का उम्दा संचालन रिजेन्द्र गंजीर ने किया तथा अवधेश लारिया महामंत्री ने दीपोत्सव में उपस्थित प्रत्येक सुधिजनो का आभार प्रकट किया गया।

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