‘किसी प्रतिभा पर दोषारोपण करे तो चुप ना बैठे’ श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)
-बिना प्रमाण कोई किसी प्रतिभा पर चारित्रिक आरोप लगा कर मानसम्मान को ठेस पहूंचाता है तो कानूनी कार्रवाई करें।
(मनोज जायसवाल)
कला संगीत जगत के साथ साहित्य पत्रकारिता जगत भी खासकर महिला वर्ग के लिए कितना संघर्षपूर्ण है, बताने की जरूरत नही। वह दुनिया वो कालकोठरी साबित होती है,जिससे गुजरने पर बेहद सतर्कता के बावजूद कालिख लग ही जाती है।
जिनकी खुद की कोई पहचान नहीं होती,जिनके परिवार में साहित्यिक संगीत की कोई छाया भी नहीं रहे अमूमन ऐसे घरों में जन्म लिए लोग उन प्रतिभाओं पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे होते हैं,जिनमें खुद की कोई प्रतिभा नहीं होती। बौद्धिक सोच विचारों की गंभीरता से दूर ऐसे लोग खुद कितने गहरे पानी में है,खुद को पता नहीं होता।
ऐसे लोग किसी भी प्रतिभा पर चारित्रिक दोषारोपण करते हुए खुद की अल्प बौद्धिकता का परिचय स्वयं दे रहे होते हैं। किसी प्रतिभा का पीठ पीछे आरोप लगाने वाले ऐसे नीच लोगों के पास कोई प्रामाणिकता नहीं होती तो महज ये किसी के साथ महज चलने फिरने हंसने को लेकर ये गंदी बातें करते व किसी को हतोत्साहित करने में कोर कसर नहीं छोडते।
सबसे दुःखद पहलू कि स्थानीय गावों,नगरों में किसी महिला प्रतिभा पर गलत आरोप लगाने वालों में किसी महिला का होना सबसे दुःखद पहलू है। खुद में किसी स्किल गुणों के ना होने और दूसरों पर कीचड उछालने की गंदी हरकत जो अप्रमाणिक होता है,खुद की उपेक्षा का कारण बनता है।
क्या करना चाहिए
निश्चित ही सामाजिक वातावरण में इस प्रकार की द्धेश पूर्ण बर्ताव जिसमें कोई महिला पुरूष की कला संगीत,साहित्यिक मित्रता पर बेहूदे तरीके से हंसकर शक करते कुल मिलाकर चारित्रिक दोषारोपण का असफल प्रयास करने वाले ऐसे लोग जो महिला हो या पुरूष नीच ही कहे जाएंगे।
क्योंकि कोई प्रतिभा किसी का नहीं होता। उन्हें अपनी जिंदगी,अपने रास्ते अपने विचार अपने स्वतंत्र विचारों से जीने का अधिकार है। यदि किसी के पास किसी प्रतिभा के लिए दोषारोपण करने,चारित्रिक दोषारोपण करने की इतनी ही हिम्मत है तो सामने आकर करें।
सबसे पहले यह बताने का प्रयास करें कि किसी के निजी जीवन में किसी से मधुर संबंधों में उन्हें क्या दर्द है? कोई भी प्रतिभा चाहे वह साहित्य से हो या कला संगीत से उन पर दोषारोपण करने वाले चाहे अपने हों या दूसरे कभी ना झुकें।
याद रखें हीरा हर जगह चमकती रहेगी। किसी के पत्थर मान कर इंकार किए जाने से वह पत्थर नहीं हो जाता। हीरे की पहचान जौहरी ही कर सकता है।
यह भी याद रखें कि यदि आप किसी से इस प्रकार दोषारोपण से यदि आपकी एकाग्रता,शांति भंग होती है,मानसम्मान को ठेस पहूंचता है। आपकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर यदि अपने या दूसरे द्वारा हनन करने का प्रयास किया जाता है तो आप सीधे एफआईआर दर्ज करा सकते हैं। किसी संगीत कला या साहित्यिक प्रतिभा पर कोई अपने परिवार के हों या दूसरे द्वारा चारित्रिक दोषारोपण किया जाता है तो सीधे एफआई आर दर्ज करा देना उचित होगा। ताकि उन्हें भी कानून की जानकारी हो जाये।