”गाँधी चौरा” श्री चन्द्रहास साहू ग्रा.कृषि वि.वि.अधिकारी साहित्यकार धमतरी छ.ग.
साहित्यकार परिचय
– श्री चन्द्रहास साहू
जन्म – 30.12.1980
शिक्षा – बी.एस.सी.(कृषि)
माता-पिता- …………………
प्रकाशन – (छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह )तिरबेनी ,तुतारी, करिया अंग्रेज
पुरस्कार/सम्मान- चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय,हिसार हरियाणा में लिखित नाटक का निर्देशन प्रस्तुतिकरण व प्रथम पुरस्कार अर्जित । बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी, उत्तर प्रदेश में नाटक प्रस्तुतिकरण । -इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्वालय रायपुर छत्तीसगढ़ के मंच में नाटको का निर्देशन व प्रस्तुतिकरण । अगासदिया मुंशी प्रेमचंद सम्मान, भिलाई (छ.ग.) समाज गौरव सम्मान, रायपुर (छ.ग.) नई कलम कथाकार सम्मान, नवापारा राजिम (छ.ग.) कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद सम्मान, जिला हिन्दी साहित्य समिति धमतरी (छ.ग.)
सम्प्रति –ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी कृषि विभाग; जिला-धमतरी (छ.ग.)। कीट विज्ञान विभाग;इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.) में अध्ययन
सम्पर्क – ग्राम -जोरातराई ,पो -सिलौटी, तह -कुरूद, जिला- धमतरी (छ.ग.)
पिन 493663
वर्तमान पता – चन्द्रहास साहू द्वारा श्री राजेश चौरसिया
आमातालाब रोड श्रध्दानगर धमतरी
जिला-धमतरी,छत्तीसगढ़
पिन 493773
मो. क्र. 8120578897
Email ID csahu812@gmail.com
”गाँधी चौरा”
जब ले जानबा होइस कि मेहाँ अपन पार्टी के युवा प्रकोष्ठ के मुखिया बन गेंव-अहा ह… अब्बड़ उछाह होइस। अतका उछाह तो तीसरइया बेरा मा बारवी पास करेंव तब नइ होइस। सिरतोन मोर मन अब्बड़ गमकत हावय। ये पद के दउड़ मा दसो झन रिहिन। बड़का अधिकारी के बेटा, नेता बैपारी अउ विधायक के टूरा मन घला रिहिन फेर पद मिलिस- मोला।
महुँ पद पाये के पुरती अब्बड़ बुता करे हँव। टोटा के सुखावत ले नारा बोलाये हँव। पार्टी के बैनर पोस्टर बांधे हँव, झंडा ला बुलंद करे बर अब्बड़ पछिना बोहाये हँव…. लहू घला बोहाये हँव। आज युवा प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष…काली मूल पार्टी मा जगा ..परनदिन विधायक.. मंत्री… मुख्यमंत्री अउ बने-बने होगे तब प्रधानमंत्री। अब्बड़ सपना सजत हे मन मा। जब चायवाला हा बड़का खुरसी मा बइठ सकत हे तब मेहाँ काबर नही…..? बन सकत हँव, लोकतंत्र मा सब हो सकथे। मुचकावत ददा ला बतायेंव, मोर पद प्रतिष्ठा ला।
“ददा ! मोला ढ़ाई हजार रुपिया देतो गा। मोर पार्टी वाला मन ला मिठाई बाँटहू।”
ददा भैरा होगे। कोन जन ओखर कान कइसे बने हाबे ते…? पइसा मांगबे तब नइ सुनाये अउ फायदा वाला गोठ करबे तब झटकुन सुना जाथे। अभिन दुसरिया दरी के तब सुनिस।
“येमा का उछाह के गोठ आय बाबू ! नेता गिरी तो सबसे घटिया बुता आवय। बेटा सुनील चपरासी के बुता करतेस… पनही खिलतेस तभो उछाह होतिस मोला फेर…?”
ददा ला टोंकत केहेंव।
“तेहाँ काला जानबे। कुँआ के मेचका ..? आजकल नेता मन के जतका मान-गौन हाबे ओतका काखरो नइ हाबे। भुइयाँ के भगवान आवय ये कलजुग मा इही मन।”
“लुहुंग-लुहुंग नेता मन के पाछू-पाछू जाना, जय बोलाना.. कोनो भक्ति नोहे सुनील। चापलूसी आवय…।”
ददा रट्ट ले किहिस।
“तेहाँ तो जीवन भर मोर बिरोध करथस ददा ! ओखरे सेती तो आगू नइ बढ़ सकेंव। गुजरात कमाये ला जाहू केहेंव तब छत्तीसगढ़ ला छोड़ के झन जा कहिके बरजेस। आर्मी मा जाहू केहेंव तब एकलौता हरस केहे। दारू ठेकेदारी मा अब्बड़ पइसा कमाये ला मिलत रिहिस तब जम्मो बुता ला बिगाड़ देस…। तब का करो…?”
ददा संग तारी नइ पटिस कभू, आज घला होगे बातिक-बाता। दुलारत तीन हजार रुपिया दिस दाई हा अउ मेहाँ चल देव बाजार-हाट कोती।
सबले आगू मोर बुलेट मा पार्टी के नाव ला चमकायेंव। रेडियम ले यूथ प्रेसिडेंट लिखवायेंव। पाछू कोती नेम प्लेट मा शहीद भगत सिंह के फोटू छपवायेंव। फटफटी दुकान ले हाई-साउंड वाला भोपू लगवायेंव -वीआईपी हॉर्न। मार्केट मा नवा उतरे हाबे भलुक कमजोर दिल वाला मन झझकके मर जाही फेर जियाईया मन जान डारही यूथ प्रेसिडेंट के गाड़ी आय अइसे।
अब सब जान डारिस। अब्बड़ स्वागत वंदन होइस मोर। बाइक रैली निकलिस, जय बोलाइस…. माला पहिराइस। पोस्टर बेनर सब लग गे मोर नाव के। घर मा मिलइयाँ-जुलइयाँ के भरमार होगे।
शहर के बड़का अखबार मा मोर फोटू छपे रिहिस आज। दाई के चेहरा मा गरब रिहिस, मुचकावत रिहिस फेर ददा तो मुरझाये रिहिस।
“देख मोर बेटा सुनील ला ! पेपर मा छपे हे। टीवी मा आथे। कतका नाव कमावत हाबे मोर दुलरवा हा। तोर तो… मास्टर जीवन मा एके पईत फोटू आइस- बइला बरोबर मतदान पेटी ला लाद के चुनाव करवाये बर जावत रेहेस।”
दाई किहिस छाती फुलोवत। ददा रगरागये लागिस तभो ले- मुक्का। कुछु नइ किहिस। ससन भर दाई ला देखिस अउ भगवान खोली कोती चल दिस।
“बाबू अइसनेच आय मम्मी ! दीदी मन पचर्रा साग रांधही तहुँ ला हाँस- हाँस के गोठियाही,चांट-चांट के खाही, तारीफ करही अउ मोर बर…. कंतरी हो जाथे। मुहूँ उतरे रहिथे। सौहत ब्रम्हदेव ले वरदान मांगे के होही तब न दाई… बाबू ला उछाह होये के वरदान माँगबो। दिन भर हाँसत रही।”
ददा के खिल्ली उड़ाये लागेंव मेहा।
“टार रे तहुँ हा…, मोर तबियत बने नइ लागत हे तोर धरना प्रदर्शन ला निपटा ताहन डॉक्टर करा लेके जाबे मोला, चार दिन होगे काहत…।”
दाई हुकारु दिस अऊ हाँसत अपन कुरिया मा चल दिस।
फोन बाजिस। प्रदेश अध्यक्ष के फोन रिहिस।
“हलो ! भइया जी परनाम।”
” देख सुनील ! बाढ़त मँहगाई उप्पर सरकार ला जगाये बर धरना प्रदर्शन करना हे। मंत्री जी के पुतला दहन करना हे। तोर नेतृत्व मा होही गाँधी चौक मा। बढ़िया परफॉर्मेंस करबे। जादा ले जादा मिडिया कवरेज होना चाही भलुक सरकारी संपत्ति ला जतका जादा ले जादा नुकसान हो जावय ओतकी जादा मिडिया कवरेज मिलही..।”
“जी भइया जी ! जिला भर के जम्मो यूथ अउ महिला विंग ला घला संघेरबो अउ सरकार ला जमके घेरबो फेर ..पुलिस के तगड़ा बंदोबस्त रही तब …?”
संसो करत पुछेंव मेहाँ।
“संसो झन कर। पुलिस के बुता ही हरे मारना, नही ते… मार खाना। यूथ मन ला मारही तभो बने हे अउ मार खाही तभो बने हे। चीट घला हमर अउ पट्ट घला हमर। रायपुर अम्बिकापुर कोरबा कवर्धा के घटना ला जानथस। जतका हंगामा ओतकी प्रसिद्धि…। देश भर मा गोठ-बात होवत हे आज ले…। जादा संसो झन कर एसपी ले बात कर लुहु अपनेच आदमी हरे ओहा। अरे हा …गाँधी जी के मूर्ती ला कुछु नइ होना चाही..। धियान राखबे एक खरोच घला नइ होना हे। आजकल बिचारा गाँधी जी वाला मामला बहुत संवेदनशील होगे हे।”
“जी भइया जी ! परनाम।”
प्रदेश अध्यक्ष भइया जी हा मंतर दे दे रिहिस।
गाँव-गाँव ले गाड़ी निकलिस। भर-भर के जवनहा मन आइस अउ गाँधी चौक मा सकेलाये लागिस। मंच साजगे। सफेद कुरता वाला मन अब माइक मा आके संसो करत हे नून-तेल, दार-आटा, पेट्रोल-डीजल के बाढ़े कीमत उप्पर। जवनहा मन के लहू मा उबाल मारत हे तब मोटियारी मन कहाँ पाछू रही…? अवइया-जवइया मन ला आलू गोंदली के माला पहिराके समर्थन मांगत हे। कोनो थारी बजावत हे तब कोनो बेलन धरे हे। अब्बड़ क्रिएटिव हाबे ये पढ़े-लिखे जवनहा मन। मार्केटिंग करे ला बढ़िया जानथे। चौमासा मा हाइवे के गड्डा मा रोपा लगाके बिरोध प्रदर्शन करिस। देश भर मा छा गे,अभिन सड़क मा जेवन बनाथे। पाछू दरी तो एक झन जवनहा हा पेट्रोल डीजल के बाढ़त कीमत के बिरोध करत पेट्रोल मा नहा डारिस। धन हे पुलिस वाला मन बेरा राहत ले अपन कस्टडी मा ले लिस नही ते तमासा देखइया बर काखरो जान तो संडेवा काड़ी आवय… कभू भी बार ले।
भीड़ बाढ़े लागिस। सादा ओन्हा वाला के भाषण अब बीख उलगत रिहिस। पुलिस वाला मन घला अपन लौठी ला तेल पीया डारे हे। भीड़ ले मंत्री जी के पुतला ला आनिस जी भर के बखानिस अउ पेट्रोल डार के बारे के उदिम करिस। पुलिस डंडा भांजे लागिस। अब झूमा-झटकी, धर-पकड़, लड़ई-झगरा, गारी-बखाना होये लागिस। पुलिस वाला मन पुतला ला नंगाये अउ यूथ नेता मन लुकाये लागिस। मैदान ले अब सदर मा आगे। दुकान साजे हे-किराना,कपड़ा, लोहा, सोना-चांदी,मेडिकल अस्पताल, बुक डिपो …।
मंत्री जी के पुतला मा आगी लगगे। अब छीना-झपटी अउ बाढ़गे। कतको झन बाचीस कतको झन रौंदाइस।…अउ अब बरत पुतला अइसे उछलिस कि अस्पताल के मोहाटी मा ठाड़े माईलोगिन के काया मा चिपकगे। गिंगिया डारिस। ….बचाओ ! बचाओ के आरो । पागी-पटका, लुगरा-पाटा बरे लागिस। पुलिस वाला मन बचाइस अउ अस्पताल मा भर्ती करिस। अब जम्मो जवनहा मोटियारी मन जीत के उछाह मनावत हे। मिडिया वाला मन घला मिरचा- मसाला लगाके जनता ला बतावत हे। अउ मेहाँ ..? महुँ बतावत हव।
“हलो, भइया जी परनाम ! भैया जी टीवी मा न्यूज देख लेबे। अब्बड़ कवरेज मिलत हाबे। जम्मो कोती हमर प्रदर्शन के गोठ-बात होवत हे।
“हांव, तोर असन कर्मठ जुझारू अउ माटीपुत्र के जरूरत हे। लगे रहो.. अब्बड़ तरक्की पाबे।”
भइया जी आसीस दिस अउ फोन कटगे।
तभे मोर गाल मा काखरो झन्नाटेदार थपरा परिस। आँखी बरगे। गाल लाल होगे। लोर उपटगे।आँखी उघारेंव बाबूजी आगू मा ठाड़े रिहिस। हफरत रिहिस, खिसियावत रिहिस।
“बेटा ! तोला पहिली मारे रहितेंव ते बने होतिस। समाज बर कलंक तो नइ होतेस। मंत्री जी के पुतला दहन करत मोर गोसाइन ला आगी लगा देस आज। अपन दाई ला मार डारेस। ददा रोवत रिहिस। अउ चीर घर कोती रेंग दिस। मेहाँ अब गाँधी चौरा मा ठाड़े हावव…अकेल्ला। सब चल दिस मोला छोड़के।….थरथराये लागेंव।….बइठ गेंव गाँधी चौरा मा।
अब गुने लागेंव जम्मो ला, धरना प्रदर्शन के बहाना हम का करत रेहेंन……? गांधी जी के मूर्ति के आगू मा का होवत रिहिस…? महामानव गाँधी जी के आत्मा रोवत होही जम्मो ला देख के। कतका बलिदान दिस। साधु बनके एक धोती पहिरके जिनगी पहाइस। सत्य अहिंसा के पाठ पढ़ाइस अउ हमन……? मोटियारी-जवनहा हो तुही मन भारत के भविस आवव। काखर भभकी मा आके मइलावत हव। जौन डारी मा ठाड़े हव उँही ला कांटहु तब भकरस ले गिर नइ जाहू…? जौन घर मा हाबो तौने ला बारहु तब भूंजा लेसा नइ जाहू तँहु मन…..? भलुक भगतसिंह बरोबर फांसी मा झन झूल, सुभाष चन्द्र बोस बरोबर कोनो सेना टोली झन बना, शहीद वीर नारायणसिंह बरोबर काखरो गोदाम ला झन लूट…। बस एक बुता कर मोर मयारुक जवनहा मोटियारी हो ! लांघन ला जेवन करा दे, पियासा ला पानी पीया दे, आने के दुख ला अपन मान अउ सरकारी सम्पति ला अपन मान के हिफाजत कर…।
आनी-बानी के बिचार आवत हे। जइसे गाँधी जी सौहत गोठियावत हे मोर संग। आँखी ले ऑंसू बोहावत हे कभू दाई के दुलार आँखी मा झूलत हे तब कभू ये गाँधी चौरा के गाँधी जी के चेहरा…।
अब मन ला धीरज धराके उठेंव संकल्प के साथ। इस्तीफा दुहूँ अपन पार्टी ले। अउ इहीं गाँधी चौरा के चार झन गरीब मन ला दू-दू रोटी दुहूँ। बाल्टी भर पानी पियाहूँ अउ सरकारी संपत्ति ला अपन मानहूं। तब मोर दाई के आत्मा ला मोक्ष मिलही…। संकल्प आवय जौन कभू नइ टूटे…।
“दाई !”
आरो करत चीर घर कोती रेंग देव अब ददा के सहारा बने बर।