ईश्वरम्मा(श्रीसत्य साई बाबा की माताजी) श्री मनोज जायसवाल संपादक सशक्त हस्ताक्षर कांकेर(छ.ग.)

श्री मनोज जायसवाल
पिता-श्री अभय राम जायसवाल
माता-स्व.श्रीमती वीणा जायसवाल
जीवन संगिनी– श्रीमती धनेश्वरी जायसवाल
सन्तति- पुत्र 1. डीकेश जायसवाल 2. फलक जायसवाल
(साहित्य कला संगीत जगत को समर्पित)

ईश्वरम्मा(श्रीसत्य साई बाबा की माताजी)
-6 मई जयंती पर विशेष
श्रीसत्य साई बाबा की माता का नाम ईश्वरम्मा था जिनकी कोख से बाबा का जन्म 23 नवंबर 1926 को हुआ था। उनके जन्म लेते ही घर मे रखे वाद्य यंत्र अपने आप बजने लगे एक नाग सर्प ने अपना फन फैला कर छत्र छाया प्रदान की। इसे देखकर सभी आश्चर्यचकित थे।
मात्र 14 वर्ष की बाल्यावस्था में श्रीसत्य साई जिनका नाम सत्यनारायण राजू रखा गया था ने परिवारजनों से कहा कि वे शिरडी के साई बाबा हैं,जिनकी विगत 8 वर्ष पूर्व मृत्यु के बाद इस रूप में जन्म लिया हूं। मैं उनके बचे शेष कार्य को इस जन्म में पूरा करूंगा। यह कह कर घर से निकल गए और पुट्टपर्ती के ही एक पेंड़ के नीचे बैठ गए जो पेंड़ आज भी है और जाने वाले भक्त सर्वप्रथम इसकी पूजा अर्चना किया करते हैं।
कई दफा यहां सर्प लोटे दर्शन देते हैं,आज तक किसी को भी सर्प नहीं काटा। पेंड़ पर बैठते हुए एक आश्रम का निर्माण कराया जिसे ही आज प्रशांति निलयम कहा जाता है। बाल विकास की कक्षाएं लगायी जाती है आज भी साई समितियों द्वारा इसका संचालन किया जाता है। पूरी जिंदगी भर मानवता की सेवा में अपना समय बिताया। देश विदेश में साम्राज्य है। करोड़ों लोगों के लिए साक्षात ईश्वर का अवतार श्रीसत्य साई बाबा की माता जी ईश्वरम्मा की 8 वीं संतान थे।
पेंदू वेंकप्पा राजू सहित माता ईश्वरम्मा की समाधि भी प्रशांति निलयम आश्रम से कुछ ही दूरी पर स्थित है,जहां निरंतर ज्योति प्रज्जवलित हो रही है। पुट्टपर्ती जाने वाले भक्त इस समाधि स्थल पर भी जाकर श्रद्वा के दो पुष्प अर्पित किया करते हैं। पुर्व की तरह ही हर स्थलों पर साफ लिखा गया है जहां रूपया राशि सख्त ढ़ाना मना है।