‘सुमधुर आवाजों की मल्लिका दीक्षा,दीपिका धनगर’ श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर, कांकेर(छ.ग.)
– छत्तीसगढ़ी संगीत जगत में समर्पित है, दीक्षा दीपिका धनगर-रायपुर।
(मनोज जायसवाल)
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के इस बीते वर्षों में कला संगीत संस्कृति जगत में कलाकारों के दिन तो बहुरे पर अपनी पहचान बनाने,नाम स्थापित करने के लिए आज भी कई इस मिट्टी से जुड़े कलाकार स्वयं इसी धरा पर संघर्ष करते नजर आते हैं।

लेकिन सबसे पहले पहल बात यह कि इन कलाकारों में जोश कायम है,किसी भी तरह इनका ध्यान अपनी उपेक्षा और अल्प मेहनताना पर नहीं जाता। क्योंकि ये कलाकार सबसे पहले अपनी कला प्रतिभा को जन जन तक स्थापित करने के लिए अर्थ की लालसा नहीं रखते अपितु अपना सृदृढ़ आधार बनाना चाहते हैं।
कला संगीत से उर्वरा इस छत्तीसगढ़ की धरती राजधानी से सटे बोरियाखुर्द के स्थायी निवासी दीक्षा धनगर एवं दीपिका धनगर जिनकी कोकिल आवाज लोगों को बुलाने काफी है,जब छत्तीसगढ़ी की एक गीत पर इनकी प्रस्तुति सुनी जाती है तो निश्चित ही उस मीठे फल की तरह जिसे खाने पर इच्छा होती है कि कुछ और खा लिया जाए..! ठीक ऐसा ही श्रोताओं को लगता है कि कुछ गीतों पर और प्रस्तुति सुन लेते एवं सुनते रहते।

पिता गोविंद धनगर माता विमल बाई धनगर की चार सुपुत्रियों में दीक्षा धनगर,दीपिका धनगर दोनों वे बहन है, जो इन दिनों गायन के क्षेत्र में सुर्खियों में है। बाकी दो बहन सीमा एवं पूजा धनगर भी इसी तरह कला की धनी है।

मूलतः इनका परिवार की कला समृद्धि से परिपूर्ण रहा है,जहां पिता गोविंद धनगर जो स्वयं पेंटिंग का कार्य करते हैं,जो परिवार के आजीविका का साधन है,जिससे ही परिवार चलता है। एक अच्छे साहित्यकार भी हैं, पिता जो गीत लिखते हैं। एक भाई भोजराज धनगर जो भी कला से जुडा है। इस तरह घर में सभी सदस्य कला संगीत प्रतिभा से भरापूरा है।

ये दोनों बहने अमूमन एकल के साथ संयुक्त रूप से गायन करती है। इनकी शिक्षा दीक्षा भी समानांतर हुई है। दीक्षा ने बताया कि प्राथमिक शिक्षा बोरियाखुर्द में करने के बाद दानी गर्ल्स हाईस्कूल कालीबाड़ी रायपुर से 12 वी तक की पढाई शास्त्रीय गायन विषयों के साथ की। स्नातक की शिक्षा के लिए इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से पोस्ट ग्रेजुएट एवं मास्टर डिग्री हासिल किया।

इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में शिक्षक एवं गुरू स्व. डॉ. दिनेश देवदास, प्रो.डॉ. नमनदत्त,डॉ. दिवाकर कश्यप आदि ने आगे बढ़ने के लिए काफी प्रोत्साहित किया। युं तो संगीत विश्वविद्यालय में अध्ययनकाल में अपनी प्रस्तुति दिया जाता रहा लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित इंटरयुथ फेस्टिवल के एक बड़े आयोजन में क्लासिकल शास्त्रीय गायन जो प्रथम प्रस्तुति दी जो हमेशा याद रहेगा।
लोकप्रिय फिल्म ईश्क म रिश्क हे,में सभी गीतों में आवाज दी। इसमें मया के मारे…गीत लोकप्रियता की ऊंची चोटी तक पहूंचने सफल रहा जिसे यु-ट्युब पर 10 लाख व्युस मिले।

सबसे खास बात यह कि दीपिका वो गायिका हैं,जो स्वयं भी गीत लिखती है और आवाज देती है। पिता के साथ करीब 30 लोकप्रिय गीतों की रचना की जिसमें कुछ गीत आने वाले समय में दर्शकों को सुनने मिलेंगे।
इन दोनों बहन का इंटरव्यु इलेक्ट्रानिक न्युज चैनलों पर भी कव्हरेज हो चुकी है। अपनी आवाज बनाए रखने के लिए हमेशा रियाज करती है। आगे भी कला संगीत जगत में समर्पित रहने की बात बतायी।